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आपदा को अवसर बनाने वाले डॉक्टर की कोरबा कलेक्टर ने की छुट्टी, क्लीनिक हुआ सील कोरबा कलेक्टर की बड़ी कार्यवाही

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छत्तीसगढ़/कोरबा :- कोरबा में कोरोना वैक्सीन की कालाबाजारी करने वाले डाॅ.अशोक माखिजा की कलेक्टर ने डीएमएफ से छुटटी कर दी है। कोरबा कलेक्टर रानू साहू ने 24 घंटे के भीतर ही मामले की जांच के बाद दोषी डाॅक्टर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए, ये संकेत दे दिये है कि स्वास्थ के क्षेत्र में लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नही की जायेगी। इसकी जानकारी सामने आबे के बाद कलेक्टर रानू साहू ने इस पूरे मामले में गहरी नाराजगी व्यक्त की थी। कलेक्टर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए वैक्सीन की कालाबाजारी पर सख्त कार्रवाई की बात कही थी, और पूरे प्रकरण की जांच का जिम्मा एसडीएम सुनील नायक को सौंपा गया था।
कलेक्टर के आदेशानुसार एसडीएम सुनील नायक शनिवार की सुबह से सीएमएचओं कार्यालय में डेरा डालकर दोषी डाॅक्टर अशोक माखीजा सहित स्वास्थ विभाग के जिम्मेदार लोगो का बयान दर्ज किया गया था। देर शाम एसडीएम ने जांच रिपोर्ट कलेक्टर रानू साहू के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था। जिस पर कलेक्टर रानू साहू ने आज रविवार को छुटटी के दिन ही दोषी डाॅक्टर अशोक माखीजा की डीएमएफ से सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया। कलेक्टर रानू साहू ने बताया कि वैक्सीन की कालाबाजारी करने वाले डाॅ.अशोक माखीजा की सेवा समाप्त कर दी गयी है, वही डाॅ.माखीजा बगैर लाईसेंस के ही प्राईवेट क्लीनिक का संचालन कर रहे थे, जिसे तत्काल प्रभाव से बंद कराने का आदेश दिया गया है।

सरकारी वैक्सीन की कालाबाजारी निजी क्लीनिक के जरिये किये जाने का खुलासा होने के बाद अब भी स्वास्थ विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। मामले का खुलासा होने के बाद जांच अधिकारी एसडीएम सुनील नायक दोषी डाॅक्टर अशोक माखिजा का बयान दर्ज करते वक्त कई बार वैक्सीन कहा से मिले इस संबंध में जानकारी चाही। लेकिन डाॅ.माखीजा ने अपने सोर्स नही बताये कि आखिर किसके माध्यम से सरकारी वैक्सीन उनके निजी क्लीनिक तक पहुंचते थे। उनका हर बार यहीं कहना था कि वे बचे हुए वैक्सीन को कलेक्टर अपने क्लीनिक में लाकर लगया करते थे, जबकि पिछले 2 महीने का रिकार्ड देखे तो जिले के किसी भी केंद्र में वैक्सीन बच ही नही रही है, उल्टे लोगों को वैक्सीन खत्म होने के कारण वापस लौटना पड़ रहा था। ऐसे में एक बार फिर स्वास्थ विभाग की कार्य प्रणाली सवालों के घेरे में है, कि आखिर विभाग का वो कौन सा रैकेट है जो कि निजी क्लीनिक में सरकारी वैक्सीन की सप्लाई कर कालाबाजारी कर रहा है, इसका खुलासा होना अब भी बांकी है।

वैक्सीन की कालाबाजारी में डीएमएफ से छुटटी किये जाने वाले डाॅ.अशोक माखीजा की मनमानी पर बड़े अफसरो का संरक्षण प्राप्त था। रानी धनराज कुंवर प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में पोस्टेड डाॅ.माखीजा की ओपीडी टाईमिंग दूसरे डाक्टरों की तरह ही सुबह 10 बजें से शाम 4 बजें तक की थी, लेकिन डाॅ. माखीजा कभी भी दो घंटे से ज्यादा अपने ओपीडी में नही बैठते थे। इसे लेकर पीएचसी के बीएमओं डाॅ.दीपक राज सीएमएचओं को मार्क कर हाजिरी के ब्यौरा के साथ टीप में डाॅ.अशोक माखीजा के ओपीडी में सुबह 10 बजें से दोपहर 12 बजें तक ही बैठने की जानकारी से अवगत कराते थे। ये सिलसिला पिछले 4 महीने से चल रहा है। सीएमएचओं डाॅ.बी.बी.बोर्ड ने कभी भी डीएमएफ से पोस्टेड डाॅ.माखिजा की इस मनमानी पर नोटिस जारी नही किया गया। इसी का नतीजा है कि डाॅ.माखीजा की मनमानी लगातार चलती रही और मनमानी इस कदर बड़ी की वो मुफ्त मिलने वाली सरकारी कोरोना वैक्सीन की कालाबाजारी करने से भी बाज नही आये।

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