कोरबा जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की जमीनी हकीकत देखने को मिली है जहां कुछ दिन पहले Netagiri.in में जिले के कटघोरा स्वास्थ्य केंद्र में 10 करोड़ की लागत से बने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अस्पताल मैं जच्चा-बच्चा की जान से खिलवाड़ की खबर को दिखाया था जहां कड़ाके की ठंड में जच्चा-बच्चा को मात्र एक डिस्पोजेबल पन्नी कवर को बेड में बिछाने के लिए दिया जा रहा था जबकि जच्चा बच्चा को कॉटन के चादर और कंबल दिए जाने चाहिए मातृ एवं शिशु सुरक्षा के लिए पर्याप्त फंड केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है बावजूद इसके डॉक्टरों की लापरवाही देखने को मिलती है लेकिन खबर लगाने के बाद कटघोरा स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ रुद्र पाल सिंह कंवर ने व्यवस्था सुधारने की बात कही थी और नोटिस दिए जाने की बात भी कही थी लेकिन 8 दिन बाद जब कटघोरा स्वास्थ्य केंद्र पहुंची Netagiri.in की टीम बीएमओ द्वारा दी गई नोटिस का असर देखने स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तब हकीकत पहले से और बदतर थी जिसे देखकर शायद यही कहा जा सकता है कि जैसे डॉक्टर कह रहे हो की हम नहीं सुधरेंगे 10 करोड की लागत वाले मातृ शिशु अस्पताल में भर्ती जच्चा-बच्चा वार्ड में गंदगी का आलम था 3 दिन से गंदगी में सनी डिस्पोजेबल चादर नहीं बदली गई थी जबकि उस डिस्पोजेबल को हर दिन फेंकना है ताकि जच्चा बच्चा को किसी भी तरह का इंफेक्शन ना हो उस डिस्पोजेबल चादर के ऊपर कॉटन की चादर और कंबल जच्चा-बच्चा को देने का नियम है लेकिन अस्पताल में भर्ती मातृत्व महिला एवं उनके परिजनों ने बताया कि कड़ाके की ठंड में हॉस्पिटल से उन्हें बिछाने के लिए चद्दर और कंबल नहीं मिला है जब ज्यादा किसी को जरूरत हुई तो मांगने पर मात्र एक कंबल किसी किसी को दिया गया था ग्रामीण दूरस्थ क्षेत्रों से डिलीवरी के लिए मातृत्व महिला को लेकर आने वाले परिजन जल्दबाजी में बहुत अधिक बिस्तर साथ में नहीं ला पाते हैं जो लाते हैं उन्हें भी वहां रुकने पर बिस्तर ओं की जरूरत होती है ऐसे में कम से कम जच्चा बच्चा के लिए हॉस्पिटल से उपलब्ध कराएं बिस्तरों से उनको बहुत सहारा मिल जाता है लेकिन हॉस्पिटल पहुंचने पर जच्चा-बच्चा को मात्र एक डिस्पोजेबल प्लास्टिक की कवर दी जाती है लेकिन डिस्पोजेबल चादर तीन-तीन दिनों तक नहीं बदली जाती है और ना उसके ऊपर बिछाने के लिए कॉटन की चादर दी जा रही है परिजनों के बोलने के बाद भी स्टाफ नर्स द्वारा गंदी डिस्पोजेबल को नहीं फेंका जाता है और ना ही दूसरा दिया गया मजबूरन गंदगी में जच्चा बच्चा को रहना पड़ता है डॉक्टरों की मानिटरिंग नहीं होने के चलते गंदगी में लेट कर जच्चा बच्चा वार्ड में भर्ती जच्चा बच्चा इनफेक्शन को टक्कर देते हुए स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं
मौके पर जब बीएमओ रुद्र पाल कवर से फोन कर उनसे जानकारी ली गई तो उन्होंने खुद को कटघोरा से बाहर होना बताया और कहां की मरीज बिस्तर नहीं लेना चाहते हैं लेकिन जब बारी बारी से मरीजों से फोन पर बात कराई गई तो मरीजों ने डॉक्टर रूद्र पाल से बताया कि उनको जरूरत है लेकिन हॉस्पिटल द्वारा कंबल या चादर नहीं दिया गया है इसके बाद बीएमओ के फोन करने पर ड्यूटी पर तैनात लेडीस डॉक्टर वार्ड में पहुंची और उन्होंने कैमरा बंद करने की समझाइश दी लेकिन सच्चाई बताने से इनकार कर दिया लेकिन इस तरह की लापरवाही से अगर वार्ड में भर्ती जच्चा-बच्चा को इंफेक्शन या किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी होती तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ???
मामले में जिला स्वास्थ्य अधिकारी कोरबा एस एन केसरी से जब इस मामले में जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि हॉस्पिटलों में मरीजों की सुविधा हेतु पर्याप्त संसाधन है आपके द्वारा लगाई गई पहले खबर में ही डॉक्टरों को निर्देश दिया गया है कि मरीजों के स्वास्थ्य सुविधाओं में किसी तरह की लापरवाही ना बरतें अगर डॉक्टर इस तरह की लापरवाही या मानिटरिंग में कमी करते हैं तो उनके ऊपर कार्यवाही की जाएगी वहीं सीएमएचओ ने बताया कि वह खुद भी सभी स्वास्थ्य केंद्रों में निगरानी भी रखेंगे ताकि किसी भी तरह की मनमानी डॉक्टर न कर पाए