न्यूज एंकर Chitra Tripathi और रिपब्लिक भारत के Syed Suhail के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट
हरियाणा के गुरुग्राम की स्पेशल कोर्ट ने न्यूज एंकर चित्रा त्रिपाठी और सैयद सोहेल (रिपब्लिक भारत) के खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। आदेश नवंबर महीने के शुरुआती दौर में दिया गया, लेकिन ये अब सामने आया है। मामला आसाराम बापू केस से जुड़ा है। जिसमें एक दस वर्षीय पीड़िता और उसके परिवार के ‘मॉर्फ्ड, एडिटेड और अश्लील’ वीडियो चलाने का आरोप है।
हरियाणा के गुरुग्राम की स्पेशल कोर्ट की एडिशनल जिला एवं सेशन जज अश्विनी कुमार मेहता ने अपने आदेश में संबंधित एसएचओ को वारंट 30 नवंबर के लिए निष्पादित करने और वारंट निष्पादित न होने पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया है।यह निर्देश कोर्ट ने उनकी जमानत रद्द करते हुए और कोर्ट के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट के लिए उनके आवेदनों को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया।
इस मामले में न्यूज एंकर दीपक चौरसिया, चित्रा त्रिपाठी, सैयद सोहेल, अजीत अंजुम सहित राशिद हाशमी, रिपोर्टर सुनील दत्त और ललित सिंह बड़गुर्जर सहित इंडिया न्यूज के लिए काम करने वाले निर्माता अभिनव राज के खिलाफ पहले ही आरोप तय किए जा चुके हैं। इन पर दस वर्षीय लड़की और उसके परिवार के ‘मॉर्फ्ड, एडिटेड और अश्लील’ वीडियो प्रसारित करने और इसे स्वयंभू बाबा आसाराम बापू के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले से जोड़ने का आरोप है। इन सभी पर आईपीसी की धारा 120बी, 469 और 471, आईटी एक्ट की धारा 67बी और 67 और POCSO Act की धारा 23 और 13सी के तहत आरोप लगाए गए हैं।
सभी आठ पत्रकारों पर आपराधिक साजिश रचने का आरोप है। इन्होंने 10 साल की नाबालिग लड़की और उसके परिवार का जाली वीडियो तैयार करने पर सहमति जताई। जिसमें पीड़िता और उसके परिवार को अभद्र तरीके से दिखाया गया। उसे न्यूज चैनलों पर प्रसारित किया गया, जिससे पीड़िता और उसके परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा। इसके अलावा, इन पर इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (वीडियो क्लिप) को जाली बनाने और संपादित करने का भी आरोप लगाया गया। इसे संबंधित चैनलों पर प्रसारित किया गया।
चित्रा त्रिपाठी के वकील ने कोर्ट से इस आधार पर छूट मांगी कि एंकर महाराष्ट्र चुनाव को कवर करने और राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पंवार का इंटरव्यू करने के लिए महाराष्ट्र के नासिक की यात्रा कर रहे हैं। सयैद सुहैल के वकील ने दलील दी कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी जानी चाहिए, क्योंकि वह उपचुनावों को कवर करने के लिए यूपी के कानपुर जिले की यात्रा कर रहे हैं। आवेदन में कोई औचित्य नहीं पाते हुए अदालत ने पाया कि वह अदालत की प्रक्रिया को काफी हल्के में ले रही हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला वर्ष 2015 का है और यदि कार्यवाही शीघ्रता से नहीं की गई तो इस मामले का जल्द से जल्द निपटारा करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं होगा, क्योंकि इस मामले में पहले ही नौ साल की देरी हो चुकी है। बता दें कि कोर्ट ने उपस्थित होने के लिए 30 नवंबर तक का ही वक्त दिया है।