दिल्ली तक गरमाई सियासत छत्तीसगढ़ जगदलपुर सीट पर उम्मीदवार के चयन को लेकर मंथन अभी जारी है
छत्तीसगढ़ के बस्तर की 12 विधानसभा सीटों में से 11 पर कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। एकमात्र सामान्य जगदलपुर सीट की टिकट ही अटक गई है। इससे बस्तर के ‘दिल’ यानी जगदलपुर को लेकर दिल्ली तक सियासत गरमाई हुई है।
पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस एकजुट होकर लड़ी थी, लेकिन आज यहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव का खेमा बन गया है। इनके अलग-अलग दावेदार भी हैं। इस वजह से इस सीट पर निर्णय लेने में दस जनपथ भी समय ले रहा है।
दरअसल, ढाई-ढाई वर्ष के मुख्यमंत्री पद को लेकर लंबे समय तक चले विवाद के बाद से ही यहां कका मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और बाबा उप मुख्यमंत्री टीएस सिंह के समर्थकों का अलग-अलग खेमा बन गया है। अब जबकि सांसद दीपक बैज प्रदेश अध्यक्ष बन गए हैं तो जगदलपुर सीट से प्रत्याशी चयन में उनकी पसंद के भी सम्मिलित हो जाने से कांग्रेस की मुश्किल और बढ़ गई है। कई दौर की बैठक के बाद भी किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाने के कारण आखिरकार कांग्रेस हाईकमान को यहां के लिए दखल देनी पड़ रही है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार दस जनपथ में प्रत्याशी चयन को लेकर पिछले दिनों हुई बैठक के दौरान भी जगदलपुर सीट को लेकर तनाव की स्थिति बन गई थी। मंगलवार को दिल्ली में फिर प्रत्याशी चयन को लेकर केंद्रीय समिति की बैठक हो रही है, जिसमें शामिल होने के लिए भूपेश बघेल, सिंहदेव, दीपक बैज व विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत पहुंचे हुए हैं। बता दें कि भाजपा ने जगदलपुर सीट से किरण देव को प्रत्याशी बनाया है।
ऐसे बदला समीकरण
पिछले बुधवार को केंद्रीय कार्य समिति की बैठक में जगदलपुर सीट के लिए विधायक रेखंचद जैन, राजीव शर्मा, मलकित सिंह गैदू व जतीन जायसवाल का नाम रखा गया था। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजीव शर्मा के नाम को आगे बढ़ाना चाहते थे। उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने जतीन जायसवाल व दीपक बैज ने मलकीत सिंह गैदू का नाम आगे कर दिया।
इस बीच एक केंद्रीय नेत्री की दखल के बाद मलकीत सिंह गैदू का नाम तय भी कर दिया गया था लेकिन अंतिम समय में जगदलपुर सीट से प्रत्याशी की घोषणा रोक दी गई। बस्तर के दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे, तब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश उपाध्यक्ष थे। ऐसा बताया जाता है कि कर्मा के करीबी मिथिलेश स्वर्णकार व मुख्यमंत्री बघेल की घनिष्ठता की कहानी कर्मा बंगले से ही शुरू हुई।