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निवासी न कब्जा…फिर भी बना दिया फर्जी पट्टा..! एनएच में अर्जन कर बांट दिया 56 लाख का मुआवज, कांजीपानी में भू अर्जन प्रकरण पर तत्कालीन पाली तहसीलदार पर लगा गंभीर आरोप, हो रही जांच

न निवासी न कब्जा…फिर भी बना दिया फर्जी पट्टा..! एनएच में अर्जन कर बांट दिया 56 लाख का मुआवज, कांजीपानी में भू अर्जन प्रकरण पर तत्कालीन पाली तहसीलदार पर लगा गंभीर आरोप, हो रहा जांच


कोरबा/पाली:- राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 में शामिल कटघोरा- बिलासपुर फोरलेन के भू -अर्जन मुआवजा पत्रक तैयार करने में बड़ा फर्जीवाड़ा का एक मामला सामने आ रहा है। जिसमें तत्कालीन पाली तहसीलदार व वर्तमान बेमेतरा जिले के नवागढ़ एसडीएम की कार्यशैली पर प्रभावितों ने सवाल उठाते हुए एसडीएम सह भू -अर्जन अधिकारी कटघोरा के समक्ष 4 माह पूर्व शिकायत की थी। लेकिन आज पर्यन्त तक कोई कार्यवाई नहीं हुई है। तत्कालीन तहसीलदार के गलत प्रतिवेदन की वजह से न केवल प्रभावित परिसंपत्तियों (जमीन मकान) के एवज में मिलने वाले 76 लाख की जगह 23 लाख के हकदार बने, साथ ही आज पर्यन्त मुआवजा राशि भी नहीं मिली, वहीं पंचायत में काबिज नहीं रहने वाले दीगर गांव के व्यक्ति को फर्जी पट्टा देकर रिकार्ड में भू -स्वामी दर्शाकर एनएच में अर्जित भूमि के एवज में 56 लाख रुपए मुआवजा राशि वितरण कर शासन को बड़ी राजस्व क्षति पहुंचाई गई है। उक्त गंभीर प्रकरण कलेक्टर के संज्ञान में आने के बाद उचित जांच कराए जाने बात कही जा रही है।

