कोरबा जिले में एनटीपीसी प्रबंधन के रवैए से परेशान भूविस्थापितों ने अब एनटीपीसी गेट पर ताला जड़ने उग्र आंदोलन करते हुए विरोध दर्ज कराने की घोषणा कर दी है
प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करते हुए भूविस्थापितों ने बताया कि लगातार तीन महीनों से अधिक अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करने के बावजूद भी विस्थापितों को उनके जमीन के एवज में रोजगार एवं मुआवजा नहीं मिल पाया है अनिश्चितकालीन धरने के दौरान ना तो एनटीपीसी प्रबंधन ने उनकी सुध ली और ना ही छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री एवं स्थानीय विधायक जयसिंह अग्रवाल ने भू विस्थापितों के दर्द को समझा
भू विस्थापितों का गुस्सा स्थानीय विधायक एवं राजस्व मंत्री पर भी उतरा उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय विधायक एवं मंत्री जयसिंह अग्रवाल राजनीति के आड़ में अपने चहेते ठेकेदारों को एनटीपीसी में ठेका कार्य दिलाते हैं और गरीब भूविस्थापितों के न्याय के लिए सामने नहीं आ रहे हैं
विस्थापितों ने बताया कि एनटीपीसी कोरबा द्वारा सन 1978 -79 में जिन गांवों की जमीन 2000 मेगावाट विद्युत ताप परियोजना के लिए अधिग्रहण की गई थी और उसमें 300 से अधिक परिवार प्रभावित हुए थे जिसमें से प्रबंधन द्वारा मात्र 38 परिवार के सदस्यों को नौकरी दी गई उसमें भी 14 लोगों को सहकारी समिति का ठेका कार्य दिया गया और बचे 248 परिवारों को प्लांट विस्तार के बाद भी नौकरी नहीं दी गई और लगातार 40 वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी प्रबंधन एनटीपीसी प्लांट में नौकरी की जगह रिक्त नहीं होने की जानकारी देते हुए प्रशासन एवं विस्थापितों को गुमराह कर रहा है
भूविस्थापित प्रहलाद केवट
जिसके चलते भू विस्थापितों ने अब 24 जुलाई को एनटीपीसी गेट का ताला जड़ते हुए उग्र प्रदर्शन और विरोध करने के संबंध में सूचना पत्र राष्ट्रपति से लेकर 36 गढ़ के विभिन्न मंत्रियों एवं प्रशासनिक विभागों के अधिकारियों को देते हुए चरणबद्ध आंदोलन की चेतावनी दी है