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राजनीति

छत्‍तीसगढ़ की इन नौ सीटों पर कांग्रेस के किले में सेंध लगाने भाजपा ने बनाई खास योजना, छह पर उतारे नए उम्मीदवार

भाजपा ने छत्तीसगढ़ में 15 वर्षों तक शासन किया मगर प्रदेश की नौ विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर भाजपा को एक बार भी जीत हासिल नहीं हुई। वर्ष 2000 में राज्य के गठन के बाद से अब तक जिन नौ सीटों में भाजपा हारती रही है। इनमें सीतापुर, पाली-तानाखार, मरवाही, मोहला-मानपुर और कोंटा जो कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जबकि शेष चार खरसिया, कोरबा, कोटा और जैजैपुर – सामान्य निर्वाचन क्षेत्र हैं। मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद भाजपा राज्य में 2003, 2008 और 2013 में लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीती और क्रमशः 50, 50 और 49 सीटें हासिल कर सरकार बनाई।

पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 68 सीटें जीतकर डा. रमन सिंह सरकार की बढ़त रोक दी थी। भाजपा की सीटें सिमट 15 पर आ गईं। भाजपा ने उन सीटों पर उम्मीदवारों के चयन पर विशेष ध्यान दिया है जिन पर वह कभी नहीं जीती है। इस बार यहां छह सीटों पर नए प्रत्याशी उतारे गए हैं। दावा किया जा रहा है कि भाजपा यहां जीतेगी। भाजपा सांसद और पार्टी की चुनाव अभियान समिति के संयोजक संतोष पांडेय ने कहा कि जो भी सीटें हम नहीं जीत पाए थे। इस बार हमने ऐसे प्रत्याशी खड़े किए हैं। भाजपा के पक्ष में परिणाम आएगा।

कांग्रेस इन सीटों पर नहीं जीत पाई

भाजपा की तरह, कांग्रेस को अभी भी तीन सीटों – रायपुर दक्षिण, वैशाली नगर और बेलतरा पर जीत हासिल करना बाकी है, जो राज्य के गठन के बाद 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थीं।

कोंटा: राज्य के उद्योग मंत्री कवासी लखमा पांच बार के विधायक हैं। नक्सल प्रभावित कोंटा सीट पर 1998 से अजेय हैं। भाजपा ने यहां नए चेहरे सोयम मुक्का को मैदान में उतारा है। इस सीट पर ज्यादातर कांग्रेस, भाजपा और सीपीआइ के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला है। 2018 के चुनाव में लखमा को 31,933 वोट मिले, जबकि भाजपा के धनीराम बारसे और सीपीआई के मनीष कुंजाम को क्रमशः 25,224 वोट और 24,549 वोट मिले।

सीतापुर: सरगुजा संभाग से मंत्री अमरजीत भगत राज्य गठन के बाद से ही सीतापुर निर्वाचन क्षेत्र से जीतते रहे हैं। यहां भाजपा ने सीआरपीएफ से इस्तीफा देकर पार्टी में शामिल हुए राम कुमार टोप्पो (33) को उम्मीदवार बनाया है।

खरसिया: कांग्रेस सरकार के मंत्री उमेश पटेल, खरसिया सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। न केवल राज्य के गठन के बाद से, बल्कि 1977 में मध्य प्रदेश के हिस्से के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है। 2013 में बस्तर में झीरम घाटी नक्सली हमले में मारे गए तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष व उमेश पटेल के पिता नंद कुमार पटेल इस सीट से पांच बार चुने गए थे। खरसिया से बीजेपी ने नए चेहरे महेश साहू को

मरवाही: 2018 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) मरवाही सीट से जीती थीं। 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के बाद कांग्रेस सरकार के पहले मुख्यमंत्री बने अजीत जोगी ने 2001 में मरवाही से उपचुनाव जीता। बाद में उन्होंने 2003 और 2008 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में यह सीट जीती। 2013 में, उनके बेटे अमित जोगी ने मरवाही से सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा और 2018 में अजीत जोगी अपने नवगठित संगठन जेसीसी (जे) के टिकट पर यहां से मैदान में उतरे और जीत हासिल की। हालांकि 2020 में अजीत जोगी की मृत्यु के कारण उपचुनाव में कांग्रेस ने इस निर्वाचन क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया। मरवाही से भाजपा ने प्रणव कुमार मरपच्ची को मैदान में उतारा है।

पाली-तानाखार: इस सीट पर भाजपा ने राम दयाल उइके को मैदान में उतारा है। उइके 1998 में मारवाही सीट से भाजपा विधायक के रूप में चुने गए थे, बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उन्होंने अजीत जोगी के छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद विधानसभा में उनके प्रवेश का मार्ग प्रशस्त करने को अपनी सीट खाली कर दी थी। कांग्रेस ने दुलेश्वरी सिदार को मैदान में उतारा है।

कोरबा: बघेल सरकार के मंत्री जयसिंह अग्रवाल कोरबा निर्वाचन क्षेत्र में 2008 से अजेय हैं। भाजपा ने पूर्व विधायक लखनलाल देवांगन को मैदान में उतारा है।

जैजैपुर: इस सीट पर वर्तमान में दो बार के बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक केशव चंद्रा के पास है। कांग्रेस ने अपने जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बालेश्वर साहू और भाजपा ने अपने जिला इकाई प्रमुख कृष्णकांत चंद्रा को मैदान में उतारा है।

मोहला-मानपुर: इस सीट पर कांग्रेस ने निवर्तमान विधायक इंद्रशाह मंडावी को मैदान में उतारा है, जबकि पूर्व विधायक संजीव शाह भाजपा की ओर से मैदान में हैं।

कोटा: अजीत जोगी की पत्नी रेणू जोगी ने 2006 में कांग्रेस विधायक राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की मृत्यु के बाद कोटा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने 2008 और 2013 के चुनावों में सीट जीती और 2018 में जेसीसी (जे) के उम्मीदवार के रूप में चौथी बार सीट जीती। भाजपा ने कोटा नए चेहरे प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को उतारा है।

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