मामला पाली राजस्व अनुविभाग के अंतर्गत चैतमा राजस्व निरीक्षक मंडल के काँजीपानी पटवारी हल्का की है। यहाँ के प्रभावित ग्रामीणों ने राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 में शामिल कटघोरा- बिलासपुर फोरलेन के भू- अर्जन मुआवजा पत्रक तैयार करने में फर्जीवाड़ा की शिकायत 15 मार्च 2021 को अनुविभागीय अधिकारी एवं भू अर्जन अधिकारी कटघोरा से की थी। जिसके तहत शिकायतकर्ता दुकालूसिंह, मदनदास, जीवनलाल, देवलता, बदनदास, छत्रपाल एवं कार्तिक राम ने उल्लेख किया था कि वे सभी कंजीपानी के स्थाई निवासी हैं। वे सभी एनएच 130 में प्रभावित भूमि खसरा नम्बर 496 रकबा 1.813 हेक्टेयर भूमि जो राजस्व भू अभिलेख में पूर्व में बड़े झाड़ का जंगल मद में दर्ज था उसमें मकान बाड़ी खेत बनाकर करीब 80 वर्षों से निवास कर रहे हैं। उक्त भूमि पर आवदेकों ने मकान ,बाड़ी, खेत बनाए जाने एवं भूमिहीन लघु कृषक होने के नाते 4 जून 1990 को तत्कालीन कलेक्टर बिलासपुर को पट्टा प्रदान किए जाने आवेदन प्रस्तुत किया था। इसके अतिरिक्त वर्ष 2001 में तत्कालीन कोरबा कलेक्टर के समक्ष भी पट्टा प्रदान किए जाने आवेदन प्रस्तुत किया था। आवेदकों के अनुसार यह स्पष्ट होता है कि उक्त भूमि के लिए उन्होंने 40 -50 वर्ष पूर्व ही अपने कब्जे के अनुसार पट्टा प्रदान किए जाने आवेदन प्रस्तुत किया था। जबकि उक्त भूमि का भूमि स्वामी होने का दावा करने वाला व्यक्ति सत्यनारायण पिता गम्भीर कंवर काँजीपानी का कभी निवासी रहा ही नहीं है न ही वो उक्त भूमि पर कभी काबिज रहा या कब्जा का प्रयास किया। आवेदकों ने हैरानी जताते हुए पत्र में उल्लेख किया था कि सत्यनारायण कंवर उक्त भूमि की चतुरसीमा के संबंध में भी जानकारी नहीं रखता। इन सबकी पड़ताल किए बगैर सत्यनारायण पिता गम्भीर को पट्टा प्रदाय किए जाने पर प्रभावित ग्रामीणों ने राजस्व विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह उठाते हुए जाँच की बात कही थी। आवेदकों ने उल्लेख किया था कि उक्त भूमि सत्यनारायण पिता गम्भीर सिंह की न तो पैतृक भूमि है और न ही स्व अर्जित या खरीदी की गई भूमि है। उक्त भूमि के एनएच 130 में प्रभावित होने में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं भू अर्जन अधिकारी कटघोरा के द्वारा तत्कालीन नायब तहसीलदार पाली एम एस राठिया को मौका जांच करने एवं अपने स्पष्ट अभिमत के साथ प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु 08 जनवरी 2021 को निर्देशित किया गया था। नायब तहसीलदार पाली श्री राठिया ने 25 जनवरी 2021 को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं भू अर्जन अधिकारी कटघोरा को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया था। लेकिन उक्त प्रतिवेदन प्रस्तुत किए जाने के पश्चात तत्कालीन तहसीलदार पाली विश्वास राव मस्के के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत उक्त ग्राम काँजीपानी के आने पर उन्होंने पुनः प्रतिवेदन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं भू अर्जन अधिकारी कटघोरा को प्रेषित किया। जिसमें तत्कालीन नायब तहसीलदार पाली के मौका जांच एवं प्रतिवेदन के विपरीत अभिमत दिया गया। जिसमें सभी आवेदकों को अपात्र होने का उल्लेख किया गया है। यही नहीं ग्राम कंजीपानी के 300 पट्टेधारियों के पट्टे निरस्त कर दिए गए हैं, वहीं सुनियोजित ढंग से जिन पट्टेधारियों की भूमि एनएच 130 के प्रभावित क्षेत्र के अंतर्गत आ रही है उनके पट्टे यथावत रखे गए हैं। प्रभावितों ने उक्त लिखित शिकायतों के साथ उन्हें उनकी बाड़ी, मकान, कुंआ एवं खेत का उचित मुआवजा प्रदान किए जाने एवं ग्राम कंजीपानी के खसरा नम्बर 496 रकबा 0.450 हेक्टेयर भूमि के पट्टाधारी से भूमि स्वामी होने का दावा करने वाले व्यक्ति सत्यनारायण पिता गम्भीर सिंह के पट्टे की जांच की मांग की थी। लेकिन उनकी शिकायतों को रद्दी को टोकरी में डाल दी गई।

एनएच से प्रभावित हल्कों को नायब तहसीलदार से छीनवाकर अपने क्षेत्राधिकार में ले रखे थे तहसीलदार मस्के
प्रभावित ग्रामीणों ने शिकायत पत्र में उल्लेख किया था कि तत्कालीन तहसीलदार विश्वास राव मस्के को 3 फरवरी 2021 को आबंटित हल्का का अवलोकन करने से यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने वे सभी हल्के जो कि एनएच 130 के प्रभावित हल्के हैं उन्हें अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत रखा था। जबकि पूर्व की स्थिति में अलग अलग तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार ( वीरेंद्र श्रीवास्तव) के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत उक्त प्रभावित हल्के आते थे। ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन तहसीलदार पाली विश्वास राव मस्के द्वारा उक्त एनएच 130 के प्रभावित ग्रामों के उन भू स्वामियों या कब्जेधारियों को भूमि का मुआवजा प्रभावित हो जाने का भय दिखाकर स्थानीय दलालों से मिलकर जमकर उगाही की गई थी। जिसकी जांच की मांग की गई थी।

