छत्तीसगढ़ में चुनाव 2023 में कांग्रेस के पास दो सेट और बीजेपी के पास लगभग 3 सेट है कुल बिलासपुर में 6 सेट है मस्तूरी विधान सभा के क्या हाल जानते हैं विस्तार से;
चुनावी चर्चा के तहत आज हम बात करेंगे बिलासपुर जिले की एक बेहद ही महत्वपूर्ण सीट मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के बारे में। वर्तमान में बिलासपुर जिले के मस्तूरी विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। यह सीट शुरू से ही भाजपा का गढ़ रही है। क्षेत्र के खोंदरा से जौंधरा के बीच का करीब 120 किमी का इलाका मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में आता है। बीते कार्यकाल में यहां से भाजपा शासनकाल में स्वास्थ्य मंत्री रहे कृष्णमूर्ति बांधी ने जीत दर्ज की थी। पिछले विधानसभा चुनाव में जब कई भाजपाई दिग्गजों को हार का मुंह देखना पड़ा था, तब भी डॉ कृष्णमूर्ति बांधी ने जीत हासिल की थी।
मस्तूरी में मतदाताओं की संख्या
मस्तूरी विधानसभा सीट पर कुल 305001 मतदाता हैं, जिसमें पुरुष मतदाता 154327 हैं महिला मतदाताओं की संख्या 150660 है । यहां महिला और पुरुष मतदाताओं की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है। इस बार 18 से 19 साल के युवा मतदाताओं की संख्या 8305 है।
विधानसभा सीट पर एक नजर
मस्तूरी की आबादी 305001 है। इस सीट पर एससी की आबादी 70 फीसद के आसपास है। एसटी यहां न के बराबर हैं। यहां ओबीसी 20 फीसद और जनरल 10 फीसद हैं। इस सीट पर हार और जीत का फैसला ओबीसी वोटर करते हैं। बात अगर रोजगार के साधन की करें तो यहां एनटीपीसी है। लेकिन यहां मजदूरों की आवश्यकता इतनी नहीं पड़ती, जितने यहां बेरोजगार हैं। यही वजह है कि मस्तूरी की सबसे बड़ी समस्या यहां से पलायन है जो बदस्तूर जारी है। क्षेत्र में कोई बड़ी फैक्ट्री या कंपनी नहीं है और कृषि के लिए अच्छे साधन और रोजगार नहीं है।
मुद्दे और समस्याएं
आजादी के बाद से लेकर अब तक यहां के चुनावी मुद्दे हावी रहे हैं। मुख्य मार्गों से ग्रामों तक जाने वाली कच्ची सड़कों को पक्की बनाने की मांग लंबे समय से चलती आ रही है। इसके अलावा यहां एक ही कॉलेज है। यहां से 2003 में कृष्णमूर्ती बांधी विधायक चुनकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बने। यहां स्वास्थ्य सुविधाओं की इतनी कमी है कि विधानसभा के लोगों को दूसरी जगह जाकर इलाज कराना पड़ता है।
आजादी के बाद से लेकर अब तक यहां के चुनावी मुद्दे हावी रहे हैं। मुख्य मार्गों से ग्रामों तक जाने वाली कच्ची सड़कों को पक्की बनाने की मांग लंबे समय से चलती आ रही है। इसके अलावा यहां एक ही कॉलेज है। यहां से 2003 में कृष्णमूर्ती बांधी विधायक चुनकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बने। यहां स्वास्थ्य सुविधाओं की इतनी कमी है कि विधानसभा के लोगों को दूसरी जगह जाकर इलाज कराना पड़ता है।
क्षेत्र के मतदाता इस कदर नाराज हुए और क्षेत्र में सत्ताविरोधी लहर इस कदर फैली कि 2013 के चुनाव में मस्तूरी विधानसभा सीट भाजपा से छीनकर कांग्रेस की झोली में चली गई। कांग्रेस पार्टी ने क्षेत्र के लोक कलाकार दिलीप लहरिया को चुनाव लड़ाया, जिसमें दिलीप लहरिया निर्वाचित हुए। लेकिन कांग्रेस को यह सीट मिलने के बाद भी मस्तूरी क्षेत्र की जनता को बुनियादी समस्याओं से छुटकारा नहीं मिला। 2018 में भाजपा के डॉ कृष्णमूर्ति बांधी ने कांग्रेस प्रत्याशी दिलीप लहरिया को हराकर वो फिर मस्तूरी के विधायक बने।
पिछले चुनाव में बीजेपी के डॉ कृष्णमूर्ति बांधी 36.37 वोट प्रतिशत और सर्वाधिक 67950 मत के साथ विधायक चुने गए थे। दूसरे नम्बर पर बसपा के जयेंद्र सिंह पाटले 28.82 वोट प्रतिशत व 53843 मतों के साथ दूसरे नम्बर पर आए थे, तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी दिलीप लहरिया ने 28.70 वोट प्रतिशत व 53620 मतों के साथ तीसरा स्थान हासिल किया था।
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