बंधुआ मजदूरी रोकने शॉपिंग मॉल, कॉल सेंटर एवं मसाज पार्लर पर भी रहेगी निगरानी
कोरबा 23 दिसंबर 2021/राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने केन्द्र, राज्य सहित केन्द्र शासित प्रदेशों को बंधुआ मजदूरी पर नई एडवायजरी जारी की है। एन.एच.आर.सी. ने बंधुआ मजदूरी के पीड़ितों को राहत पैकेज जारी करने में देरी नहीं करने को एडवायजरी में शामिल किया है। केन्द्र, राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशो के लिए जारी नई एडवायजरी में आयोग ने बंधुआ मजदूरी मामले में अपराधिक कार्यवाही के परिणाम से राहत पैकेज के मामले को अलग करने के लिए कहा गया है। एडवायजरी में कहा गया है कि पीड़ित का इस पर कोई नियंत्रण नहीं होता है और न ही मुकदमें में ना ही जुड़ा होता है। बंधुआ मजदूरी के पीड़ितों को राहत पैकेज दिलाने में तेजी लाने के लिए भी कहा गया है। आयोग ने बंधुआ मजदूरी से राहत दिलाने के लिए बंधुआ मजदूरी के नए रूपों की पहचान करने की आवश्यकता बताई है। बंधुआ मजदूरी की व्यापकता के संबंध में आयोग ने कहा है कि राज्य और जिला प्रशासन को केवल ईंट-भट्ठों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। बंधुआ मजदूरी की पहचान और उन्हें रोकने शॉपिंग मॉल कॉल सेंटर, मसाज पार्लर आदि जगहों की भी निगरानी किया जाना चाहिए। एडवायजरी में आयोग ने रिहा किए गए बंधुआ मजदूरी पीड़ितों को भोजन और सुरक्षित परिवहन सुविधा प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराने के लिए भी कहा है। पीड़ितों को गैर नकद सहायता के संदर्भ में सीएसएस-2016 के तहत विभिन्न प्रकार के लाभ प्रदान करने के लिए भी कहा गया है। इसके अंतर्गत आवास स्थल, कृषि भूमि का आबंटन, भूमि विकास, कम लागत वाली आवास इकाईयों का प्रावधान, पशुपालन, डेयरी, मुर्गीपालन, सुअर पालन आदि शामिल हैं। एडवायजरी में इसके अलावा मजदूरी रोजगार, न्यूनतम मजदूरी का प्रवर्तन, लघु वनोपजों का संग्रह, प्रसंस्करण, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वस्तुओं की आपूर्ति और बच्चों को शिक्षा आदि रिहा किए गए बंधुआ मजदूरों के परिवारों को सहायता देने के लिए भी कहा गया है।
एनएचआरसी द्वारा जारी एडवायजरी में राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों को अत्याधिक कमजोर परिस्थितियों वाले परिवारों की पहचान करने के लिए कहा गया है। ऐसे परिवारों की पहचान कर कमजोर समुदायों को मुफ्त राशन, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य सामाजिक सुरक्षा कवर प्रदान करके बंधुआ मजदूरी की किसी भी घटना को रोका जा सके। एडवायजरी में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के प्रावधानों को भी लागू करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा उन्हें राहत देने के लिए अधिनियम के प्रावधानों के तहत लाभ पहुंचाने के लिए भी कहा गया है। आयोग ने बंधुआ मजदूरी की रोकथाम के लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय करने तथा कानूनी प्रावधानों के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है। मानव अधिकार आयोग ने ई-श्रम पोर्टल पर अनौपचारिक श्रमिकों के पंजीकरण को सरल बनाने के साथ-साथ कॉर्पस फंड के निर्माण और पुनर्भुगतान की प्रक्रिया को भी सरल बनाने के लिए कहा है।