अनसुलझे सवाल, जिससे मचेगा बवाल
तत्कालीन तहसीलदार पर ग्रामीणों ने गलत अभिमत देकर फर्जी व्यक्ति को पट्टा दिलाने एनएच में अर्जित भूमि का मुआवजा दिलाने के गम्भीर आरोप लगाए हैं। उसके अलावा कुछ अनसुलझे सवाल हैं जो गड़बड़ी के आरोप को प्रमाणिकता की ओर ले जाने में बल दे रहे हैं। जब नियमानुसार कब्जा नहीं होना पाए जाने पर कंजीपानी के 300 ग्रामीणों का पट्टा निरस्त किया गया तो जो व्यक्ति निवासी ही नहीं है और कब्जा भी नहीं है उसका पट्टा कैसे बन गया और उसे निरस्त क्यूँ नहीं किया गया.? सत्यनारायण नामक व्यक्ति का काँजीपानी कब्जा ही नहीं था तो उक्त जमीन का नक्शा दूसरे की जमीन पर कैसे काटकर दे दिया गया.? जब कब्जा ही नहीं है तो वास्तविक रिकार्ड में सत्यनारायण का नाम कैसे चढ़ गया.? पट्टा जारी करने की तिथि से 3 साल के भीतर काबिज नहीं होने पर पट्टा स्वमेव निरस्त माना जाता है लेकिन सत्यनारायण के प्रकरण में इसकी अनदेखी की गई और कब्जाधारी नहीं होने के बाद भी एनएच में अर्जित उक्त भूमि के लिए करीब 56 लाख की मुआवजा राशि क्यूँ बांट दी गई.? नायब तहसीलदार वीरेन्द्र श्रीवास्तव जिनका प्रभार क्षेत्र राजस्व निरीक्षक मंडल चैतमा था तथा जिसके अंतर्गत पटवारी हल्का चैतमा, कंजीपानी, रजकम्मा, भेलवाटिकरा, मँगामार ईरफ आते थे। ये सभी हल्के एनएच 130 के प्रभावित क्षेत्र अंतर्गत आते थे। तब नायब तहसीलदार वीरेंद्र श्रीवास्तव का क्षेत्राधिकार में संसोधन कर लाफा क्षेत्र क्यूँ कर दिया गया.? इन सब तथ्यों की जांच नितांत जरूरी है। ताकि फर्जीवाड़ा कर शासकीय राशि का मुआवजा वितरण के नाम पर बंदरबाट करने वाले दोषियों पर कार्यवाई की जा सके और जिनको अनुचित तरीके से मुआवजा वितरण किया गया है उसकी रिकवरी की जा सके।

सभी हल्कों के भू अर्जन प्रकरणों की होनी चाहिए आवश्यक जांच
जिस तरह कंजीपानी से एनएच के भू अर्जन में फर्जीवाड़ा की खबर सामने आई है उसने कटघोरा अनुविभाग के आला अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रह्नचिन्ह खड़े कर दिया है। राजस्व निरीक्षक मंडल चैतमा के अंतर्गत आने वाले पटवारी हल्कों
चैतमा, कंजीपानी, रजकम्मा, भेलवाटिकरा, मँगामार ईरफ आते थे। ये सभी हल्के एनएच 130 के प्रभावित क्षेत्र अंतर्गत आते थे। इन हल्कों के अतिरिक्त अन्य हल्कों में भी एनएच के सैकड़ों भू -अर्जन के प्रकरण बने हैं। जिसमें करोड़ों रुपए का मुआवजा वितरण किया गया है। इन प्रकरणों की जांच नितांत आवश्यक है।

कूटरचना कर एनएच की जमीन बिकवाने के मामले में एक पटवारी हो चुका है निलंबित
कुटेलामुड़ा के प्रकरण में पटवारी को तत्कालीन कटघोरा एसडीएम आईएएस अभिषेक शर्मा ने निलंबित कर दिया था। पटवारी ने एनएच के प्रभावित क्षेत्र अंतर्गत आने वाले यहाँ के एक भू स्वामी को यह कहकर कि आपके जमीन का कुछ ही हिस्सा एनएच के दायरे में आ रहा है। पीछे की जमीन नहीं आ रही उसे बेच दें अच्छी कीमत पर बिकवा दूँगा कहकर झांसे में लेकर सामने के हिस्से की बेशकीमती जमीन को कूटरचना कर व्यापारियों को बेच दी। जब भू अर्जन के दौरान मुआवजा पत्रक तैयार होने लगा तब पीड़ित ग्रामीण को पटवारी के फर्जीवाड़े की जानकारी मिली तब उसके पैरों तले जमीन खिसक ही थी और उसने एसडीएम श्री शर्मा के समक्ष इसकी शिकायत की थी। जिसे गम्भीरता से लेते हुए पटवारी हातिम खान को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। सूत्रों की माने तो अधिकारी- कर्मचारियों ने एनएच के भू अर्जन के प्रकरणों में कूटरचना कर रिश्तेदारों के नाम पर एक बड़ी अनुपात हीन संपत्ति भी अर्जित कर की है। जिसकी जांच की जानी चाहिए। फिलहाल इस प्रकरण को लेकर कलेक्टर रानू साहू द्वारा जांच टीम गठित कर बारीकी से जांच कराए जाने की बात सामने आ रही है। देखना है कि जांच उपरांत क्या तथ्य सामने आते है एवं उसके अनुरूप क्या कार्यवाही की जाती है..?

