WhatsApp Image 2024-10-29 at 11.41.54 AM
WhatsApp Image 2024-10-29 at 11.41.54 AM
WhatsApp Image 2024-10-29 at 11.41.54 AM
WhatsApp Image 2024-10-29 at 11.41.54 AM
कोरबाछत्तीसगढ़प्रशासनिक

तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी स्थानांतरण के लिए गाइडलाइन जारी प्रभारी मंत्री के अनुमोदन पर जिला कलेक्टर के आदेश से होंगे स्थानांतरण ,स्थानांतरण आदेश के बाद शत-प्रतिशत पालन कराना कलेक्टर की जिम्मेदारी

राज्य सरकार द्वारा स्थानांतरण नीति वर्ष 2022 जारी

जिला स्तर पर स्थानांतरण 16 अगस्त से 10 सितम्बर तक

राज्य स्तर पर स्थानांतरण 10 सितम्बर से 30 सितम्बर तक

रायपुर, 12 अगस्त 2022/राज्य सरकार द्वारा स्थानांतरण नीति वर्ष 2022 हेतु निम्नानुसार नीति अथवा प्रक्रिया निर्धारित की गई है। इस आशय का आदेश आज 12 अगस्त को मंत्रालय महानदी भवन स्थित सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी कर दिया गया है। जारी स्थानांतरण नीति के अनुसार:-

जिला स्तर पर स्थानांतरण

दिनांक 16 अगस्त, 2022 से 10 सितम्बर, 2022 तक जिला स्तर के तृतीय श्रेणी तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के स्थानांतरण जिले के माननीय प्रभारी मंत्रीजी के अनुमोदन से कलेक्टर द्वारा किये जा सकेंगे और प्रभारी मंत्री के अनुमोदन उपरान्त स्थानांतरण आदेश तदानुसार प्रसारित होंगे। कलेक्टर यह सुनिश्चित करेंगे कि स्थानांतरण किये जाने वाले पद जिला संवर्ग का है तथा स्थानांतरण करने का अधिकार जिला स्तर पर है। स्थानांतरण प्रस्ताव, संबंधित विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी द्वारा विस्तृत परीक्षण उपरान्त तैयार किया जाकर कलेक्टर के माध्यम से प्रभारी मंत्री को प्रस्तुत किये जाएंगे और प्रभारी मंत्री के अनुमोदन उपरान्त जिले के कलेक्टर द्वारा आदेश प्रसारित किये जाएंगे।

तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के मामलों में उनके संवर्ग में कार्यरत कर्मचारियों की कुल संख्या के अधिकतम 10 प्रतिशत एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के मामलों में अधिकतम 10 प्रतिशत तक स्थानांतरण किये जा सकेंगे। स्थानांतरण के समय ध्यान रखा जाए कि यदि अनुसूचित क्षेत्रों के शासकीय सेवक का गैर-अनुसूचित क्षेत्र में स्थानांतरण करने के प्रस्ताब है तो उसके एवजीदार का भी प्रस्ताव (जो गैर-अनुसूचित क्षेत्र से हो) अनिवार्यतः रखा जाए। आशय यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में जितने प्रतिशत पद रिक्त है, शहरी क्षेत्रों में लगभग उसी के अनुरूप पद रिक्त रह सकें। ऐसी स्थिति निर्मित न हो कि शहरी क्षेत्रों में लगभग सभी पद भरें हो तथा ग्रामीण क्षेत्रों में काफी रिक्तियाँ बनी रहें।

