कोदो के लिए तीन हजार रुपए और रागी के लिए तीन हजार 377 रुपए समर्थन मूल्य तय
जिले में इस बार 978 हेक्टेयर क्षेत्र में कोदो एवं रागी फसलों का किया जा रहा उत्पादन
कोरबा 26 नवंबर 2022/राज्य शासन के मिलेट मिशन और वर्ष 2022-23 को मिलेट्स पोषण वर्ष घोषित किये जाने के फलस्वरूप कलेक्टर संजीव झा के मार्गदर्शन में जिले में लघु धान्य फसलों का उत्पादन लिया जा रहा है। जिले में प्रथम बार किसानों द्वारा कोदो एवं रागी फसल का उत्पादन किया जा रहा है । मिलेटस मिशन को बढावा देने हेतु नाबार्ड , बाल्को के एफपीओ तथा अन्य एफ पी ओ की सहायता से जिले में 978 हे. क्षेत्र में कोदो तथा रागी फसलों का उत्पादन किया गया है। शासन द्वारा कोदो एवं रागी तथा लघु धान्य फसलों की खरीदी के लिये वन विभाग को नियत किया गया है । जिसे जिले के वनोपज समितियों के माध्यम से समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाएगी । प्रदेश में कोदो के लिये समर्थन मूल्य तीन हजार रुपए प्रति क्वि. एवं रागी हेतु तीन हजार 377 रू. प्रति क्विं. निर्धारित किया गया है । जिले के वनोपज समितियों के माध्यम से समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाएगी । जिले के कोरबा वनमंडल में 38 तथा कटघोरा वनमंडल अंतर्गत 44 कुल 82 वनोपज समितियों द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाएगी।
लघु धान्य फसलों की खेती उच्चहन भूमि एवं विषम जलवायु परिस्थितियों में की जाती है । लघु धान्य (न्यूट्रीसीरियल्स ) अत्यधिक पौष्टिक होने के साथ-साथ प्रोटीन , कैल्शियम ,आयरन, जिंक , विटामिन्स , फोलिक एसिड जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है । लघु धान्य कोदो कुटकी एवं रागी फसलों की उत्पादकता में वृद्धि कर दैनिक आहार में शामिल कर सुपोषण में वृद्धि की जा सकती है ।
उप संचालक कृषि अनिल शुक्ला ने बताया की रागी फसलों की बुवाई हेतु फफूंदनाशक दवा कार्बेन्डाजिम या थायरम दवा का 3 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करना चाहिये। उपरोक्त उपचारित बीज को पी.एस.बी. कल्चर तथा एजोटोबैक्टर कल्चर की 5-10 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज के हिसाब से उपचारित करना चाहिए। लघु धान्य फसलों में नत्रजन 20 किलो (1 बोरी यूरिया) , स्फुर 20 किलों ( आधा बोरी डी ए पी ) , पोटाश 10 किलो ( 20 किलो एम ओ पी ) की आवश्यकता होती है । रागी फसल हेतु 10-15 किलो प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है । बीज की सीधी बोवाई अथवा रोपा पद्धति से बोवाई की जाती है। पौधो की रोपाई कतार से कतार 22.5 सेमी. तथा पौधे से पौधे 10 सेमी रखना चाहिये । रागी फसलों में बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नही होती है । रबी मौसम मे धान वाले खेतों मे अधिक से अधिक किसानों को रागी फसल की खेती करना चाहिए। बडे खेतो में यदि खेती करना संभव ना हो तो केवल परीक्षण हेतु रागी फसल किसान ले सकते है।
उप संचालक कृषि ने बताया की लघु धान्य फसलों की खरीदी वनोपज समितियों के माध्यम से दिसबंर व जनवरी माह में किया जाना है। जिसके लिये उपसंचालक कृषि द्वारा किसानों से अपील की गई है कि कृषकगण अपने लघु धान्य फसलों की कटाई एवं गहाई करने के पश्चात सुरक्षित भंडारण करें। विभाग ने किसानों से फसल को समर्थन मूल्य पर ही वनोपज समितियों में विक्रय करने की अपील की है। कृषि विभाग ने उत्पाद को औने-पौने दाम में बिचौलियों को नही बेचने की भी अपील की है। उप संचालक ने बताया की लघु धान्य फसलों की खेती में लागत बहुत कम आती है तथा शासन द्वारा उचित मूल्य भी प्रदान किया जा रहा है।