कोरबा/पाली:- राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 में शामिल कटघोरा- बिलासपुर फोरलेन के भू -अर्जन मुआवजा पत्रक तैयार करने में बड़ा फर्जीवाड़ा का एक मामला सामने आ रहा है। जिसमें तत्कालीन पाली तहसीलदार व वर्तमान बेमेतरा जिले के नवागढ़ एसडीएम की कार्यशैली पर प्रभावितों ने सवाल उठाते हुए एसडीएम सह भू -अर्जन अधिकारी कटघोरा के समक्ष 4 माह पूर्व शिकायत की थी। लेकिन आज पर्यन्त तक कोई कार्यवाई नहीं हुई है। तत्कालीन तहसीलदार के गलत प्रतिवेदन की वजह से न केवल प्रभावित परिसंपत्तियों (जमीन मकान) के एवज में मिलने वाले 76 लाख की जगह 23 लाख के हकदार बने, साथ ही आज पर्यन्त मुआवजा राशि भी नहीं मिली, वहीं पंचायत में काबिज नहीं रहने वाले दीगर गांव के व्यक्ति को फर्जी पट्टा देकर रिकार्ड में भू -स्वामी दर्शाकर एनएच में अर्जित भूमि के एवज में 56 लाख रुपए मुआवजा राशि वितरण कर शासन को बड़ी राजस्व क्षति पहुंचाई गई है। उक्त गंभीर प्रकरण कलेक्टर के संज्ञान में आने के बाद उचित जांच कराए जाने बात कही जा रही है।

मामला पाली राजस्व अनुविभाग के अंतर्गत चैतमा राजस्व निरीक्षक मंडल के काँजीपानी पटवारी हल्का की है। यहाँ के प्रभावित ग्रामीणों ने राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 में शामिल कटघोरा- बिलासपुर फोरलेन के भू- अर्जन मुआवजा पत्रक तैयार करने में फर्जीवाड़ा की शिकायत 15 मार्च 2021 को अनुविभागीय अधिकारी एवं भू अर्जन अधिकारी कटघोरा से की थी। जिसके तहत शिकायतकर्ता दुकालूसिंह, मदनदास, जीवनलाल, देवलता, बदनदास, छत्रपाल एवं कार्तिक राम ने उल्लेख किया था कि वे सभी कंजीपानी के स्थाई निवासी हैं। वे सभी एनएच 130 में प्रभावित भूमि खसरा नम्बर 496 रकबा 1.813 हेक्टेयर भूमि जो राजस्व भू अभिलेख में पूर्व में बड़े झाड़ का जंगल मद में दर्ज था उसमें मकान बाड़ी खेत बनाकर करीब 80 वर्षों से निवास कर रहे हैं। उक्त भूमि पर आवदेकों ने मकान ,बाड़ी, खेत बनाए जाने एवं भूमिहीन लघु कृषक होने के नाते 4 जून 1990 को तत्कालीन कलेक्टर बिलासपुर को पट्टा प्रदान किए जाने आवेदन प्रस्तुत किया था। इसके अतिरिक्त वर्ष 2001 में तत्कालीन कोरबा कलेक्टर के समक्ष भी पट्टा प्रदान किए जाने आवेदन प्रस्तुत किया था। आवेदकों के अनुसार यह स्पष्ट होता है कि उक्त भूमि के लिए उन्होंने 40 -50 वर्ष पूर्व ही अपने कब्जे के अनुसार पट्टा प्रदान किए जाने आवेदन प्रस्तुत किया था। जबकि उक्त भूमि का भूमि स्वामी होने का दावा करने वाला व्यक्ति सत्यनारायण पिता गम्भीर कंवर काँजीपानी का कभी निवासी रहा ही नहीं है न ही वो उक्त भूमि पर कभी काबिज रहा या कब्जा का प्रयास किया। आवेदकों ने हैरानी जताते हुए पत्र में उल्लेख किया था कि सत्यनारायण कंवर उक्त भूमि की चतुरसीमा के संबंध में भी जानकारी नहीं रखता। इन सबकी पड़ताल किए बगैर सत्यनारायण पिता गम्भीर को पट्टा प्रदाय किए जाने पर प्रभावित ग्रामीणों ने राजस्व विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह उठाते हुए जाँच की बात कही थी। आवेदकों ने उल्लेख किया था कि उक्त भूमि सत्यनारायण पिता गम्भीर सिंह की न तो पैतृक भूमि है और न ही स्व अर्जित या खरीदी की गई भूमि है। उक्त भूमि के एनएच 130 में प्रभावित होने में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं भू अर्जन अधिकारी कटघोरा के द्वारा तत्कालीन नायब तहसीलदार पाली एम एस राठिया को मौका जांच करने एवं अपने स्पष्ट अभिमत के साथ प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु 08 जनवरी 2021 को निर्देशित किया गया था। नायब तहसीलदार पाली श्री राठिया ने 25 जनवरी 2021 को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं भू अर्जन अधिकारी कटघोरा को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया था। लेकिन उक्त प्रतिवेदन प्रस्तुत किए जाने के पश्चात तत्कालीन तहसीलदार पाली विश्वास राव मस्के के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत उक्त ग्राम काँजीपानी के आने पर उन्होंने पुनः प्रतिवेदन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं भू अर्जन अधिकारी कटघोरा को प्रेषित किया। जिसमें तत्कालीन नायब तहसीलदार पाली के मौका जांच एवं प्रतिवेदन के विपरीत अभिमत दिया गया। जिसमें सभी आवेदकों को अपात्र होने का उल्लेख किया गया है। यही नहीं ग्राम कंजीपानी के 300 पट्टेधारियों के पट्टे निरस्त कर दिए गए हैं, वहीं सुनियोजित ढंग से जिन पट्टेधारियों की भूमि एनएच 130 के प्रभावित क्षेत्र के अंतर्गत आ रही है उनके पट्टे यथावत रखे गए हैं। प्रभावितों ने उक्त लिखित शिकायतों के साथ उन्हें उनकी बाड़ी, मकान, कुंआ एवं खेत का उचित मुआवजा प्रदान किए जाने एवं ग्राम कंजीपानी के खसरा नम्बर 496 रकबा 0.450 हेक्टेयर भूमि के पट्टाधारी से भूमि स्वामी होने का दावा करने वाले व्यक्ति सत्यनारायण पिता गम्भीर सिंह के पट्टे की जांच की मांग की थी। लेकिन उनकी शिकायतों को रद्दी को टोकरी में डाल दी गई।