जिन पदों एवं स्थानों पर अधिकारी/कर्मचारी का आधिक्य है, ऐसे स्थानों से स्थानांतरण न्यूनता वाले स्थान हेतु हो। किसी भी परिस्थिति में न्यूनता वाले स्थान से आधिक्य वाले स्थान में स्थानांतरण नहीं किया जाएगा, ताकि संतुलन बना रहे एवं कमी वाले क्षेत्रों में पदों की पूर्ति हो सके। ऐसे शासकीय सेवक जो एक ही स्थान पर दिनांक 15 अगस्त, 2021 अथवा उससे पूर्व से कार्यरत हों, केवल उन्ही के स्थानांतरण किये जायेंगे। दिव्यांग शासकीय सेवकों की पदस्थापना यथासंभव आवागमन की दृष्टि से सुविधाजनक स्थान पर की जाए। जिला स्तर पर स्थानांतरण आदेशों का क्रियान्वयन 15 दिवस के भीतर तक सुनिश्चित किया जाएगा तथा स्थानांतरण पश्चात् नवीन पदस्थापना स्थान पर निर्धारित अवधि 15 दिन में कार्यभार ग्रहण नहीं करने पर संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। स्थानांतरण संबंधी उपरोक्त निर्देशों का पालन कराना कलेक्टर का दायित्व होगा।

राज्य स्तर पर स्थानांतरण

राज्य स्तर पर स्थानांतरण दिनांक 10 सितम्बर, 2022 से 30 सितम्बर, 2022 तक विभाग द्वारा स्थानांतरण किये जा सकेंगे। इस हेतु विभाग द्वारा स्थानांतरण प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। प्रत्येक श्रेणी के स्थानांतरण विभाग के माननीय मंत्रीजी के अनुमोदन से ही किये जा सकेंगे। राज्य स्तर पर स्थानांतरण प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों के मामलों में उनके संवर्ग में कार्यरत् अधिकारियों की कुल संख्या के अधिकतम 15-15 प्रतिशत तथा तृतीय श्रेणी एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के मामलों में उनके संवर्ग में कार्यरत् अधिकारियों की कुल संख्या के अधिकतम 10-10 प्रतिशत तक स्थानांतरण किये जा सकेंगे।

माननीय विभागीय मंत्री जी से अनुमोदन प्राप्त करने हेतु स्थानांतरण प्रस्ताव सीधे विभागाध्यक्ष से माननीय मंत्रीजी को प्रस्तुत नहीं किये जायेंगे। प्रस्ताव, नस्ती आवश्यक रूप से छत्तीसगढ़ कार्यपालक शासन के कार्य नियम तथा उन नियमों के अधीन जारी किये गये निर्देश तथा अनुदेश अर्थात् प्रशासकीय विभाग की सचिवालयीन प्रक्रिया अनुसार अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, विशेष सचिव (स्वतंत्र प्रभार) के माध्यम से ही माननीय विभागीय मंत्रीजी को अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किये जाएंगे और अनुमोदन उपरान्त आदेश तदनुसार विभाग द्वारा प्रसारित किये जाएंगे।

विभागों का यह दायित्व होगा कि यदि अनुसूचित क्षेत्रों के शासकीय सेवक का गैर-अनुसूचित क्षेत्र में स्थानांतरण करने के प्रस्ताव है, तो उसके एवजीदार का भी प्रस्ताव (जो गैर-अनुसूचित क्षेत्र से हो) अनिवार्यतः रखा जाए। शहरी क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रिक्तियों का जो असंतुलन है, उसे संतुलित करने का विशेष ध्यान रखा जाए। आशय यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में जितने प्रतिशत पद रिक्त है, शहरी क्षेत्रों में लगभग उसी के अनुरूप पद रिक्त रह सकें। ऐसी स्थिति निर्मित न हो कि शहरी क्षेत्रों में लगभग सभी पद भरें हो तथा ग्रामीण क्षेत्रों में काफी रिक्तियाँ बनी रहे।

जिन पदों एवं स्थानों पर अधिकारी, कर्मचारी का आधिक्य है, से स्थानों से स्थानांतरण न्यूनता वाले स्थान हेतु हो। किसी भी परिस्थिति में न्यूनता वाले स्थान से आधिक्य वाले स्थान में स्थानांतरण नहीं किया जाएगा, ताकि संतुलन बना रहे एवं कमी वाले क्षेत्रों में पदों की पूर्ति हो सके। 26 अनुसूचित क्षेत्र के शासकीय सेवक का गैर अनुसूचित क्षेत्र में स्थानांतरण होने पर उसके स्थान पर एवजीदार के आने के उपरांत ही उसे कार्यमुक्त किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि अनुसूचित क्षेत्र के रिक्त पद भरे जाएं। छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर एवं सरगुजा संभाग में शासकीय योजनाओं के सुचारू रूप से क्रियान्वयन हेतु विभिन्न विभागों में रिक्त पदों की पूर्ति सर्वाेच्च प्राथमिकता के आधार पर की जाए।

