रायपुर/ : छत्तीसगढ़ में सरकार के हस्तक्षेप के बाद बिजली उपभोक्ताओं को बिजली बिल के झटके से राहत मिली है। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी ने बिल में अतिरिक्त सुरक्षा निधि की राशि को 50% कम कर दिया है। घरेलू उपभोक्ता अब जारी की गई राशि से कम बिल जमा कर सकेंगे। जिन उपभोक्ताओं ने बिल जमा कर दिया है, उन्हें अगले महीने इसका लाभ मिलेगा। उनकी जमा अतिरिक्त सुरक्षा निधि की 50 प्रतिशत राशि को बिजली बिल में समायोजित कर दिया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग के स्थायी निर्देशों के तहत सुरक्षा निधि लेने का प्रावधान है। हर वर्ष बीते 12 महीने के उपयोग किए गए बिजली की औसत खपत की गणना कर अक्टूबर में अतिरिक्त सुरक्षा निधि के अंतर की राशि ली जाती है। इसकी गणना प्रचलित टैरिफ के आधार पर पहले से जमा सुरक्षा निधि को घटाकर की जाती है। जितनी राशि का अंतर होता है, उतनी अतिरिक्त सुरक्षा निधि को बिल के साथ जोड़कर उपभोक्ता को भेजा जाता है। महंगाई की मार से परेशान उपभोक्ताओं को अक्टूबर महीने में कंपनी का यह नियम भारी पड़ रहा था। लोगों के पास हजारों रुपयों के बिल पहुंचे तो झटका लगा। नाराजगी इतनी बढ़ी की मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक जा पहुंचा। उसके बाद उन्होंने अतिरिक्त सुरक्षा निधि की राशि को आधा करने का निर्देश दिया। विद्युत वितरण कंपनी ने अब राज्य विद्युत नियामक आयोग से इसकी अनुमति ली है। उसके बाद घरेलू उपभोक्ताओं को कुल जारी की गई अतिरिक्त सुरक्षा निधि की राशि का 50% ही भुगतान करने की सुविधा दी गई है।
बिल में सुधार करने बिजली ऑफिस नहीं जाना होगा
कंपनी अधिकारियों ने बताया, उपभोक्ता को बिल सुधरवाने बिदली दफ्तर जाना नहीं पड़ेगा। बिल में अंकित अतिरिक्त सुरक्षानिधि की राशि के 50 % की गणना स्वयं करके बिल राशि से घटाकर इसे जमा कराया जा सकेगा। जिन उपभोक्ताओं ने बिल जमा कर दिया है, उन्हें अगले महीने इसका लाभ मिलेगा। उनकी सुरक्षा निधि की 50 प्रतिशत राशि को बिजली बिल में समायोजित कर दी जाएगी। यह सुविधा पॉवर कंपनी के सभी मेनुअली बिलिंग काऊंटर, एटीपी सेंटर और आनलाइन पेमेंट मोड पर उपलब्ध रहेगी।
कंपनी का तर्क- इस वजह से अधिक आया बिल
कंपनी अधिकारियों का कहना है, कोरोना काल में पिछले वर्ष अतिरिक्त सुरक्षा निधि की गणना इस वर्ष के लिए बढ़ा दी गई थी। जिसके कारण इस वर्ष एक साथ दो वर्षों के पश्चात गणना की स्थिति बन रही है। साथ ही लाकडाऊन के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे, जिससे उनके घर के ज्यादातर विद्युत उपकरणों का अधिक उपयोग हुआ। इस कारण सामान्य वर्षों की तुलना में इस साल के औसत बिल में वृद्धि हो गई।