साल्हि; 20/08/2022: परसा ईस्ट और केते बासेन (पीईकेबी) कोयला खदान परियोजना के बंद होने की खबर से सरगुजा के जिला मुख्यालय सहित आस पास के ग्रामों के व्यापारियों को भी चिंता होने लगी है। वहीं खदान में कार्यरत स्थानीय कर्मचारियों को अब नौकरी जाने का भय सताने लगा है। पिछले एक दशक से पीईकेबी खुली खदान में ग्राम साल्हि, परसा, घाटबर्रा, फत्तेपुर, तारा इत्यादि ग्रामों के ग्रामीण काम करते है। इस परियोजना से सभी फल – फूल रहे थे, जिसके कारण अंचल के व्यापार के दायरे बढ़ गए थे। और केन्द्र और प्रदेश सरकार को कई सौ करोड़ के रॉयल्टी देने के साथ साथ जो गांव देश के मानचित्र में कोयला खदानों के लिए पहचाना जाने लगा था। उन क्षेत्रों के विकास को अब ग्रहण लगने वाला है। जी हाँ राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) के सरगुजा जिले में उदयपुर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पीईकेबी खुली खदान परियोजना में खनन का कार्य अब गत सप्ताह से थम गया है।
वर्ष 2013 में चालू हुए इस खुली कोयला खदान में लगभग 5000 से भी अधिक स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त है। वहीं इससे दो गुने लोग अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न स्वरोजगारों से जुड़े हुए हैं। किन्तु विगत कई माह से सभी जरूरी अनुमति मिलने के पश्चात भी यहां खनन के दूसरे चरण का कार्य शुरू नहीं किया जा सका है। जिसकी वजह से आरआरवीयूएनएल की खनन और विकास प्रचालक (एमडीओ) कंपनी द्वारा कोयला लोडिंग के कुल करार को ठेका कंपनी के कार्य में कटौती करना शुरू कर दिया गया है। अब चूंकि ठेका कंपनियों में कर्मचारी स्थानीय ग्रामीण ही हैं जिन्हें एक दशक से नौकरी मिली है। उन्हें भी कर्मचारियों की छुट्टी करनी पड़ सकती है नतीजतन ऐसे ग्रामीण जिन्हें नोटिस मिल चूका है अब उनके सामने एक बार फिर रोजगार का मुद्दा गहराने लगा है। वे सब ग्रामीण अब सरकार से खदान को चलाये रखने की अपील की है। वहीं अंबिकापुर बिलासपुर के साल्हि मोड़ पर पिछले दस दिनों से धरने पर बैठे मदद की गुहार लगा रहे है। इन सभी ने आज खदान को पुनः शुरू कराने प्रदेश शासन से गुहार लगाई है। अपनी एकजुटता दिखाने आज 150 से अधिक स्थानियों ने साल्हि मोड़ से पंचायत भवन स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की प्रतिमा तक रैली निकालकर खदान शुरू कराने अपनी आवाज बुलंद की। रैली में ग्राम घाटबर्रा के अभिराम, शेखर तिर्की और इनके कई साथी, ग्राम साल्हि से सुनीन्द्र उइके और बुधराम उइके तथा इनके कई साथी, ग्राम परसा के ओमप्रकाश और इनके साथी, ग्राम तारा के चितेन्द्र और इनके कई साथी तथा ग्राम फत्तेपुर के मदन सिंह और जगतपाल पोर्ते और इनके कई साथी मौजूद थे।
इन सभी ने रैली के दौरान अपने नौकरी जाने के भय तथा इससे प्रभावित होने वाले कारणों को बताया।