WhatsApp Image 2024-10-29 at 11.41.54 AM
WhatsApp Image 2024-10-29 at 11.41.54 AM
WhatsApp Image 2024-10-29 at 11.41.54 AM
WhatsApp Image 2024-10-29 at 11.41.54 AM
उपलब्धिकोरबाछत्तीसगढ़प्रशासनिक

जब से पहाड़ी कोरवा भोलाराम ने खरीदी स्कूटी,समय पर पहुंच पाता है ड्यूटी किस्मत ने करवट बदली, नौकरी ने बदल दी जिंदगी जिले के 119 पीवीटीजी युवा बेरोजगार युवाओं को मिली नौकरी

Spread the love

 

Netagiri.in—-कोरबा 25 नवंबर 2024/पहाड़ी कोरवा भोलाराम ने कभी साइकिल भी नहीं चलाई थीं। अपने परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी जंगल जाने की चली आ रही परम्परा के अनुसार वह भी बचपन से जंगल आता जाता रहा। गांव में जब स्कूल खुला तो उन्होंने किसी तरह पहले पांचवीं पास की, फिर 8वीं पास कर जीवनयापन के लिए छोटे से खेत में काम करने लग लग गया। इस बीच शादी हो गई, बच्चे हो गए और पर गरीबी और आर्थिक समस्याओं से घिरे पहाड़ी कोरवा भोला राम परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करने संघर्षों से जूझता रहा। आसपास काम मिल जाने पर मजदूरी करना, तीर-धनुष लेकर जंगल की ओर जाना और घर में छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने मन मसोस कर रखना जिंदगी की दिनचर्या में शामिल होती चली गई। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी किस्मत एक दिन ऐसी करवट बदलेगी कि जिंदगी बदल जायेगी और जंगल जाने वाला, पैदल चलने वाला पहाड़ी कोरवा इतना सक्षम हो जायेगा कि वह घर की जिम्मेदारियां निभा पायेगा, स्कूटी में सफर कर पायेगा।
यह कहानी कोरबा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम कोरई के पहाड़ी कोरवा भोलाराम की है। बसाहट के कच्चे मकान में जीवन बसर करते आए पहाड़ी कोरवा भोलाराम की तकदीर अब उनके पूर्वजों की तरह नहीं रही। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों को नौकरी से जोड़कर आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा की गई पहल का परिणाम उनके आर्थिक और पारिवारिक समृद्धि का भी द्वार खोलने लगा है। कलेक्टर श्री अजीत वसंत द्वारा जिले में निवासरत पीवीटीजी के सभी शिक्षित बेरोजगार युवाओं को उनकी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार डीएमएफ से जिले के विद्यालयों, अस्पतालों में रिक्त पदों पर नौकरी देने की पहल की गई है। इसी कड़ी में ग्राम कोरई के पहाड़ी कोरवा भोलाराम की नौकरी भी बांगो एरिया के माचाडोली में स्थित शासकीय उच्चतर विद्यालय में लगी है। उन्होंने बताया कि अपने घर से लगभग तीस किलोमीटर की दूरी होने और इस मार्ग में बसें नहीं मिलने से वह कई बार समय पर स्कूल नहीं पहुंच पाता था। हालांकि उन्होंने माचाडोली में अपने कार्यस्थल के पास भी रहने की व्यवस्था की है, लेकिन अवकाश दिनों और अन्य आवश्यक कार्य पड़ने पर घर से स्कूल तक सफर को आसान बनाने तथा समय पर ड्यूटी पहुंच पाने के लिए अपनी तनख्वाह से कुछ राशि बचत की। इस बीच परिचितों के माध्यम से स्कूटी और बाइक चलाना भी सीख गया। लगभग दस हजार रूपये अग्रिम भुगतान (डाउन पेमेंट) कर उन्होंने किश्त में बैटरी वाली एक स्कूटी खरीद ली। अब जबकि स्कूटी घर आ गई है, पहाड़ी कोरवा अवकाश दिनों में और अन्य जरूरी कार्य से अपने कर्तव्य स्थल से घर और घर से स्कूल तक आना जाना करता है। माचाडोली के विद्यालय में चतुर्थ पद भृत्य के पद पर नौकरी कर रहे भोलाराम ने बताया कि उनकी पत्नी और बच्चे को लेकर वह घूमने फिरने भी जाता है। उन्होंने बताया कि नौकरी मिलने के बाद जिंदगी अब पहले जैसी नहीं रही। घर का पूरा सिस्टम बदल गया है। समय पर खाना, समय पर सोना, समय पर स्कूल जाना होता है। घर की जरूरतों और जिम्मेदारियों को भी पूरा करने में नौकरी मददगार बनी है। इसलिए परिवार भी खुश है। भोलाराम का कहना है कि वह बहुत आगे तक नहीं पढ़ाई कर पाया है, क्योंकि वह शिक्षा के महत्व को नहीं जान सका था। आज उनकी नौकरी लगी है तो मालूम हो रहा है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए शिक्षा का कितना महत्व है, इसलिए वह भी अपने समाज के लोगों को जागरूक करते हुए अपने बच्चे को अच्छे से पढ़ाएगा। उनकी पत्नी प्रमिला बाई ने बताया कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि पति के साथ स्कूटी में बैठकर घूमने फिरने जाने का मौका मिलेगा। अब स्कूटी आने पर घर से बाहर कई बार स्कूटी में बैठकर जा चुकी है। गौरतलब है कि कोरबा जिले में पीवीटीजी के 119 युवा बेरोजगार युवाओं को अतिथि शिक्षक,भृत्य,वार्ड बॉय की इस वर्ष जुलाई माह से नौकरी दी गई है। रिक्त पदों पर अभी भी आवेदन लेकर नौकरी देने की प्रक्रिया जारी है। नौकरी के बाद पीवीटीजी के जीवन स्तर में बदलाव आने लगा है।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!