कोरबा। जिला कोरबा में डीएमएफ और सीएसआर को भ्रष्टाचार का केन्द्र बिंदु बना दिया गया है। व्यापक पैमाने पर विकास कार्यों की राशि को अधिकारियों ने मिलीभगत कर बंदरबांट कर लिया है। कुछ इसी तरह का मामला जिला परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा (डीएमसी) में 100 करोड़ से अधिक के फाईल गायब हुआ है।विभाग में स्वामी आत्मानंद स्कूल से संबंधित कोई भी फाइल कार्यालय में नहीं है। क्योंकि यह मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। 42 आत्मानंद स्कूलों के नाम पर यह फर्जीवाड़ा पूर्व डीएमसी संजय सिंह के कार्यकाल में किया गया है। जिले में पदस्थ रहे पूर्व कलेक्टर की भूमिका से भ्रष्टाचार में इंकार नहीं किया जा सकता। इस मामले को लेकर लगातार खबर प्रकाशित किया जाता रहा है। कोरबा प्रवास के दौरान प्रदेश के डिप्टी सीएम अरूण साव के संज्ञान में भी भ्रष्टाचार का यह मामला लाया गया। मीडिया से चर्चा के दौरान 100 करोड़ से अधिक के फाईल गायब करके भ्रष्टाचार किया गया है। वही डीएमसी से फाईल गायब होने के सवाल पर श्री साव ने कहा कि आपने मेरे संज्ञान में यह मामला लाया है। इस संबंध में अधिकारियों से चर्चा कर पूर्ण जानकारी ली जाएगी। इससे स्पष्ट है कि अब डिप्टी सीएम के संज्ञान में मामला आने के बाद जांच के आदेश जल्द दिए जा सकते हैं। गौरतलब है कि 100 करोड़ से अधिक के फाईल के गायब होने की बात मौजूदा डीएमसी मनोज पाण्डेय स्वीकार कर चुके हैं। हैरत की बात तो यह है कि इसके बाद भी संबंधित डीएमसी द्वारा मामला कलेक्टर के संज्ञान में लाकर एफआईआर दर्ज कराने की कार्यवाही नहीं की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि पूर्व कलेक्टर अपने भ्रष्टाचार के कारनामों की फाईल लेकर चले गए हैं। निश्चित ही अब डिप्टी सीएम के संज्ञान में मामला आने के बाद भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है। जिस तरह से भाजपा के सत्ता में लौटते ही कई मामलों में जांच के आदेश दिए गए हैं। माना जा रहा है कि कोरबा के इस बड़े भ्रष्टाचार के मामले में भी जल्द ही जांच के आदेश दिए जा सकते हैं। जांच हुई तो निश्चित ही यह कोरबा जिले के भ्रष्टाचार के इतिहास में सबसे बड़े भ्रष्टाचारों में से एक हो सकता है।