दिव्यांग शासकीय सेवकों की पदस्थापना यथासंभव आवागमन की दृष्टि से सुविधाजनक स्थान पर की जाए। सामान्यतः स्थानांतरण द्वारा रिक्त होने वाले पद की पूर्ति उसी पद के समकक्ष अधिकारी की पदस्थापना से की जाए। वरिष्ठ अधिकारी का स्थानांतरण कर उस पद का प्रभार कनिष्ठ अधिकारी अथवा अन्य विभाग के अधिकारी को न दिया जाए। जिन कर्मचारियों की नियुक्ति विशेष कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा स्थानीय निवासी होने के आधार पर जिला विशेष में किये गये हैं, उनका स्थानांतरण उस जिले के बाहर नहीं किया जायेगा। किन्तु अधिसूचित जिलों में परस्पर (आपसी) स्थानांतरण किये जा सकेंगे।

विभागीय सचिव यह सुनिश्चित करेंगे कि स्थानांतरण आदेश पूर्व परीक्षण आधारित हो और उनका क्रियान्वयन 15 दिवस के भीतर किया जाएगा तथा स्थानांतरण आदेश निरस्त नही किये जाएंगे स्थानांतरण पश्चात् नवीन पदस्थापना स्थान पर निर्धारित अवधि में कार्यभार ग्रहण नहीं करने पर संबंधित अधिकारी, कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।

स्कूल शिक्षा विभाग के लिए विशेष उपबंध

ऐसे स्थानांतरण नहीं किये जायेंगे जिनके फलस्वरूप कोई स्कूल शिक्षक विहीन या एकल शिक्षकीय हो जाये। ऐसे स्थानांतरण नहीं किये जायेंगे जिनके फलस्वरूप किसी स्कूल में किसी विषय को पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या शून्य हो जाये। ऐसे स्थानांतरण नहीं किये जायेंगे जिनके फलस्वरूप किसी स्कूल में छात्र-शिक्षक अनुपात 40 से अधिक या 20 से कम हो जाये। अनुसूचित क्षेत्रों से कोई भी स्थानांतरण एक्जीदार की पदस्थापना किये बिना नहीं किया जायेगा। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी-हिन्दी माध्यम स्कूल एवं कार्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ किसी भी कर्मचारी का स्थानांतरण बिना प्रतिनियुक्ति समाप्त किये नहीं किये जायेंगे। स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी एवं चतुर्थ श्रेणी अधिकारियों-कर्मचारियों के मामलों में उनके संवर्ग में कार्यरत् कर्मचारियों की कुल संख्या के अधिकतम 5 प्रतिशत तक स्थानांतरण किये जा सकेंगे। ई-संवर्ग से टी संवर्ग एवं टी संवर्ग से ई संवर्ग में स्थानांतरण नहीं किये जायेंगे, अर्थात अपने-अपने संवर्ग में ही स्थानांतरण किये जा सकेंगे। ई-संवर्ग से टी संवर्ग एवं टी-संवर्ग से ई संवर्ग में किये स्थानांतरण शून्य माना जायेगा, अर्थात् उक्त स्थानांतरण प्रभावशील नहीं होंगे।

सहायक शिक्षक, शिक्षक, व्याख्याता एवं प्राचार्य संवर्ग के स्थानांतरण के संबंध में शाला विशेष में शैक्षणिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए स्थानांतरण किया जाएगा। शैक्षणिक व्यवस्था से यहां आशय शाला में कक्षावार विद्यार्थियों की संख्या, विषयवार शिक्षकों की स्वीकृत पदों की संख्या तथा उसके विषयवार कार्यरत शिक्षकों की संख्या से है। किसी भी स्थिति में ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की शालाओं में स्थानांतरण को प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा।