एनएच से प्रभावित हल्कों को नायब तहसीलदार से छीनवाकर अपने क्षेत्राधिकार में ले रखे थे तहसीलदार मस्के
प्रभावित ग्रामीणों ने शिकायत पत्र में उल्लेख किया था कि तत्कालीन तहसीलदार विश्वास राव मस्के को 3 फरवरी 2021 को आबंटित हल्का का अवलोकन करने से यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने वे सभी हल्के जो कि एनएच 130 के प्रभावित हल्के हैं उन्हें अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत रखा था। जबकि पूर्व की स्थिति में अलग अलग तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार ( वीरेंद्र श्रीवास्तव) के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत उक्त प्रभावित हल्के आते थे। ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन तहसीलदार पाली विश्वास राव मस्के द्वारा उक्त एनएच 130 के प्रभावित ग्रामों के उन भू स्वामियों या कब्जेधारियों को भूमि का मुआवजा प्रभावित हो जाने का भय दिखाकर स्थानीय दलालों से मिलकर जमकर उगाही की गई थी। जिसकी जांच की मांग की गई थी।

अनसुलझे सवाल, जिससे मचेगा बवाल
तत्कालीन तहसीलदार पर ग्रामीणों ने गलत अभिमत देकर फर्जी व्यक्ति को पट्टा दिलाने एनएच में अर्जित भूमि का मुआवजा दिलाने के गम्भीर आरोप लगाए हैं। उसके अलावा कुछ अनसुलझे सवाल हैं जो गड़बड़ी के आरोप को प्रमाणिकता की ओर ले जाने में बल दे रहे हैं। जब नियमानुसार कब्जा नहीं होना पाए जाने पर कंजीपानी के 300 ग्रामीणों का पट्टा निरस्त किया गया तो जो व्यक्ति निवासी ही नहीं है और कब्जा भी नहीं है उसका पट्टा कैसे बन गया और उसे निरस्त क्यूँ नहीं किया गया.? सत्यनारायण नामक व्यक्ति का काँजीपानी कब्जा ही नहीं था तो उक्त जमीन का नक्शा दूसरे की जमीन पर कैसे काटकर दे दिया गया.? जब कब्जा ही नहीं है तो वास्तविक रिकार्ड में सत्यनारायण का नाम कैसे चढ़ गया.? पट्टा जारी करने की तिथि से 3 साल के भीतर काबिज नहीं होने पर पट्टा स्वमेव निरस्त माना जाता है लेकिन सत्यनारायण के प्रकरण में इसकी अनदेखी की गई और कब्जाधारी नहीं होने के बाद भी एनएच में अर्जित उक्त भूमि के लिए करीब 56 लाख की मुआवजा राशि क्यूँ बांट दी गई.? नायब तहसीलदार वीरेन्द्र श्रीवास्तव जिनका प्रभार क्षेत्र राजस्व निरीक्षक मंडल चैतमा था तथा जिसके अंतर्गत पटवारी हल्का चैतमा, कंजीपानी, रजकम्मा, भेलवाटिकरा, मँगामार ईरफ आते थे। ये सभी हल्के एनएच 130 के प्रभावित क्षेत्र अंतर्गत आते थे। तब नायब तहसीलदार वीरेंद्र श्रीवास्तव का क्षेत्राधिकार में संसोधन कर लाफा क्षेत्र क्यूँ कर दिया गया.? इन सब तथ्यों की जांच नितांत जरूरी है। ताकि फर्जीवाड़ा कर शासकीय राशि का मुआवजा वितरण के नाम पर बंदरबाट करने वाले दोषियों पर कार्यवाई की जा सके और जिनको अनुचित तरीके से मुआवजा वितरण किया गया है उसकी रिकवरी की जा सके।

