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हाई अलर्ट रेंज में आया बिलासपुर…डायरिया 501, मलेरिया के 24 केस:5 की मौत और 5 गंभीर, एक बेड पर 3 मरीज, 54 गांव में स्थिती संवेदनशील

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Netagiri.in

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में बढ़ते मलेरिया को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। जिले में डायरिया के अब तक 501 मरीज मिल चुके हैं।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में बढ़ते मलेरिया को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। जिले में डायरिया के अब तक 500 से अधिक मरीज मिल चुके हैं।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में बढ़ते मलेरिया और डायरिया को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। डायरिया और मलेरिया के अब तक 500 से अधिक मरीज मिल चुके हैं। कलेक्टर अवनीश शरण ने स्वास्थ्य विभाग, महिला बाल विकास, पंचायत ग्रमीण, नगर निगम को हाई अलर्ट जारी किया है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें एक डायरिया और 4 मलेरिया से हुई है। मलेरिया के 24 केस मिले हैं। इनमें 5 की हालत गंभीर है, उनका सिम्स में इलाज चल रहा है। रतनपुर में सरकारी अस्पतालों में जगह नहीं है। एक बेड पर 2-3 मरीजों का इलाज चल रहा है। वहीं 54 गांव मलेरिया के लिए अति संवेदनशील हैं।

 

 

रतनपुर इलाके में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। CHC में बेड की कमी के कारण एक बेड पर 2-3 तीन मरीजों का इलाज किया जा रहा है। – Dainik Bhaskar
रतनपुर इलाके में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। CHC में बेड की कमी के कारण एक बेड पर 2-3 तीन मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
*रतनपुर में डायरिया बेकाबू*

रतनपुर में डायरिया बेकाबू हो गया है। खूंटाघाट क्षेत्र के कंदई पारा में 31 और महामाया पारा में 9 नए मरीजों की पुष्टि हुई। बढ़ते मरीजों की संख्या से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रतनपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है। एक बेड पर 2 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। एक मरीज की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। वहीं कोटा में तीन और नए मलेरिया मरीजों की पुष्टि हुई।

*बेड नहीं होने के कारण वेटिंग चेयर पर सुलाकर बच्चे का इलाज किया जा रहा है। -*
बेड नहीं होने के कारण वेटिंग चेयर पर सुलाकर बच्चे का इलाज किया जा रहा है।
खोंगसरा CHC में तीन भर्ती, चिकित्सक नदारद

शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोंगसरा में फिर 3 मलेरिया पॉजिटिव भर्ती किए गए हैं। उनका उपचार किया जा रहा है। इसमें एक महिला और पुरुष और एक किशोर शामिल है। तीनों ग्राम पंचायत टांटीधार के आश्रित ग्राम चाटीदार के निवासी हैं।

*खोंगसारा में झोलाछाप डॉक्टर कर रहे इलाज*

मेडिकल स्टाफ गीता रटिया ने बताया कि प्रभारी मिथलेश भारद्वाज नहीं है। उनके भरोसे CHC है। वे दौरा में हैं। पांच ग्राम पंचायत के 14 आश्रित गांवों के लोग उपचार कराने अस्पताल में आते हैं। डॉक्टर नहीं होने के कारण सीधे-साधे बैगा आदिवासी झोलाछाप डाक्टरों के भरोसे इलाज के लिए मजबूर हैं। झोलाछाप डॉक्टर घूम-घूम कर इलाज कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ध्यान नहीं दे रहा है।

गुरुवार को कलेक्टर ने जिले के कई क्षेत्रों में जाकर मलेरिया और डायरिया पीड़ित गांवों में लोगों से मुलाकात की थी।
गुरुवार को कलेक्टर ने जिले के कई क्षेत्रों में जाकर मलेरिया और डायरिया पीड़ित गांवों में लोगों से मुलाकात की थी।
*कोटा के 54 गांव मलेरिया के लिए अति संवेदनशील*

कोटा के 54 गांव मलेरिया के लिए अति संवेदनशील हैं। मौजूदा समय में इन गांव में मलेरिया के मामले सामने आने लगे हैं। तीन दिन के भीतर कोटा के आमागोहन, टांटीधार, करवा, कुरदर, खोंगसरा, टेंगनमाड़ा, कारमाटी, लमेर में मरीज मिल चुके हैं। साफ है कि स्वास्थ्य विभाग का नियंत्रण कार्य बहुत ही धीमा है।

इसी वजह से स्वास्थ्य अमला समय पर मरीज तक नहीं पहुंच पा रहा है। मरीजों की हालत बिगड़ती जा रही है। वहीं दूसरी ओर मलेरिया के मच्छर लोगों को लगातार बीमार कर रहा है। मलेरिया रोकने के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम नहीं उठाया गया तो इसके और गंभीर परिणाम सामने आएंगे।

