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घोषणा पत्र में वादे नहीं हुए पूरे तो, कांग्रेस के 13 नेताओं के खिलाफ परिवाद दायर, कांग्रेस के दो शीर्ष नेताओं को भी बनाया पार्टी

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Netagiri.in-रायपुर/दुर्ग।जैेसे-जैेसे चुनाव नजदीक आ रहे है कांग्रेस की परेशानी बढ़ते जा रही है। अभी नया घोषणा पत्र तैयार नहीं हुआ है और 2018 के विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा नहीं करने पर 13 कांग्रेस नेताओं के खिलाफ परिवाद दायर कर दिया गया है। सूत्अरों से मिली जानकारी अनुसार अधिवक्ता अशोक शर्मा ने दुर्ग के न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी पुनीतराम गुरुपंच की कोर्ट में परिवाद दायर किया है।

इनमें मंत्री टीएस सिंहदेव, मोहम्मद अकबर, रविंद्र चौबे, शिवकुमार डहरिया, उमेश पटेल, डा. प्रेमसिंह टेकाम, धनेंद्र साहू, फूलो देवी नेताम, शैलेष पांडेय, अरुण वोरा, शिशुपाल शोरी और जयराम रमेश शामिल हैं। शर्मा ने सभी के विरुद्ध छल (धारा 415), धोखाधड़ी (धारा 420), षड़्यंत्र (धारा 120 बी) और समान आशय (धारा 34) के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाने को निर्देशित करने का निवेदन किया है। 25 सितंबर को न्यायालय में इस परिवाद पर सुनवाई होनी है, जिसमें याचिकाकर्ता अपना तर्क प्रस्तुत करेंगे। संतुष्ट होने पर कोर्ट प्राथमिकी का निर्देश दे सकता है। याचिका खारिज हुई तो शर्मा सत्र न्यायालय जाएंगे।

अधिवक्ता शर्मा ने परिवाद में आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में राज्य में पूर्ण शराबबंदी, छात्राओं को नर्सरी से पोस्ट ग्रेजुएट तक निःशुल्क शिक्षा देने, 10 लाख बेरोजगार युवाओं को सामुदायिक विकास और समाजसेवी गतिविधियों में भाग लेने पर न्यूनतम प्रतिमाह 2,500 रुपये देने, शिक्षाकर्मियों को दो वर्ष पूर्ण करने पर नियमित करने का वादा किया गया।

शर्मा ने बताया कि मंत्री टीएस सिंहदेव घोषणापत्र समिति के संयोजक थे। मोहम्मद अकबर, रविंद्र चौबे, शिवकुमार डहरिया, उमेश पटेल, डा. प्रेमसिंह टेकाम, धनेंद्र साहू, फूलो देवी नेताम, शैलेष पांडेय और अरुण वोरा समिति के सदस्य थे। राहुल गांधी और जयराम रमेश ने इस घोषणापत्र को प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया में प्रसारित करने का षड्यंत्र किया था। इसलिए इन्हें भी पार्टी बनाया गया है।

साथ ही 60 से अधिक आयु के नागरिकों को एक हजार और 75 साल से अधिक के नागरिकों को 1,500 रुपये प्रतिमाह पेंशन देने, शहरी व ग्रामीण आवास का प्रविधान व भूमि देने, शहरी क्षेत्र के आवासीय परिवारों को दो कमरों का मकान देने जैसे कई वादों को अब तक पूरा नहीं किया है।

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