विशेष टीप:

उपर्युक्त स्थानांतरण अवधि के पश्चात किसी भी प्रकार का स्थानांतरण आदेश यदि निरस्त या संशोधित किया जाना हो तो ऐसे निरस्तीकरण, संशोधन आदेश का प्रस्ताव समन्वय में प्रस्तुत किये जायेंगे तथा समन्वय में अनुमोदन पश्चात् ही निरस्त, संशोधित किये जा सकेंगे। स्थानांतरण पर छूट की अवधि में जिला स्तर पर कलेक्टर द्वारा प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से तथा राज्य स्तर पर भारसाधक सचिव द्वारा विभागीय मंत्री के उपरान्त निरस्त अथवा संशोधन किया जा सकेगा। परिवीक्षाधीन अधिकारी-कर्मचारियों का स्थानांतरण नहीं किया जावेगा। स्थानांतरित स्थान पर पद रिक्त नहीं होने पर उक्त स्थानांतरण स्वयमेव निरस्त माना जायेगा।

स्थानांतरण पर प्रतिबंध

जिला स्तर तथा विभाग स्तर से क्रमशः दिनांक 10 सितंबर 2022 तथा दिनांक 30 सितम्बर 2022 के पश्चात् स्थानांतरण पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा, किन्तु अत्यंत आवश्यक परिस्थिति में प्रतिबंध की अवधि में समन्वय में अनुमोदन उपरांत ही स्थानातरण किया जा सकेगा। समन्वय में आदेश प्राप्त करने हेतु जो प्रस्ताव प्रस्तुत किया जावे, उसमें संबंधित विभाग द्वारा प्रस्तावित होने वाले शासकीय सेवकों के संबंध में संलग्न प्रपत्र मे जानकारी दी जाये तथा प्रस्ताव में इस बात का आवश्यक रूप से उल्लेख किया जाए कि प्रदेश में प्रश्नाधीन श्रेणी के कुल कितने शासकीय सेवक पदस्थ है तथा प्रस्तावित स्थानांतरण को सम्मिलित करते हुए कुल कितने स्थानांतरण अब तक हो चुके हैं तथा उसका प्रतिशत कितना है। निम्न प्रकार की पदस्थापनाओं में अप्रत्यक्ष रूप से स्थानांतरण निहित अवश्य होता है किन्तु इनके लिए प्रकरण समन्वय में भेजने की आवश्यकता नहीं है, ऐसी पदस्थापनाएँ संबंधी आदेश वर्ष भर माननीय विभागीय मंत्रीजी के अनुमोदन से जारी किये जा सकेंगे।

प्रतिनियुक्ति से वापस आने पर विभाग के अधीन की जाने वाली पदस्थापना, यदि उससे कोई अन्य शासकीय सेवक प्रभावित नहीं होता है। किसी विभाग के शासकीय सेवक (प्रथम श्रेणी अधिकारियों के मामले को छोड़कर) की सेवाओं को अन्य विभाग, संस्था में प्रतिनियुक्ति या डिप्लायमेंट (एक्स कैडर पदस्थापना) पर सौंपा जाना, यदि दोनों विभाग इसके लिए सहमत हों। लोक सेवा आयोग से अथवा चयन समिति द्वारा चयनित नई नियुक्ति से संबंधित उम्मीदवारों की रिक्त पदों पर पदस्थापना। न्यायालय के निर्देश, निर्णय के पालन में स्थानांतरण कर पदस्थापना करना यदि कोई अन्य शासकीय सेवक प्रभावित न होता हो। पदोन्नति के फलस्वरूप पदस्थापना यदि कोई अन्य शासकीय सेवक प्रभावित न होता हो।

