दुर्ग। खनिज अधिकारी जेल में सात साल तक श्रम करेंगे। न्यायालय ने सश्रम कारावास की सजा दी है। ACB ने अधिकारी के घर से 2 करोड़ 20 लाख रुपए की अनुपातहीन संपत्ति जब्त की थी।
मिली जानकारी के अनुसार ACB को गुप्त सूचना मिली थी की दुर्ग के तत्कालीन सहायक खनिज अधिकारी गणेश प्रसाद कुम्हारे ने अपने सर्विस के दौरान अनुपातहीन संपत्ति अर्जित की है। अपने एवं अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन, मकान, गाड़ी FD और सोना चांदी के जेवर खरीद रखे है। इस गुप्त सूचना के आधार पर ACB ने प्रकरण दर्ज कर 11 अक्टूबर 2010 को विशेष न्यायालय रायपुर से तलाशी वारंट प्राप्त किया था। इसके बाद एसीबी की टीम ने आरोपित के विजय नगर स्थित नवनिर्मित मकान की तलाशी ली थी। इस दौरान नकद रकम, बैंक संबंधित दस्तावेज, बीमा पालिसी, अचल संपत्ति संबंधी दस्तावेजों को जब्त किया था।
एसीबी ने रेड मारकर कार्रवाई की थी, तब खुलासा हुआ था कि एक विवेचना के दौरान एक जनवरी 2004 से 12 अक्टूबर 2010 तक की अवधि का आय-व्यय का ब्यौरा तैयार किया गया। ब्यौरा के मुताबिक आरोपित द्वारा कुल दो करोड़ 20 लाख 51 हजार 378 रुपये के अनुपातहीन संपत्ति अर्जित किया है। जो उसकी औसत सकल आय की तुलना में 408 प्रतिशत अधिक है।
विवेचना के बाद आरोपित गणेश प्रसाद कुम्हारे सहायक खनिज अधिकारी दुर्ग के विरुद्ध धारा 13 (1) (ई) एवं 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 का अपराध प्रमाणित होने पर प्रकरण विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम दुर्ग आदित्य जोशी के न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
विचारण उपरांत न्यायालय ने आरोपित गणेश प्रसाद कुम्हारे को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अपराध के लिए सात वर्ष के सश्रम कारावास एवं 20 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर आरोपित को छह माह अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी।