रायपुर । पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान बनाए गए ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) को लेकर आज विधानसभा सत्र में काफी हंगामा हुआ ,रीपा में भ्रष्टाचार को लेकर उच्च स्तरीय जांच की मांग हुई जिसको लेकर डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि रीपा केंद्रों से कार्य के अनुरूप स्थिति नहीं है।
धरमलाल कौशिक के प्रश्न के जवाब में मंत्री ने बताया कि प्रदेश में 300 रीपा केंद्रों की स्थापना की गई हैं। इस योजना के लिए डीएमएफ सहित अन्य विभागों से भी राशि लिया गया है। इसके बाद कौशिक, अजय चंद्राकर, धर्मजीत सिंह ने RIPA योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। कहा कि जितना खर्च बताया गया है उतना हुआ नहीं है। सरपंच से जबरन हस्ताक्षर करा लिए गए हैं। धर्मजीत सिंह ने कहा कि इसकी वजह से कई सरपंच दबाव में हैं कुछ तो आत्महत्या करने का मन बना चुके हैं। विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों की मांग पर मंत्री शर्मा ने रीपा योजना पर हुए खर्च की एडवोकेट जनरल से ऑडिट कराने और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भौतिक सत्यापन कराने की घोषणा की है।गौरतलब हो कि आकांक्षी जिला कोरबा में भी रीपा में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है ,महिला स्व सहायता समूहों से ब्लेंक कार्यादेश पत्र पर सामाग्री एवं उपकरण खरीदने हस्ताक्षर ले लिए गए थे। जिसके बाद एनआरएलएम के जिम्मेदार अफसरों ने जिन फर्मों से उनकी मिलीभगत थी उन्हें वर्क आर्डर दे दिए। फर्मों ने करीब 30 करोड़ के गुणवत्ता हीन सामाग्री व मशीनरी उपकरण प्रदान किए । सी मार्ट का भी संचालन उसी फर्म को दिया गया है। जहां नियमों को ताक रखकर महिला स्व सहायता समूहों का शोषण कर इन दोनों कार्यों की शिकायतें बीजेपी शासनकाल में स्वयं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से की गई है । लिहाजा अब कोरबा में भी जांच के जिम्मेदार नप सकते हैं।