बीईओ ने आयोग के समक्ष आवेदिका से माफी मांगी
आवेदिका के नाम पर 20 लाख रुपए के जेवर एवं 30 लाख रुपए का भरण पोषण देना पति ने किया स्वीकार
रायपुर 13 दिसम्बर 2021/ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण सुश्री शशिकांता राठौर, डॉ अनिता रावटे एवं श्रीमती अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में आज शास्त्री चौक स्थित, राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई।
आज एक प्रकरण में प्रकरण में पिछली सुनवाई के निर्देशानुसार एक समाज के पदाधिकारीगण के द्वारा आवेदिका के फूफा को अर्थदंड की रशी 1 लाख और शादी में लड़की को शामिल करने हेतु 63,000 रुपये को वापस दिया है। आज आयोग के समक्ष समाज प्रमुखों ने आवेदिकागण को चेक और नगद राशि आयोग के समक्ष दिया है। इसके साथ आयोग ने समाज प्रमुखों को निर्देशित दिया गया है जिसमे आवेदिका और उसके परिवार को समाज मे मान प्रतिष्ठा और सम्मान दिए जाने के निर्देश दिए गए है, और सामाजिक कार्यक्रमों में उनको आमंत्रित किया जाए सामाजिक मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए यदि कोई अन्य समाज मे या लड़की की शादी कर लेते हैं तो उनका हर तीज त्योहार में सम्मानपूर्वक भागीदारी की स्वतंत्रता दिए जाने समाज प्रमुखों को कहा गया। इस प्रकार इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगण अपने पुस्तैनी मकान के एक हिस्से में रहर रहे हैं। और आवेदिका और अनावेदकगण के मध्य पूर्व से ही घरेलू विवाद है। दोनो पक्षो को आयोग द्वारा समझाइश दिया गया कि दोनों हिस्से में उभय पक्ष किसी भी प्रकार से एक दूसरे के ऊपर हस्तक्षेप नहीं करे। अनावेदक पक्ष ने कहा कि आवेदिका का छोटा बेटा उनके आने जाने के रास्ते में परेशानी खड़ा करता है और बच्ची के साथ अभद्र व्यवहार करता है। इस मुद्दे पर आवेदिका ने जिम्मेदारी लिया है कि वह किसी भी मुद्दे पर हस्तक्षेप नही करेगा इस आयोग की निगरानी में रखते हुए प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगण ने कहा कि आवेदिका के रिश्तेदार जो गांव में रहते हैं उनके ऊपर किसी भी प्रकार का सामाजिक बंधक नही लगाएंगे और गांव समाज के लोग आवेदिका के गांव आने जाने में परेशान नही करेंगे और आर्थिक दण्ड नही करेंगे। आयोग के इस समझाइश के साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने आवेदिका के प्रति निरीक्षण के दौरान जो व्यवहार किया था जिसकी शिकायत आवेदिका ने किया था उस पर विस्तृत सुनवाई के बाद अनावेदक बीईओ ने आयोग के समक्ष आवेदिका शिक्षिका से माफी मांगी है और अनावेदक ने स्वयं व्यक्त किया कि वह अपना स्थानांतरण चाहता है, आयोग से निवेदन किया कि उनका तबादला हेतु पत्र लिख भेजे इस पर यदि अनावेदक स्वयं चाहते हैं तो शिक्षा विभाग को एक पत्र अलग से प्रेषित कर दिया जाएगा आयोग के इस निर्देश के साथ प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका और अनावेदक ने अपने बच्चों के हित में इस समझौते पर राजी हुए हैं कि बच्चों से मिलने में आवेदिका किसी तरह से रोकटोक नही करेंगी। बच्चों की फीस पढ़ाई लिखाई अनावेदक अपनी हैसियत से करेगा अनावेदक का कहना है कि आवेदिका के पास 20 लाख का जेवर 30 लाख रुपये जमा है जिससे आवेदिका अपना खर्च वहन कर रही है। आगामी सत्र से अनावेदक बच्चों की पढ़ाई लिखाई और उसके खर्चे स्वयं वहन करेगा अनावेदक बच्चों से बीच बीच मे आकर मिल सकेंगे दोनो पक्ष एक दूसरे से किसी तरह का दुर्व्यवहार नही करेंगे और बच्चों के बारे में ही आपस मे चर्चा करेंगे इस प्रकरण को निगरानी में रखते हुए नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका का कहना है कि अनावेदक के साथ वर्ष 2014 में हिन्दू विधि विधान से हुई है विगत 2 वर्षों से मैं अपने मायके में निवासरत हूं विवाह के बाद मेरा पति बांझ है कहकर प्रताड़ित करता था मेरा देवर मेरे साथ छेड़खानी किया है अब मैं अपने पति एवं ससुराल वालों के साथ नही रहना चाहती हूं। अनावेदक का कहना है कि मेरी पत्नी झूठ बोल रही है मोबाइल पर किसी अन्य पुरुष से हमेशा बाते करती है जिसके कारण मेरे एवं मेरे भाई के ऊपर झूठा आरोप लगा रही है अनावेदक का भाई का कहना है कि कभी भी भाभी के ऊपर गलत नियत नही रखा है फिर भी भैया भाभी यदि साथ में रहते हैं तो उसके सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए भाभी से माफी मांगा है और स्वतः अलग निवास करेगा। आवेदिका अपने पति के साथ किसी भी शर्त पर साथ रहने को तैयार नही है अनावेदक अपनी पत्नी को तलाक नही देना चाहता है ऐसी स्थिति में आवेदिका को सक्षम न्यायालय में वैवाहिक विच्छेद सम्बन्धी याचिका और स्त्रीधन वापस लेने की सलाह देते हुए प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने मोबाइल पर एसएमएस भेज कर धमकी दिया है आयोग के पूछे जाने पर उसने एसएमएस भेजना स्वीकार किया है आवेदिका ने यह भी बताया कि अनावेदक ने उसके भाई से 15 लाख रुपये लिए है और अब देने से इंकार कर रहा है इन तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि यह प्रकरण आर्थिक, मानसिक प्रताड़ना के साथ दहेज प्रताड़ना को भी इंगित करता है इस स्तर पर आवेदिका को यह समझाइश दी गई कि वह पुलिस थाना में जाकर अनावेदक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करा सकती है अनावेदक आवेदिका से लिये गए राशि को वापस करने को तैयार होता है तो ऐसी दशा में आवेदिका स्वविवेक से निर्णय ले सकती है इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में पति पत्नी ने एक दूसरे से आयोग के समक्ष अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी तीन महीने के लिए प्रकरण को निगरानी में रखा गया है, तब तक पति पत्नी एक दूसरे से बात कर अपना संबंध सुधारने का प्रयत्न करेंगे आवेदिका के ससुर ने व्यक्त किया कि वह अपने सम्पत्ति में से मकान रहने के लिए देगा और बेटे बहु के साथ नही रहेगा।
आज जनसुनवाई में 20 प्रकरण में 15 पक्षकार उपस्थित हुए तथा 8 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।