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कोरबाछत्तीसगढ़राजनीति

श्रीमती कौशल्या महतो पंचतत्व में हुई विलीन

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कोरबा—आज पूरा कोरबा अंचल समाजसेवी और जनसेवक श्रीमती कौशल्या महतो के अंतिम दर्शन करने उमड़ पड़ा। कोरबा जिले में शोक लहर छाई हुई हैं। जब समाजसेवी और जनसेवा के प्रति समर्पित श्रीमती कौशल्या महतो पंचतत्व में विलीन हुई मानो ऐसा लगा की आज पूरा अंचल मोतीसागर मुक्तिधाम में उनको अंतिम विदाई देने आया हैं। कोरबा अंचल के लब्धख्याति चिकित्सक और पूर्व सांसद स्वर्गीय डॉ. बंशीलाल महतो की धर्मपत्नी, भाजपा के प्रदेश मंत्री विकास रंजन महतो एवं अंचल के दंत चिकित्सक विकास रंजन महतो की माता कौशल्या देवी महतो 73 वर्ष का निधन 09 सितंबर को हैदराबाद में इलाज के दौरान हो गया था। उनका अंतिम संस्कार 10 सितंबर को मोतीसागर मुक्तिधाम में अत्यंत भावुक माहौल में संपन्न हुआ।
अंतिम संस्कार के दौरान पूरे कोरबा ने समाजसेविका कौशल्या देवी महतो को विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज की। जैसे ही उनकी अंतिम यात्रा मोतीसागर मुक्तिधाम की ओर बढ़ी, शहर के हर कोने से लोग उमड़ पड़े। विलाप करती भीड़, नम आंखों और भारी दिलों के साथ, मानो पूरी कोरबा की धड़कन धीमी पड़ गई हो।
मोतीसागर मुक्तिधाम में उमड़ी भीड़, श्रीमती महतो के जीवन के प्रति जनता की श्रद्धा और सम्मान का प्रमाण थी। हवाओं में गूंजते मंत्रोच्चार और भरी हुई सिसकियों के बीच, उनके पुत्र विकास रंजन महतो ने उन्हें मुखाग्नि दी।
उनकी अंतिम यात्रा में शहर के अनेक प्रभुद्ध जन, प्रतिष्ठित व्यक्ति, भाजपा कार्यकर्ता, समाज के विभिन्न वर्गों के लोग और असंख्य जनसाधारण उपस्थित थे, जिन्होंने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। यह केवल एक व्यक्ति का अंत नहीं था, बल्कि एक संपूर्ण युग का अवसान था, जिसने जीवनभर मानवता और परोपकार के आदर्शों को जीया और समाज के लिए अपनी अमूल्य सेवा दी।
श्रीमती कौशल्या महतो का जीवन एक प्रेरणास्रोत रहा, जिन्होंने न केवल अपने पति स्व. डॉ. बंशीलाल महतो के साथ जनसेवा के कार्यों में अपना पूरा जीवन समर्पित किया, बल्कि खुद भी समाज सेवा में अग्रणी भूमिका निभाई। गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों के लिए उनका स्नेह और सेवा भावना सदैव याद की जाएगी। उनका हर कदम सेवा के मार्ग पर बढ़ा और उनके हर कार्य में दूसरों का भला करने की भावना प्रबल रही।
श्रीमती कौशल्या महतो ने अपने पति के साथ गरीबों के लिए चिकित्सा और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की और उनके निधन के बाद भी समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी को निभाया। उनके साथ बिताए हर पल को याद कर आज शहर ने एक ऐसी आत्मा को विदाई दी, जिसने अपना जीवन दूसरों के लिए जीया।
उनके निधन से कोरबा में एक गहरी शून्यता आ गई है, जिसे भरना आसान नहीं होगा। लेकिन उनके द्वारा किए गए महान कार्यों की छाया में, उनका नाम और उनकी विरासत सदैव जीवित रहेगी। उनकी विनम्रता, सेवा, और समाज के प्रति उनका समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

10 सितंबर / मित्तल वेद

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