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कोरबाछत्तीसगढ़

अंधेरों से घिर गई जिंदगी में उम्मीद की आस लेकर जनदर्शन पहुंची बेसहारा महिला तीन मासूम बच्चे एक वृद्ध की है जिम्मेदारी

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छत्तीसगढ़ कोरबा 1 दिसंबर 2021 कहते हैं कि जीवन जब तक है तब तक संघर्ष है लाइफ हमेशा आसानी से नहीं गुजरती हर दिन कोई न कोई संघर्ष या चुनौती लाइफ में आती रहती है ऐसा ही कुछ हल्दी बाजार क्षेत्र के ग्राम बोइदा के ग्राम झांझ निवासी 26 वर्षीय महिला सरिता बाई जगत के साथ हो रहा है मुसीबत के थपेड़ों ने उसे दुख के समुंदर में धकेल दिया है सरिता के पति कि महज 29 साल में हार्टअटैक से बीते 11 महीने पूर्व मृत्यु हो गई दो मासूम बेटे और एक बेटा गर्भ में था जब सरिता के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा पति महेंद्र पाल जोकि एनटीपीसी सीपत रेलवे लाइन में ठेका मजदूर के रुप में कार्यरत था और गांव के ही समीप लोटन पारा क्षेत्र से गुजरी रेलवे लाइन में काम करता था अचानक मृत्यु होने से घर का कोई मुखिया नहीं रह गया सरिता के साथ तो पहले से ही विधवा थी ऐसे में वृद्धा सास और तीन मासूमों के पालन पोषण में असमर्थ सरिता जनदर्शन के बहाने कोरबा कलेक्टर से गुहार लगाने पहुंची हुई थी लेकिन गांव से यहां तक पहुंचने में दो-दो बार बस बदलना ऑटो से सफर करते आने में सरिता जनदर्शन में शामिल नहीं हो सकी और थकी हारी कलेक्ट्रेट गेट के बाहर अपने मासूम बच्चों और वृद्धा साथ के साथ मायूस होकर बैठ गई और समय को कोसती रही फिर बुझे मन से अपने मासूम बच्चों और वृद्धा सास के साथ गांव वापस लौट गई सरिता से बातचीत करने पर उसने बताया कि उसका पति महेंद्र पाल एनटीपीसी सीपत रेलवे लाइन में कार्य ठेका मजदूर के रूप में कार्यरत था जबकि एनटीपीसी सीपत लाइन में उनकी जमीन अधिग्रहित की गई थी और अब उनके पास जीविकोपार्जन के लिए ना तो कोई जमीन है ना गांव देहात में किसी तरह का काम ऐसे में अगर उसे भी एनटीपीसी प्रबंधन कोई काम मुहैया करा देता तो वह अपने तीन मासूम बच्चों और वृद्धा सास का पालन पोषण कर पाती इसी उम्मीद से वह कोरबा कलेक्टर से मिलकर गुहार लगाने पहुंची हुई थी

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