कोरबा जिले में इन दोनों कलेक्ट्रेट और एसपी कार्यालय सैकड़ो महिलाओं से घिरा हुआ दिखता है कारण है जिले की लाखों दी दिया लखपति बनने से पहले ही कर्जदार हो गई है सरकार की मनसा थी कि दीदीयों को लखपति बनाएंगे वह स्वावलंबन की ओर बढ़ेगी और आत्मनिर्भर बन जाएगी जिसमें सरकारी महकमा तो उन्हें लखपति बनाने में पीछे रह गया
लेकिन प्राइवेट कंपनियों ने लखपति से करोड़पति बनने का ख्वाब दिखाकर उनके नाम से लोन निकलवाए और उन्हें कर्जदार बनाकर छोड़ दिया है
फ्लोरा मैक्स कंपनी के नाम से चल रही चिट फंड कंपनी ने कोरबा जिला सहित आसपास के जिलों में भी ग्रामीण महिलाओं को अपना निशाना बनाया है औरत और शहरी महिलाएं भी इस छलावे में चली गई है इन महिलाओं को करोड़पति बनने का सब्जबाग दिखाया गया कि आप लोन निकाले कंपनी में लगाओ अगर आप लोन वापस नहीं कर पाओगे तो लोन हम वापस करेंगे लेकिन तुमको हम घर बैठे ब्याज का पैसा देते रहेंगे
कंपनी ने गांव के ही लोगों को अपना मोहरा बनाया उन्हें कंपनी का एजेंट बनाया और उनके लाइफ स्टाइल में थोड़ा सा मक्खन पॉलिश लगाकर प्रोफेशनल बनाया फिर यह एजेंट जाकर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को लालच देते उनको अपने जाल में फंसाकर लोन निकलवाने में मदद भी करते सारी चीजें ग्रामीण क्षेत्रों में चुपचाप होती रही और किसी को भनक भी नहीं लगी
🖕🖕सितंबर महीने में प्रकाशित खबर जब न्यूज़ के माध्यम से कंपनी की गतिविधियों पर आगाह किया गया था
सितंबर महीने में जब कंपनी के ऑफिस में डकैती हुई थी तब मामले में गंभीरता से जांच नहीं की गई वरना चल रहे इतने बड़े स्केम का भंडाफोड़ पहले ही हो जाता netagiri.in की टीम ने जब ग्रामीण क्षेत्रों में जोर शोर से चल रही इस कारोबार पर छानबीन की तो पता चला कि किस तरह महिलाओं को गाड़ियों में भरकर ले जाया जा रहा उन्हें लोन दिलाया जा रहा है और बदले में उन्हें मुंह बंद कर चुपचाप हर महीने ब्याज की राशि लेने के लिए समझाइए दी जाती थी netagiri.in की टीम ने कई महिलाओं को इस संबंध में ठगी का शिकार होने और मामले की शिकायत संबंधित थानों में करने आगाह किया था
ताकि और महिलाएं ठगी का शिकार ना हो लेकिन तब तक कोई भी महिला आगे जाकर शिकायत नहीं की और यह सिलसिला जारी रहा एक एक महिला ने 7 से 8 बैंकों से लोन लिया है और कंपनी को ढाई लाख रुपए तक दिया ऐसी कई महिलाएं हैं जिनके नाम पर कई बैंकों से लोन मिल गए और किसी को भनक नहीं लगी और अब जब शहर लुट गया तब ढिंढोरा पीटने का दौर शुरू हुआ अब प्रतिदिन करोड़ की ठगी का शिकायत लेकर अलग-अलग क्षेत्र से महिलाएं पहुंच रही हैं और प्रशासन से गुहार लगा रही हैं
