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देश

ब्राह्मण सीएम के नीचे दो मराठा, नहीं चलेगा…प्रपोजल ठुकराकर नाराज शिंदे चले गांव, महायुति की मीटिंग भी टली

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मुंबई: महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आए 6 दिन बीत चुके हैं और सीएम का फैसला अधर में लटका है। तीन दिनों की चुप्पी के बाद एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के सीएम कैंडिडेट को समर्थन देने का ऐलान तो किया, मगर शर्तों से महायुति का संकट गहरा दिया। बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को मनाने के लिए कई प्रस्ताव बनाए, मगर वह नहीं माने। दिल्ली में अमित शाह के आवास पर तीन घंटे चली मैराथन मीटिंग में भी कोई फैसला नहीं हो सका। शुक्रवार को मुंबई में प्रस्तावित गठबंधन की बैठक भी टाल दी गई।

रिपोर्टस के मुताबिक, गुरुवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मीटिंग में यह साफ किया गया कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे। बीजेपी ने शिंदे के सामने एक बार डिप्टी सीएम बनने की चर्चा की। उन्हें बताया गया कि डिप्टी सीएम का पद लेने से महायुति की एकता का संदेश जाएगा। उन्हें फडणवीस के साथ अन्य दिग्गज नेताओं के बारे में बताया गया, जिन्होंने बड़े पद पर रहने के बावजूद दूसरी जिम्मेदारी ली। इस दलीलों से शिंदे नहीं माने। अब शिवसेना नेताओं नई दलील दी है। शिवसेना का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस जाति से ब्राह्मण हैं। उनके नीचे दो मराठा नेता अजित पवार और एकनाथ शिंदे को डिप्टी के तौर से रखना राजनीतिक भूल साबित हो सकती है। मराठा वोटरों को यह रास नहीं आएगा। शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि शिंदे कभी डिप्टी सीएम का पद स्वीकार नहीं करेंगे।

बीजेपी अजित पवार के समर्थन पर सरकार बना सकती है, मगर वह शिंदे को खोने के पक्ष में नहीं है। नखरों के बाद भी शिवसेना और एकनाथ शिंदे बीजेपी के सबसे भरोसेमंद में शामिल हैं। बीजेपी की कोशिश है कि किसी भी हालत में शिंदे सरकार का हिस्सा बन जाएं। सीएम पद छोड़ने के एवज में एकनाथ शिंदे भी बड़े मोलभाव की तैयारी में हैं। शिंदे को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में बड़े मंत्रालय का ऑफर दिया गया, उसे भी उन्होंने ठुकरा दिया। राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे किसी भी सूरत में महाराष्ट्र छोड़ने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने बीजेपी से विधान परिषद के सभापति का मांगा है। साथ ही, गृह मंत्रालय को लेकर भी वह अड़े हैं। एकनाथ शिंदे के करीबी संजय शिरसाट ने बताया कि शिंदे महाराष्ट्र के नए मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं, मगर सीएम पद के बाद डिप्टी सीएम बनना उन्हें मंजूर नहीं है। शिवसेना किसी दूसरे नेता को डिप्टी सीएम बना सकती है।

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