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कोरबाछत्तीसगढ़प्रशासनिकव्यापार

अपने ही पैसों के लिए देने पड़ रहे प्रमाण,किसानों के लिए यह कैसी व्यवस्था, शादी ब्याह के खर्च और कर्ज चुकाने हो रहे परेशान

Netagiri in—कोरबा जिले में 43 हजार 412 पंजीकृत किसानों को 888 करोड़ 87 लाख 27 हजार 409 रुपए की राशि का भुगतान होना है जिसमें प्रतिदिन 9 करोड़ की मांग में मात्र 2 करोड़ ही मिल रहे हैं व्यवस्था की मार झेल रहे किसान की कहानी यह है कि

मोदी की गारंटी ‘के वादों साथ सत्ता में आई साय सरकार ने भले ही किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी का वादा पूरा कर किसानों के खाते में राशि अंतरित कर दी है ,लेकिन किसानों को अपने खाते में जमा राशि के लिए ही जद्दोजहद करनी पड़ रही। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के कोरबा जिले के 6 शाखाओं से प्रतिदिन औसतन 1600 से 1800 किसानों के लिए 9 करोड़ रुपए की डिमांड पर चेस्ट ब्रांचों,एसबीआई , पीएनबी की उदासीनता की वजह से 2 से 3 करोड़ रुपए ही मिल रहे। हालात ऐसे हैं कि शादी ब्याह के सीजन में किसानों को 50 हजार से अधिक की राशि नहीं मिल रही। जिनके यहां शादी है ,जिनके यहां सदस्य बीमार हैं या कोई दिवंगत हो गए हैं उन्हीं किसानों को वैध दस्तावेज दिखाने पर ही इससे अधिक की राशि दी जा रही । हमारी पड़ताल में मंगलवार को कोरबा ब्रांच में किसान अपने खून पसीने से उपार्जित धान ,एवं बोनस की राशि का एक बार मे पूरा भुगतान नहीं होने की बदइंतजामी से नाराज नजर आए।

 

 

यहां बताना होगा कि चुनावी वर्ष में इस साल आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले के 43 हजार 412 पंजीकृत किसानों ने ‘मोदी की गारंटी ‘(3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी का भुगतान )पर भरोसा जताते हुए 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से रिकार्ड 28 लाख 67 हजार 331 क्विंटल का धान बेचा था। 2183 रुपए प्रति क्विंटल की दर से कुल खरीदे गए धान की कीमत 625 करोड़ 93 लाख 84 हजार 882 रुपए की थी। इसके अतिरिक्त 3100 रुपए की दर से भुगतान करने के मोदी गारंटी पूरा करते हुए प्रति क्विंटल शेष राशि 917 की दर से 262 करोड़ 93 लाख 42 हजार 527 रुपए का बोनस (अंतर की राशि ) किसानों के खाते में अंतरित कर दी गई। इस तरह देखें तो समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान एवं बोनस की राशि का भुगतान मिलाकर कुल 888 करोड़ 87 लाख 27 हजार 409 रुपए की राशि का भुगतान किया जाना है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर की कोरबा जिले की 6 शाखाओं कोरबा ,बरपाली ,कटघोरा,पाली ,पोंडी उपरोड़ा एवं हरदीबाजार ब्रांच के माध्यम से इस राशि का किसानों को भुगतान किया जाना है। 43 हजार 412 पंजीकृत किसानों में से प्रतिदिन 1600 से 1800 किसान औसतन राशि निकालने सहकारी बैंक पहुंच रहे हैं। इनमें सामान्य जरूरतों के साथ ही साथ शादी, बीमारी एवं आपात स्थिति के लिए भी अपने खाते में जमा राशि निकालने किसान बैंक पर निर्भर है । जिला सहकारी बैंक का खाता पिछले 50 सालों से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में खुला हुआ है ,इस उम्मीद के साथ कि चेस्ट ब्रांच होने के कारण वो मांग अनुरूप कैश की व्यवस्था कर शासकीय महत्व के सबसे महत्वपूर्ण कार्य में सहभागिता सुनिश्चित कर सकें। लेकिन एसबीआई एवं पीएनबी चेस्ट ब्रांच जिला सहकारी बैंक को कैश की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं करा पा रहे,जिसकी वजह से बैंक को एक्सिस बैंक के साथ साथ आईडीबीआई बैंक (जहां वर्तमान में जिला सहकारी बैंक का खाता है ) से कैश की व्यवस्था करनी पड़ रही। जहां से मांग अनुरूप राशि का 30 प्रतिशत राशि ही मिल रही। मंगलवार को पड़ताल में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की कोरबा शाखा पहुंची जहां ,सैकड़ों किसान 50 हजार से अधिक की राशि का भुगतान नहीं होने से नाराज दिखे। बैंक की शाखा प्रभारी से जब इसकी वजह हमने जानने की कोशिश की तो हैरान करने वाली बात सामने आई। ब्रांच मैनेजर सरिता पाठक ने बताया कि प्रतिदिन 1600 से 1800 किसान जिले के सभी 6 शाखाओं में धान की राशि निकालने पहुंच रहे। इनमें करीब 1 हजार से अधिक किसान सबसे बड़े ब्रांच बरपाली एवं कोरबा में ही आ रहे। लेकिन मांग अनुरूप कैश 30 से 40 प्रतिशत ही मिल रही। मंगलवार को 9 करोड़ की डिमांड भेजी गई थी लेकिन महज 2 करोड़ ही कैश की व्यवस्था एक्सिस बैंक ने उपलब्ध कराई,आईडीबीआई का लिंक फेल होने की वजह से मांग अनुरूप राशि ही नहीं मिल सकी। अन्य दिनों में भी कमोबेश यही हालात रहते हैं। जिसकी वजह से ऐसे किसान जिनके यहां शादी है ,दशकर्म है ,बीमार हैं उन्हें उससे जुड़े साक्ष्य (दस्तावेज)प्रस्तुत करने पर 50 हजार से अधिक की राशि दी जा रही जबकि सामान्य किसानों को 50 हजार तक कि कैश ही उपलब्ध करा पा रहे।

 

 

 

 

चेस्ट ब्रांच ,लीड बैंक मैनेजर ने हाथ खड़े किए

बताया गया कि जिला सहकारी बैंक कोरबा के अधिकारी कैश उपलब्ध कराने चेस्ट ब्रांच एसबीआई एवं पीएनबी को 3 बार पत्राचार कर राशि की मांग कर चुके,लेकिन चेस्ट ब्रांच भी हम क्या सकते हैं कहकर अपने जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे कमोबेश यही लीड बैंक मैनेजर का है । उनसे भी लगभग यही जवाब मिला । इस बदइंतजामी से न केवल किसान वरन बैंक के कर्मी भी परेशान हैं। ओन

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