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देश

‘पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने खिड़की खोली’, संभल और अजमेर दरगाह मामले में कांग्रेस और क्या-क्या बोली

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संभल ,कांग्रेस ने सोमवार को उपासना स्थल अधिनियम- 1991 को पूरी तरह से लागू करने की मांग उठाई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अफसोस की बात है कि 20 मई 2022 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने कुछ मौखिक अवलोकन किया। उससे एक खिड़की खुल गई।

उन्होंने कहा कि मगर 1991 में बने कानून को लगना करना अनिवार्य है। जयराम रमेश ने कहा कि हाल ही में सामने आए विभिन्न विवाद जैसे कि संभल में एक मस्जिद और अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर दावा दुर्भाग्यपूर्ण है।

जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने शुक्रवार को अपनी सीडब्ल्यूसी बैठक में पूजा स्थल अधिनियम- 1991 के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई है। यही हमारी स्थिति है। हम इस मुद्दे को उठाएंगे। मगर इसके लिए सबसे जरूरी है कि संसद को काम करने दिया जाना चाहिए।

कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कहा गया कि, “पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम- 1991 का भाजपा खुलेआम उल्लंघन कर रही है। सीडब्ल्यूसी ने चार विधानसभा चुनावों के परिणामों के बाद कांग्रेस के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की। कांग्रेस कार्यसमिति का यह प्रस्ताव उत्तर प्रदेश के संभल में मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के कुछ दिनों बाद आया है। संभल हिंसा में चार लोगों की जान गई है।

इस बीच अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में मंदिर होने का दावा एक याचिका में किया गया है। यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दाखिल की है। उनका दावा है कि दरगाह मूलरूप से एक शिव मंदिर था। अब अजमेर की सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नोटिस जारी किया है।

यह अधिनियम 15 अगस्त 1947 तक मौजूद धार्मिक स्थलों में बदलाव को रोकता है। 20 मई 2022 को शीर्ष अदालत ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े विवाद की सुनवाई करते हुए मौखिक टिप्पणी की और कहा कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम के तहत पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र का पता लगाना प्रतिबंधित नहीं है।

संसद स्थगित होने पर जयराम रमेश ने कहा कि ताला सरकार ने लगाया है। पिछले पूरे हफ्ते और आज सदन को सुबह 11 बजे के बाद कुछ ही मिनटों में स्थगित कर दिया गया। सरकार नहीं चाहती कि सदन चले। विपक्ष ने अडाणी, संभल, अजमेर, मणिपुर और कई अन्य मुद्दों पर नोटिस दिए हैं। हम इन मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं। मगर हमें बोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

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