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कोरबाछत्तीसगढ़

पदोन्नत प्रधानपाठक प्राथमिक शाला की पदस्थापना में डीईओ कार्यालय कोरबा के उच्च अधिकारियों ने किया भ्रष्टाचार ,पात्र की जगह अपात्र की पोस्टिंग कर हाईकोर्ट को दी मिथ्या जानकारी ,बीमार आवेदिका ने सनसनीखेज आरोप लगा ,कलेक्टर से लगाई न्याय की गुहार ,देखें शिकायत पत्र …….

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Netagiri.in–कोरबा। सहायक शिक्षक से प्रधानपाठक प्राथमिक शाला के पद पर पदोन्नत शिक्षकों की पदांकन (पदस्थापना) प्रक्रिया में शिक्षा विभाग (जिला स्तरीय काउंसलिंग कमेटी )द्वारा निजी स्वार्थ के लिए की गई नियमों की अनदेखी का मामला अभी तक नहीं थमा। हार्ट पेशेंट पात्र प्रधानपाठिका को संकुल के पांचों स्कूलों में पदस्थापना न

देकर संकुल से बाहर कर खदान क्षेत्र से लगे स्कूल में पदस्थ किए जाने एवं दूसरे ब्लॉक के महिला प्रधानपाठिका की पदस्थापना करने से से आहत पीड़ित प्रधानपाठिका ने हाईकोर्ट को डीईओ कार्यालय द्वारा मिथ्या जानकारी देकर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कलेक्टर से न्याय दिलाए जाने की गुहार लगाई है। पदस्थापना प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का सीधे आरोप लगाकर शिक्षिका ने खलबली मचा दी है ।

कलेक्टर को मंगलवार को की गई शिकायत पत्र में पीड़ित प्रधानपाठिका सावित्री जायसवाल ने उल्लेख किया है कि वो कटघोरा ब्लॉक के प्राथमिक शाला दीपका में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत थीं। 25 अप्रैल 2023 को सहायक शिक्षक से प्रधानपाठक प्राथमिक शाला के पद पर पदोन्नत प्रधानपाठकों की विद्युत गृह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक -01 में काउंसलिंग आयोजित की गई थी। जिसमें वो अपने संकुल के 5 विद्यालय की इकलौती दावेदार थी साथ ही हार्ट पेशेंट और पूरे कोरबा जिले में वरिष्ठता में भी सूची में 74वें स्थान पर थीं। उसके बावजूद भी उच्च अधिकारियों द्वारा उन्हें उनके संकुल के किसी भी स्कूल में पदस्थ नहीं किया गया। पाली ब्लॉक व अन्य संकुल से उनके संकुल को नियम विरुद्ध करते हुए भर दिया गया । पीड़ित प्रधानपाठिका ने लेख किया है कि वो बार बार उच्चाधिकारियों से गुहार लगाती रही कि उसे उसके संकुल के किसी भी विद्यालय में स्थान दिया जावे। आवेदिका के अनुसार उनकी पात्रता को नजर अंदाज करते हुए गलत तरीके से पदस्थापना किया गया । बार बार न्याय के लिए गुहार लगाने पर भी उन्हें नजरअंदाज कर दिया । आवेदिका ने परेशान होकर उच्च न्यायालय का शरण ली तो जिला शिक्षा अधिकारी ने हाईकोर्ट को मिथ्या जानकारी देकर गुमराह किया है। डीईओ कार्यालय ने हाईकोर्ट को जवाब दिया है कि तीन विद्यालय में दिव्यांग ,चौथे में गंभीर बीमारी और पांचवे में वहीं की पदस्थ शिक्षिका का पदस्थापना किया गया । आवेदिका के अनुसार जिला शिक्षा अधिकारी ने कोर्ट को झूठा जवाब दिया है ।जबकि वास्तविकता यह है कि तीन स्थान पर दिव्यांग ,चौथे में पाली ब्लाक की
वरिष्ठता क्रमांक 820 की
प्रधानपाठिका जिनका ब्रेस्ट कैंसर जो ठीक हो चुका है का व पांचवे स्थान पर इसी विद्यालय की पदस्थ शिक्षिका का पदस्थापना किया जाना बताया गया है। आवेदिका सावित्री जायसवाल के अनुसार शिक्षिका अन्य संकुल घुड़देवा के भैरोताल स्कूल में पदस्थ थीं। जिनकी पदस्थापना नियमों की अनदेखी कर उनके दीपका संकुल में कर दिया गया है । इस तरह आवेदिका ने अपने साथ सरासर अन्याय होने का लेख कर उच्च अधिकारियों पर प्रकरण में लेन देन का आरोप लगाया है । वो व्यवस्था में न आ सकीं तो उन्हें अन्य संकुल में पदस्थ कर दिया है । आवेदिका ने मजबूरी में पदभार ग्रहण किए अपने कार्यस्थल पर बीमारी की वजह एवं भारी वाहनों के चलने से आवागमन में परेशानी हो रही है ।सिस्टम से व्यथित पीड़ित आवेदिका ने कलेक्टर से न्याय की गुहार लगाई है।

1145 पदों पर दी गई थी पदोन्नति

यहां बताना होगा कि शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक एलबी ई /टी संवर्ग के शिक्षकों को प्रधानपाठक प्राथमिक शाला के रिक्त 1145 पदों पर पदोन्नति दी गई है।
तमाम विसंगतियों हाईकोर्ट में याचिका दायर करने हाईकोर्ट ,डीपीआई के निर्देशानुसार अप्रैल माहांत में पदोन्नत प्रधानपाठकों के पदांकन की प्रक्रिया पूरी की जा सकी थी।

काउंसलिंग स्थल पर ही हुई थी आपत्ति किया दरकिनार

पीड़ित प्रधानपाठिका सावित्री जायसवाल सहित अन्य ने काउंसलिंग में नियमों की अनदेखी पर काउंसलिंग स्थल पर ही आपत्ति की थी। हंगामे मामला में उजागर होने के बाद कुछ संसोधन किया गया था लेकिन सावित्री के साथ यहां भी छलावा हुआ। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो क्षेत्र के कद्दावर जनप्रतिनिधि के चेहतों को नियम विरुद्ध मनचाहे जगह पर पदस्थापना दी गई।

मंत्री ने नहीं लिया संज्ञान ,अफसर भी मेहरबान

कोरबा जिले में शिक्षा विभाग का कामकाज पिछले सवा साल से औसत दर्जे का रहा है । जबकि यह आँकाक्षी जिला है । डीईओ बीईओ न फील्ड का निरीक्षण करते न विभागीय कार्यों योजनाओं में पारदर्शिता रह गई । बावजूद इसके आज पर्यन्त विभागीय मंत्री का ध्यान कोरबा की ओर कहीं नहीं गया न ही जिम्मेदार अफसरों ने सुध ली ।

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