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राजनीति

छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनावी रण में अब दूसरे चरण के चुनाव का समीकरण यहां के स्थानीय मुद्दों के पर निर्भर रहेगा

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छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनावी रण में अब दूसरे चरण के चुनाव का समीकरण यहां के स्थानीय मुद्दों के पर निर्भर रहेगा। बस्तर संभाग की 12 और दुर्ग संभाग की आठ समेत 20 सीटों पर मतदान संपन्न होने के बाद दूसरे चरण का चुनाव 17 नवंबर को 70 सीटों पर होगा। इनमें सरगुजा संभाग की 24, रायपुर संभाग की 20, बिलासपुर संभाग की 24 और दुर्ग संभाग की 12 सीटें शामिल हैं। कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दल अपने घोषणा पत्रों के धान, किसान, बोनस, कर्ज माफी, महिला सशक्तीकरण जैसे मुद्दों पर प्रचार कर रहे हैं मगर जनता के स्थानीय मुद्दे भी हावी हैं। राजनीतिक प्रेक्षकाें के अनुसार ऐसे कई स्थानीय मुद्दे भी दूसरे चरण में प्रभावी हाेंगे जिन्हें घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया गया है।

राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों का जमकर तड़का लग रहा है। दलों के का शीर्ष नेतृत्व यहां पूरी ताकत लगा दिया है। राजनीतिक दलों के प्रमुख स्टार प्रचारक जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण को देखते हुए मोर्चे पर उतार रहे हैं। नईदुनिया ने कुछ मतदाताओं से उनका रुख जाना, उन्हाेंने अपने क्षेत्र की मौजूदा जरूरतों और अगले चुनाव में वोट देने की प्राथमिकताओं के बारे में अवगत कराया। रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और सरगुजा चारों संभागों में मतदाताओं के लिए शिक्षा-स्वास्थ्य, रोजगार और महंगाई से निजात तीन बड़ी प्राथमिकताएं हैं। प्रदेश में पांच संभाग हैं इनमें बस्तर संभाग में वोटिंग हो चुकी है।

प्रदेश के सबसे बड़े बिलासपुर संभाग के आठ जिलों के अंतर्गत आने वाली 24 विधानसभा सीटें हैं। शहरी इलाकों में ला एंड आर्डर की स्थिति खराब होने, भू-माफिया के सक्रिय होने के कारण यहां बड़ा मुद्दा है। गांव में बीपीएल सर्वे सूची, अतिक्रमण, धान खरीदी केंद्र और राशन दुकानें प्रमुख मुद्दे हैं। वहीं जांजगीर-चांपा, कोरबा, रायगढ़ में बिजली संयंत्रों से उड़ती राख बड़ा मुद्दा है। वर्तमान में यहां 13 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं। सात सीटें भाजपा के पास, दो छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) और दो सीटें बहुजन समाज पार्टी के पास हैं।

सरगुजा संभाग: हाथी का आतंक और रेल सुविधा बड़ा मुद्दा

सरगुजा संभाग की बात करें तो यहां 200 से अधिक गांव जंगली हाथियों से प्रभावित हैं। इस सीजन में धान सहित दूसरी फसलों को खाने के लिए जंगल छोड़कर आबादी क्षेत्रों के नजदीक पहुंच जाते हैं। अभी भी सरगुजा को छोडकर संभाग के दूसरे जिलों में जंगली हाथियों के अलग – अलग दल स्वच्छंद विचरण कर रहे हैं। सरगुजा में रेल विस्तार की मांग बड़ा आंदोलन होते रहे हैं। इस संभाग की सभी 14 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं।

दुर्ग और दुर्ग संभाग: पेयजल, प्रदूषण बड़ा मुद्दा

रायपुर-दुर्ग में पेयजल और प्रदूषण सबसे बड़ा मुद्दा है। इसके अलावा बेहतर कानून-व्यवस्था, शहरों में सफाई और किसानों के खाद-बीज का मुद्दा। रायपुर के उरला, सिलतरा में प्रदूषण की मार से लोग परेशान हैं। इसी तरह बिरगांव में पानी की किल्लत बड़ा मुद्दा है। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में दुर्ग संभाग की कुल 20 में से 18 सीटों पर कांग्रेस का परचम लहराया था। जबकि भाजपा दो सीटों पर सिमट गई थी। जबकि रायपुर संभाग की बात करें तो यहां की 20 सीटों में से 14 सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं। पांच सीटें भाजपा के पास, एक छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) के पास है।

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