नीति के पालन का दायित्व

स्थानांतरण संबंधी उपरोक्त नीति, निर्देश का पालन सुनिश्चित हो, उसकी जिम्मेदारी शासन स्तर से जारी स्थानांतरण आदेश के लिए विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव तथा जिला स्तर से जारी स्थानांतरण आदेश हेतु संबंधित कलेक्टर की होगी। ये विशेष रूप से सुनिश्चित करेंगे कि स्थानांतरण आदेश का पालन हो रहा है। किसी भी स्तर के स्थानांतरण आदेश अनुमोदन की प्रत्याशा में जारी नहीं किए जायेंगे। अर्थात् स्थानांतरण नीति में उल्लेखित अवधि हेतु जिला स्तर एवं शासन स्तर के स्थानांतरण माननीय प्रभारी मंत्रियों के अनुमोदन उपरांत ही जारी किये जा सकेंगे। समन्वय में होने वाले स्थानांतरण के मामलों में समन्वय में अनुमोदन होने के उपरान्त ही स्थानांतरण किये जा सकेंगे। समन्वय के प्रकरणों के मामलों में प्रस्ताव, नस्ती आवश्यक रूप से छत्तीसगढ़ कार्यपालक शासन के कार्य नियम तथा उन नियमों के अधीन जारी किये गये निर्देश तथा अनुदेश अनुसार प्रस्तुत किये जायेंगे।

प्रतिबंधित अवधि में समन्वय में जारी होने वाले स्थानांतरण आदेशों में यह उल्लेख आवश्यक रूप से हो कि स्थानांतरण आदेश समन्वय में सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन उपरांत जारी किये जा रहे हैं, तथा स्थानांतरण आदेश की प्रतिलिपि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी परिपत्र में निहित पृष्ठांकन अनुसार किया जाए। जिला, शासन स्तर पर जारी स्थानांतरण आदेश तथा क्रियान्वयन की स्थिति को क्रमशः दिनांक 15 सितम्बर 2022 एवं 30 सितम्बर 2022 तक संबंधित जिला, विभाग की वेबसाईट पर अपलोड किये जायेंगे।

जिला स्तरीय स्थानांतरण के विरूद्ध अभ्यावेदन

स्थानांतरण से व्यधित शासकीय सेवक, स्थानांतरण नीति का उल्लंघन होने पर स्थानांतरण आदेश के विरूद्ध स्पष्ट आधारों के साथ अपना अभ्यावेदन स्थानांतरण आदेश के जारी होने की तिथि से 15 दिवस के भीतर प्रश्नाधीन स्थानांतरण आदेश की प्रति के साथ संबंधित विभाग द्वारा गठित समिति को प्रस्तुत किया जा सकेगा। उक्त समिति में संबंधित भारसाधक सचिव, विभागाध्यक्ष एवं संयुक्त संचालक व उच्च स्तर के अधिकारी होगें । विभागीय समिति द्वारा अभ्यावेदन का परीक्षण स्थानांतरण नीति के प्रावधानों के प्रकाश में किया जाएगा। अभ्यावेदन के निराकरण के संबंध में समिति का निर्णय अंतिम होगा। तदानुसार शासन द्वारा स्थानांतरण निरस्त, संशोधन किये जा सकेंगे।

राज्य स्तरीय स्थानांतरण के विरूद्ध अभ्यावेदन

स्थानांतरण से व्यथित शासकीय सेवक द्वारा अपने स्थानांतरण के विरूद्ध अभ्यावेदन स्थानांतरण नीति के उल्लंघन के संबंध में स्पष्ट आधारों के साथ, स्थानांतरण आदेश जारी होने की तिथि से 15 दिवस के भीतर प्रश्नाधीन स्थानांतरण आदेश की प्रति के साथ शासन द्वारा गठित वरिष्ठ सचिवों की समिति के संयोजक एवं सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग को 02 प्रतियों में प्रस्तुत किया जा सकेगा। समिति द्वारा ऐसे प्रकरणों का परीक्षण करने के पश्चात् अपनी अनुशंसा सबंधित विभाग को प्रेषित की जाएगी। यह संबंधित विभाग का दायित्व होगा कि प्रकरण में आवश्यकतानुसार समन्वय में विधिवत अनुमोदन उपरान्त यथोचित आदेश पारित करें।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!