जिला प्रशासन एवं कोरबा पुलिस द्वारा नए कानूनों के संबंध में कार्यशाला का किया गया आयोजन छत्तीसगढ़ शासन के मंत्री लखन लाल देवांगन की गरिमामय उपस्तिथि में कार्यशाला का हुआ उद्घाटन
netagiri.in—-प्रशासन एवं कोरबा पुलिस द्वारा भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बारे में न्यायिक दंडाधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, व पुलिस विभाग के अधिकारियों को बताने के उद्देश्य से कलेक्ट्रेट ऑडिटोरियम में सुबह 10 बजे से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। मंत्री श्री लखन लाल देवांगन (वाणिज्य और उद्योग श्रम मंत्री छत्तीसगढ़ शासन) की आतिथ्य में कार्यशाला का उद्घाटन किया गया।
कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। उसके बाद अतिथियों का स्वागत किया गया।तत्पश्चात् पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी (भापुसे)के द्वारा पीपीटी के माध्यम से नवीन क़ानून के संबंध में एवं कार्यशाला की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी गई। कलेक्टर अजीत वसंत (भाप्रसे) और ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश श्री सत्येन्द्र साहू के द्वारा
भी अपने वक्तव्य से प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया।
तत्पश्चात् मुख्य अतिथि महोदय के द्वारा अपने आशीर वचनों से सबको लाभान्वित किया।
कार्यशाला में महापौर श्री राजकिशोर प्रसाद एवं नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शिवकला छत्रपाल सिंह कँवर मैडम भी उपस्तिथ थी।
कार्यशाला में एडीजे श्री कृष्ण कुमार सूर्यवंशी, जेएमएफसी श्रीमती प्रतीक्षा अग्रवाल एवं जेएमएफसी सुश्री ऋचा यादव ने तीनों नये क़ानून के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। जिससे सभी प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन हुआ।
कार्यशाला में न्यायिक दंडाधिकारी, सीएमएचओ, एडीएम, एसडीएम, एफएसएल अधिकारी, अभियोजन अधिकारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस अधीक्षक, सभी थाना/ चौकी प्रभारी गण, मीडिया और आम जनता उपस्तिथ हुए एवं सभी ने कार्यशाला में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
ज्ञात हो कि 1 जुलाई से नये क़ानून लागू हो जाएँगे। इसलिए इसके बारे में जानकारी देने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। लागू होने वाले नए कानून देश की न्याय व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ और पारदर्शी बनाएंगे। भारतीय न्याय संहिता का उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार करना है, जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के साथ-साथ सुरक्षा उपायों को भी सुनिश्चित करती है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने वाले साक्ष्यों की मान्यता और प्रामाणिकता से संबंधित है।