फ्लोरा मैक्स ने ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं शहरी एरिया की महिलाओं को भी नहीं बख्शा है। बुधवार को बालको, बाकीमोंगरा, मानिकपुर, मुड़ापार, मोती सागरपारा, बुधवारी, साहित कोरबा नगर निगम क्षेत्र से सैकड़ो की संख्या में महिलाएं शिकायत करने कलेक्टर कार्यालय पहुंची
शिकायत करने पहुंची महिलाओं के कहे अनुसार
महिलाओं ने फ्लोरा मैक्स कम्पनी के संचालक अखिलेश सिंह एवं उसके सहयोगियों के द्वारा कूटरचित, दस्तावेजों के माध्यम से पडयंत्र करधोखाधड़ी किए रूपये 120 करोड़ हड़पने के सम्बन्ध में कड़ी कार्यवाही कर राशि वापस दिलाने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने की मांग की है। शिकायत में कहा गया है कि अखिलेश सिंह द्वारा स्वयं को फ्लोरा मैक्स कम्पनी का मालिक बताकर अपना परिचय कराया गया। कम्पनी में उसके सहायक राजू सिंह, गुड़िया सिंह, मयाराम साहू, कु तनिपा बघेल, संतोषी साहू, बलराम सिंह ठाकुर है। महिलाओं को प्रधानमंत्री महिला रोजगार योजनान्तर्गत अत्यधिक लाभ अर्जित करने हेतु विभिन्न व्यवसायों में सलग्न होने के लिये प्रेरित किया गया। इसके लिये अखिलेश सिंह द्वारा अपनी कम्पनी में निवेश करने पर महिलाओं को विभिन्न व्यवसायों में संलग्न करने का प्रस्ताव रखा गया, और प्रति महिला रूपये 30,000/- (तीस हजार), जमा कराने का निर्देश दिया गया। आवेदकगण द्वारा उक्त राशि निवेश करने की हैसियत नहीं होना बताकर उक्त राशि की व्यवस्था कर पाने में अपनी असमर्थता व्यक्त की गई। तब अखिलेश सिंह द्वारा दस दस महिलाओं का समूह बनाकर लगभग 40000 (चालीस हजार) महिलाओं को जोड़ा गया है और व्यवसाय हेतु विभिन्न बैंकों से प्रति महिला रूपये 30,000/- (तीस हजार), का ऋण दिलाया गया है। साथ ही महिला समूहों को व्यवसाय के संचालन हेतु विभिन्न स्थानों पर दुकानें संचालित कराई गई। लगभग 40 दुकानों से नित्यप्रति की आवश्यकताओं की वस्तुओं का क्रय विक्रय किया जा रहा है। उक्त सामान के सम्पूर्ण सम्वयवहार की व्यवस्था अखिलेश सिंह द्वारा ही की जाती है। उक्त राशि बैंक से प्राप्त होते ही अखिलेश सिंह समूह की प्रत्येक महिला से उक्त राशि अर्जित कर, प्रत्येक महिला को प्रतिमाह रूपये 2,700 रूपये देने का प्रलोभन दिया गया था, किन्तु अखिलेश सिंह द्वारा आवेदकगण से उक्त राशि अर्जित कर लेने के बाद भी कोई राशि का भुगतान आवेदकगण को नहीं किया जा रहा है। उक्त के अतिरिक्त आवेदकगण पर विभिन्न बैंकों से अर्जित ऋण की किश्तों का भुगतान करने का अतिरिक्त दायित्व उत्पन्न हो गया है।अखिलेश सिंह द्वारा आवेदकगण के कम पढे लिखे एवं अबोध होने का अनुचित लाभ उठाकर योजनाबद्ध तरीके से पहले आवेदकगण को ऋण दिलाया गया। आवेदकगण के नाम पर संचालित खातों की पासबुक, चेकबुक, ए.टी.एम. कार्ड, अपने पास रख लिये गए। महिलाओं से अर्जित राशि अर्जित करने के बाद भी प्रत्येक महिला को दिये जाने योग्य प्रतिमाह रूपये 2,700 का भुगतान नहीं किया जा रहा है।