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कोरबाछत्तीसगढ़देश

केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी आज पहुंच रहे कोरबा, कोल्ड फील्ड लिमिटेड के मेगा प्रोजेक्ट दीपका गेवरा कुसमुंडा का करेंगे निरीक्षण कोयले की कमी पर होगा मंथन

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छत्तीसगढ़ कोरबा 13 अक्टूबर 2021 देशभर के विद्युत संयंत्रों में चल रहे कोयला संकट के बीच केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी का आज कोरबा आगमन हो रहा है। सुबह नौ बजे दिल्ली से विशेष विमान से रवाना होकर सुबह 11 बजे बिलासपुर पहुंचेंगे। इसके बाद 11:15 बजे हेलिकॉप्टर से सीधे गेवरा हेलीपैड पहुंचेंगे। 11:30 बजे से साउथ इस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (एसईसीएल) के मेगा प्रोजेक्ट दीपका, गेवरा व कुसमुंडा खदान का दौरा करेंगे। इस दौरान मंत्री जोशी कोयला उत्पादन व डिस्पैच बढ़ाने पर अधिकारियों के साथ मंथन करेंगे।

कोयला मंत्री के आगमन की खबर के बाद एसईसीएल प्रबंधन तैयारियों में जुट गया है। उनके साथ कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल भी मौजूद रहेंगे। कोयला मंत्री जोशी अधिकारियों की बैठक के बाद दोपहर दोपहर 2:30 बजे वापस गेवरा हेलीपैड से बिलासपुर लौटेंगे और 3:30 बजे बिलासपुर से विशेष विमान से रांची के लिए रवाना हो जाएंगे। मालूम हो कि दो माह पहले ही कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने गेवरा खदान का दौरा कर अधिकारियों की बैठक ली थी। इसके अलावा कोयला मंत्रालय की संयुक्त सचिव विस्मिता व निर्देशक तकनीक विनय रंजन भी खदानों का दौरा कर चुके हैं।

देशभर के थर्मल पॉवर स्टेशनों में कोयले की कमी और व्यापक बिजली कटौती कीआशंकाओं के बीच केंद्र सरकार ने निर्बाध बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त आपूर्ति का भरोसा दिलाया है. मामले पर मंगलवार की शाम प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी स्थिति की समीक्षा की और संबंधित पक्षों के साथ समाधान पर चर्चा की.
कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि कोल इंडिया के पास फिलहाल 22 दिनों का कोयला स्टॉक है और आपूर्ति बढ़ाई जा रही है. उन्होंने कहा, ‘हम पूरे देश को आश्वस्त करना चाहते हैं कि जरूरत के मुताबिक कोयला उपलब्ध कराया जाएगा.’ जोशी ने कहा, “हम पूरे देश को आश्वासन देना चाहते हैं कि जरूरत के मुताबिक कोयला उपलब्ध कराया जाएगा और हमें उम्मीद है कि मॉनसून खत्म होने के बाद अब कोयले की सप्लाई में तेजी से सुधार होगा. 21 अक्टूबर के बाद हम 2 मिलियन टन तक कोयले की सप्लाई करने की कोशिश करेंगे”.
सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी व्यक्तिगत रूप से स्थिति की निगरानी कर सकते हैं. कोयले की आपूर्ति और बिजली क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी सहित दीर्घकालिक समाधान की दिशा में कुछ निर्णय भी ले सकते हैं.

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