*संवेदनशील है कारीमाटी*

ग्राम पंचायत सिलपहरी के सरपंच दुष्यंत कुमार ने बताया कि इस ग्राम पंचायत और आश्रित ग्राम कारीमाटी में इससे पहले कभी भी स्वास्थ्य शिविर नहीं लगाया गया है।स्वास्थ्य विभाग की ओर से मच्छरदानी बांटी गई है और टैबलेट वितरण किया गया है।

सरपंच दुष्यंत कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की सभी योजना बस कागजों तक सीमित है। इसी वजह से मलेरिया, डेंगू के लिए संवेदनशील गांव होने के बाद भी कोई भी प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है और हर साल मलेरिया के मामले सामने आते हैं।

*इसीलिए नहीं पहुंचता है स्वास्थ्य अमला*

ग्राम कारीमाटी पहुंच विहीन गांवों में से एक होने के साथ पहाड़ पर बसा हुआ है। यहां पर दो-पहिया वाहन भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाता है। यातायात के कोई भी साधन नहीं हैं। ज्यादातर पैदल ही आना-जाना होता है। इसी वजह से स्वास्थ्य विभाग की टीम भी इस गांव में नहीं जाती है।

ऐसे में ग्रामीणों को अपने हाल में जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है। स्वास्थ्य सुविधा इनसे काफी दूर है। इन्हीं कारणों से इन्हें झोलाछाप से इलाज करवाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

*महज सर्वे कर की जा रही खानापूर्ति*

स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रभावित क्षेत्र में सर्वे करने का ही काम कर रही है। इसके अलावा मच्छर नियंत्रण, लार्वा खोजने, मच्छरों को मारने दवा का उपयोग नहीं कर रहे हैं, जबकि क्षेत्र में मच्छरों का आंतक है। स्वास्थ्य विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। इसी वजह से मलेरिया से मौत हो रही हैं और लगातार इनके मरीज मिल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग मलेरिया नियंत्रण में पूरी तरह से फैल हो गया है।

जिला मलेरिया अधिकारी अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि मलेरिया की स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए मलेरिया विभाग के सभी कर्मचारियों को लगा दिया गया है, जो प्रभावित क्षेत्र में सघन दौरा और सर्वे का काम कर रहे हैं। साथ ही मिलने वाले मरीजों का इलाज सिम्स में भर्ती कर कराया जा रहा है।

 

– घर के आसपास झाड़ियां उगने न दें। – स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। – घर के आसपास और पुराने बर्तनों में पानी का जमाव न होने दें। – घर के खिड़की-दरवाजे बंद रखें। – रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। – घरों से मच्छर भगाने के लिए दवाओं का उपयोग करें। – तेज बुखार के साथ हाथ-पैर में दर्द हो तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें और मलेरिया जांच कराएं।

*डायरिया के लक्षण*

बुखार
उल्टी
सिरदर्द
पेट दर्द
लूज मोशन
जी मिचलाना
भूख न लगना
बार-बार प्यास लगना
बार-बार बाथरूम जाना
डायरिया से बचने के लिए करें यह उपाय

पानी और नमक की कमी को दूर करें।
नमक-चीनी का घोल या ORS पिएं।
दिन में 6-7 बार यह घोल जरूर पिएं।
काली चाय में नींबू का रस मिलाकर भी पी सकते हैं।
हल्का-फुल्का खाना जैसे दलिया या खिचड़ी ही खाएं।
खाने में दही और फलों में केला खा सकते हैं।
फ्रेश खाना ही खाएं, बासी खाने से परहेज करें।
सफाई का ख्याल रखें। खाने से पहले हाथ जरूर धोएं।
उबला हुआ, हल्का गुनगुना पानी पीना बेहतर होगा।
खान पान को लेकर बहुत सावधानी बरते।
ठंडे मौसम से एसी रूम से अचानक तेज धूप और गर्मी से बचना।
गर्म हवाओं और धूप में अधिक समय बिताना।
तेज गर्मी के मौसम में अधिक एक्सरसाइज करना।
गर्मी के मौसम में ठंडी तासीर की चीजों का सेवन ना करना या कम करना। जैसे, दही, खीरा, तरबूज इत्यादि।
सही कपड़ों का चुनाव ना करना। ऐसे कपड़े पहनने से बचे। जिनमें हवा पास ना होती हो। इस कारण भी लू लग सकती है।
एल्कोहॉल का अधिक सेवन करना भी गर्मी के मौसम में भारी पड़ता है।इसके साथ ही लू लगने की वजह बन सकता है।

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