छत्तीसगढ़ कोरबा 11 जनवरी 2022 कोरबा जिला के पुलिस अधिकारियों द्वारा पुलिस और जनता के रिश्ते को मजबूत करने के लिये तरह तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिससे जनता और पुलिस के बीच दूरियां समाप्त हो सके और जनता का पुलिस पर भरोसा बना रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कुछ पुलिस कर्मियों द्वारा पुलिस की वर्दी को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है ऐसे ही पुलिसकर्मियों की वजह से जनता का इस खाकी वर्दी पर से भरोसा उठता जा रहा है। ये पुलिसकर्मी अपने निजी स्वार्थ के लिए जनता से उगाही करते हैं और बदनाम कोरबा की पूरी पुलिस टीम होती है।
ऐसा ही मामला उरगा थाना और मानिकपुर चौकी कोरबा में देखने को मिला है।
उरगा थाना में पदस्थ एक पुलिसकर्मी पर जनता से पैसा उगाही का आरोप लगाया गया है।
1) सोमवार को मिली शिकायत के अनुसार उरगा थाने में पदस्थ सहायक उप निरीक्षक अनिल खांडे के ऊपर आरोप है कि नोनबिर्रा में रहने वाले सरवन कुमार से धमकी देकर एक लाख रुपये की मांग की गई है। नोनबिर्रा निवासी सरवन कुमार ने एसपी से लिखित शिकायत में कहा है कि 1 जनवरी को सुबह टहलने के दौरान उरगा थाने में पदस्थ सहायक उप निरीक्षक अनिल खांडे उसके पास पहुंचा और पूछताछ के लिए थाने चलने को कहा। थाना पहुंचने पर धारा 376 के एक आरोपी सुभो कंवर के बारे में उससे पूछताछ की गई जब सरवन कुमार ने उसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने की बात कही तो तो अनिल खांडे ने उसके साथ गाली-गलौज शुरू कर दी साथ ही कहा कि बचना चाहते हो तो एक लाख देना पड़ेगा। डर के कारण सरवन कुमार ने अपने साथी से उधार लेकर बीस हजार रूपए दे दिए।अब उक्त सहायक उप निरीक्षक बाकी के पैसे की मांग कर रहा है नहीं देने पर एफ आई आर की धमकी दे रहा है। शिकायतकर्ता सरवन कुमार ने एसपी से न्याय की गुहार लगाई है।
2) ऐसे ही एक अन्य मामले में है आज 4 जनवरी को धमनागुड़ी निवासी रामायण लहरें ने जिला पुलिस अधीक्षक से शिकायत की है कि मेरी नाबालिग पुत्री को पिछले माह 9 दिसंबर को सुन्दरेली बाराद्वार निवासी जानू नामक व्यक्ति द्वारा भगा कर ले गया है। जिसे ढूंढने के लिए अनिल खांडे पुलिस थाना उरगा द्वारा मुझसे पचास हजार रुपये मांगा जा रहा है। पैसे नहीं देने के कारण आज 19 दिन हो गया है मेरी बेटी को नहीं ढूंढ रहे हैं। मेरी पुत्री को भगाने वाले का मोबाइल नंबर भी मैंने थाने में दिया है इस नंबर से मेरी पुत्री से बात होता है। प्रार्थी ने पुलिस अधीक्षक से अपनी पुत्री को ढूंढने की गुहार लगाई है।
ऐसे ही एक शिकायत मानिकपुर चौकी के प्रधान आरक्षक के खिलाफ पुलिस अधीक्षक को लिखित में की गई है।
शिकायत पत्र में लिखा गया है कि हम तीन मजदूर अखिलेश खरें, विकास जांगड़े व सूरज जांगड़े अपनी बाइक में सवार होकर दादर से मजदूरी कर अपने घर लौट रहे थे। इसी दौरान रविशंकर शुक्ल नगर दादर चौक में स्थित मेडिकल स्टोर के पास विपरीत दिशा से आ रहे बाइक से उनकी टक्कर हो गई। हादसे में बाइक सवार गिर गए हालांकि थोड़ी देर बाद वे फरार हो गए। घटनास्थल के पास स्थित मेडिकल स्टोर संचालक ने मानिकपुर चौकी पुलिस को फोन पर हादसे की जानकारी दे दी। चौकी से प्रधान आरक्षक संतोष सिंह घटनास्थल पहुंचे और हमें थाने ले गए और हमसे गाली गलौज कर मारपीट किया। साथ ही बीस हजार रुपए की मांग करने लगे और गाड़ी व मोबाइल जप्त कर लिया। हमने उनके सामने बहुत गिड़गिड़ाया, हाथ पैर जोड़े लेकिन फिर भी वे एक ना सुने। किसी तरह मोबाइल बेच कर पैसे की व्यवस्था करने की बात करने पर प्रधान आरक्षक माने और मोबाइल फोन वापस दिया। अब प्रधान आरक्षक बार-बार फोन कर पैसों की मांग कर रहे हैं पैसे नहीं देने पर गाड़ी कोर्ट में पेश करने की बात कह रहे हैं।
हालांकि कोरबा पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल द्वारा दोनों ही थानों के मामलों को गंभीरता से लिया गया है और दोनों मामलों में जांच के लिए कोरबा सीएसपी योगेश साहू को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है और 2 दिन में रिपोर्ट देने का आदेश जारी किया गया है। किंतु पहले भी ऐसे ही उगाही के कई मामलों में जांच के आदेश दिए गए थे जिन पर अभी तक कार्यवाही नहीं की गई है। ऐसे में देखना यह है कि इन मामलों में पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा क्या कार्रवाई किया जाता है।