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सक्ती। सक्ती जिले में बंधन बैंक के कैशियर द्वारा खाताधारक के साथ धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है। बैंक के कैशियर कमलेश सिंह ने लोन खत्म करने के लिए दिए गए पैसों को बैंक में जमा नहीं किया। वहीं लोन अकाउंट को क्लोज करने के लिए खाताधारक की पत्नी का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर बीमा क्लेम कर दिया और उस पैसों से लोन अकाउंट को बंद कर दिया।
जानकारी के मुताबिक, मामला सक्ती थाना क्षेत्र का है। सक्ती निवासी पुरषोत्तम देवांगन और उनकी पत्नी ने मिलकर सक्ती के बंधन बैंक से दो लाख का लोन लिया था। इसके एवज में उनके द्वारा हर महीने 10 हजार रुपए किस्त पटाया जाता था। उनके द्वारा सात आठ किस्त पटा दिया गया था।
इसी बीच पैसों की व्यवस्था होने पर बची रकम एक मुश्त करीब डेढ़ लाख रुपए पटाकर खाते को बंद कराने गए। उन्होंने कैशियर को बैंक में पैसा जमा करने के लिए दिए। इसके बदले में कैशियर ने उनको रकम जमा होने की रसीद भी दी। लेकिन बैंक कैशियर कमलेश सिंह ने रकम खाते में जमा करने के बजाए अपने पास रख लिए।
इसके बाद बैंक कैशियर ने लोन अकाउंट को क्लोज करने के लिए खाताधारक की पत्नी उर्मिला देवांगन का फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया। फिर फर्जी प्रमाण पत्र को लगाकर बीमा कंपनी से क्लेम कर उससे मिली राशि से लोन को बंद कर दिया। कुछ महीने बाद जब खाताधारक दोबारा लोन लेने बैंक गया तब उसे इस फर्जीवाड़ा का पता चला।
खाताधारक ने बैंक प्रबंधन से इसकी शिकायत की मगर बैंक प्रबंधन महीनों तक खाताधारक को केवल आश्वासन देकर चक्कर कटवाता रहा। इससे परेशान होकर खाताधारक ने सक्ती पुलिस से इसकी शिकायत की। फिलहाल सक्ती पुलिस ने आरोपी कैशियर कमलेश सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज कर लिया है मगर उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।
सक्ती एसडीओपी मनीष कुंवर ने बताया कि बंधन बैंक के कैशियर द्वारा धोखाधड़ी करने की शिकायत मिली है। आरोपी बैंक कैशियर के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया गया है। जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। साथ ही इस मामले और जो भी दोषी पाया जाएगा उस पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।
सक्ती के बंधन बैंक के ब्रांच मैनेजर अशोक साहू ने बताया कि खाताधारक ने धोखाधड़ी की शिकायत की थी। इसपर बैंक कैशियर को निलंबित किया गया था। पूरे मामले की जांच करने के बाद खाताधारक की शिकायत सही पाई है, जिसके बाद कैशियर कमलेश सिंह को बर्खास्त किया गया है।
संदेह के दायरे में बैंक और बीमा कंपनी
इस पूरे मामले मे बैंक और बीमा कंपनी भी संदेह के दायरे में है। क्योंकि बैंक कैशियर द्वारा जब फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर बीमा क्लेम किया गया तो बैंक और बीमा कंपनी द्वारा इस मामले का पूरा परीक्षण किया जाना चाहिए था, लेकिन बैंक या बीमा कंपनी ने ऐसा नहीं किया।
अगर उन्होंने इसकी जांच की होती तो ऐसी धोखाधड़ी नहीं हुई होती। जबकि ऐसे किसी भी मामले में बैंक और बीमा कंपनी द्वारा पूरी जांच की जाती है। खास बात यह भी है कि बैंक या बीमा कंपनी द्वारा इस धोखाधड़ी के मामले में अपनी ओर से थाने मे कोई शिकायत दर्ज नहीं कराया गया है।
शिकायतकर्ता मोनिश देवांगन ने बताया कि खाताधारक उनके पिता पुरषोत्तम देवांगन की समस्या आज भी बनी हुई है। उनकी माता उर्मिला देवांगन आज भी बैंक रिकॉर्ड में मृत बताई जा रही है। जिसका अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है। शिकायतकर्ता ने इस पूरे मामले मे दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है। साथ ही उनके द्वारा को गई गलतियों को सुधारने की भी मांग की है।