सभी हल्कों के भू अर्जन प्रकरणों की होनी चाहिए आवश्यक जांच
जिस तरह कंजीपानी से एनएच के भू अर्जन में फर्जीवाड़ा की खबर सामने आई है उसने कटघोरा अनुविभाग के आला अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रह्नचिन्ह खड़े कर दिया है। राजस्व निरीक्षक मंडल चैतमा के अंतर्गत आने वाले पटवारी हल्कों
चैतमा, कंजीपानी, रजकम्मा, भेलवाटिकरा, मँगामार ईरफ आते थे। ये सभी हल्के एनएच 130 के प्रभावित क्षेत्र अंतर्गत आते थे। इन हल्कों के अतिरिक्त अन्य हल्कों में भी एनएच के सैकड़ों भू -अर्जन के प्रकरण बने हैं। जिसमें करोड़ों रुपए का मुआवजा वितरण किया गया है। इन प्रकरणों की जांच नितांत आवश्यक है।

कूटरचना कर एनएच की जमीन बिकवाने के मामले में एक पटवारी हो चुका है निलंबित
कुटेलामुड़ा के प्रकरण में पटवारी को तत्कालीन कटघोरा एसडीएम आईएएस अभिषेक शर्मा ने निलंबित कर दिया था। पटवारी ने एनएच के प्रभावित क्षेत्र अंतर्गत आने वाले यहाँ के एक भू स्वामी को यह कहकर कि आपके जमीन का कुछ ही हिस्सा एनएच के दायरे में आ रहा है। पीछे की जमीन नहीं आ रही उसे बेच दें अच्छी कीमत पर बिकवा दूँगा कहकर झांसे में लेकर सामने के हिस्से की बेशकीमती जमीन को कूटरचना कर व्यापारियों को बेच दी। जब भू अर्जन के दौरान मुआवजा पत्रक तैयार होने लगा तब पीड़ित ग्रामीण को पटवारी के फर्जीवाड़े की जानकारी मिली तब उसके पैरों तले जमीन खिसक ही थी और उसने एसडीएम श्री शर्मा के समक्ष इसकी शिकायत की थी। जिसे गम्भीरता से लेते हुए पटवारी हातिम खान को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। सूत्रों की माने तो अधिकारी- कर्मचारियों ने एनएच के भू अर्जन के प्रकरणों में कूटरचना कर रिश्तेदारों के नाम पर एक बड़ी अनुपात हीन संपत्ति भी अर्जित कर की है। जिसकी जांच की जानी चाहिए। फिलहाल इस प्रकरण को लेकर कलेक्टर रानू साहू द्वारा जांच टीम गठित कर बारीकी से जांच कराए जाने की बात सामने आ रही है। देखना है कि जांच उपरांत क्या तथ्य सामने आते है एवं उसके अनुरूप क्या कार्यवाही की जाती है..?

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