संभल के अलावा मुगलों-तुर्कों की बनाई इन 10 मस्जिदों के मंदिर होने का है दावा, कांग्रेस सरकार का कानून क्यों चाहती है जमीयत
संभल ,उत्तर प्रदेश में संभल की मस्जिद के सर्वे को लेकर विवाद के बाद हिंसा भड़क उठी थी। अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी है। जमीयत की मांग है कि 1991 का ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’ को पूरी तरह लागू किया जाए। दरअसल, संभल की हिंसा एक मस्जिद पर हिंदू मंदिर होने के दावे के बाद सर्वे के आदेश के बाद हुई। जानते हैं कि देश में ऐसे कितने मस्जिद हैं, जिन्हें लेकर विवाद है। ये भी जानते है कि कांग्रेस के शासन के दौरान ऐसा कौन सा कानून लाया गया था, जिसे सौ फीसदी लागू करने की वकालत जमीयत कर रही है। समझते हैं पूरा मसला।
याचिका में हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही जामा मस्जिद हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। यहां के खंभे मंदिर होने की दावे को मजबूत बनाते हैं। यह भी दावा किया जा रहा है कि यही वो स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि अवतार लेंगे। इस दावे का आधार बाबरनामा को बताया जा रहा है, जिसे खुद मुगल बादशाह बाबर ने लिखी थी। दावा है कि 1529 में शाही जामा मस्जिद का निर्माण बाबर के एक सिपहसालार मीर बेग ने करवाया था। इस मीर बेग को ही मीर बाकी बताया जा रहा है, जो बाबर के जमाने में अवध का मुगल गवर्नर था। जिसने 1528 में अयोध्या में रामजन्मभूमि की जगह बाबरी मस्जिद बनवाई थी। यह मसला हल हो चुका है।
मार्च, 2018 में उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रह चुके वसीम रिजवी ने उन विवादित मस्जिदों के स्थलों को हिंदुओं को लौटाने की अपील की थी, जिन्हें मंदिरों को तोड़कर बनाए जाने का आरोप है।
रिजवी की लिस्ट में ये 9 विवादित मस्जिदें थीं-अयोध्या की बाबरी मस्जिद, मथुरा की ईदगाह मस्जिद, वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद, जौनपुर में अटाला मस्जिद, गुजरात के पाटन में जामी मस्जिद, अहमदाबाद में जामा मस्जिद, पश्चिम बंगाल के पांडुआ में अदीना मस्जिद, मध्य प्रदेश के विदिशा में बीजा मंडल मस्जिद और दिल्ली की कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद। इसके अलावा, ताजमहल को लेकर भी विवाद होता रहता है।
हालांकि, बाद में वसीम रिजवी ने इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया। उन्होंने पहले अपना नाम जितेंद्र नारायण त्यागी रखा था, मगर इसी साल अक्टूबर में फिर अपना नाम बदलकर ठाकुर जितेंद्र सिंह सेंगर कर लिया है।
वाराणसी में काशी-विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद चल रहा है। माना जाता है कि 1699 में मुगल शासक औरंगजेब ने मूल काशी विश्वनाथ मंदिर को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी। काशी विश्वनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था। यहां से मस्जिद को हटाए जाने को लेकर पहली याचिका 1991 में दाखिल हुई थी। 2019 में मस्जिद के आर्कियोलॉजिकल सर्वे को लेकर याचिका दाखिल हुई थी। यह मामला भी कोर्ट में है।