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कोरबा जिले में प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही पिछड़ी जनजातियों को रखा विकास और शिक्षा से दूर,ग्रामीणों ने लगाई जिला कलेक्टर से लेकर मंत्रालय तक की दौड़, नहीं मिला शिक्षा का अधिकार तब जनपद सदस्य और सरपंच सहित समाजसेवियों ने उठाया बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा, विकास की इन विसंगतियों का जिम्मेदार कौन ,?? वीडियो देखें

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कोरबा जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही और कर्तव्य हीनता का ऐसा मामला सामने आया है कि जिसे सुनकर हर कोई हैरान हैं
पिछड़ी जनजातियों के उत्थान को लेकर सरकारें हर साल हजारों करोड रुपए खर्च कर रही है इसके अलावा डीएमएफ फंड से भी हर साल हजारों करोड रुपए मूलभूत सुविधाओं के लिए खर्च किए जा रहे हैं बावजूद इसके जिले के प्रशासनिक अधिकारी पिछड़ी जनजाति के बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने में फेल साबित हो रहे हैं

कोरबा जिले में शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल,पिछड़ी जनजाति के हजारों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित


और बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं

दरअसल कोरबा जिले के वनांचल क्षेत्र में हसदेव मिनीमाता बांगो जल परियोजना नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ की शान कहे जाने वाला बहुउद्देशीय जल परियोजना है
इसके निर्माण के लिए जिन पिछड़ी जनजातियों से संबंध रखने वाले ग्रामीणों ने अपनी जमीनों को दिया है आज वे अपने मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं यहां तक कि बच्चों को शिक्षा से भी वंचित होना पड़ रहा है
कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक में आने वाली
ग्रामपंचायत गिदमुढी के आश्रित ग्राम खोट खोरी और ग्राम पंचायत साखो के रनई पहाड़ में 6 से 14 वर्ष के बच्चों की संख्या 50 और 49 है लेकिन दोनों ही गांव में प्राथमिक शाला नहीं होने के चलते बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं वही अगर बच्चे पढ़ना भी चाहे तो उन्हें गांव से चार-पांच किलोमीटर दूर ठुर्रिआमा प्राथमिक स्कूल जाना पड़ता है जो घने जंगलों पहाड़ों से होकर जंगली जानवरों के बीच असुरक्षित रास्ते से होकर जाना पड़ता है जिसके चलते छोटे बच्चे प्राथमिक शाला की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं और ना ही आगे की पढ़ाई कर पा रहे हैं कुछ बच्चे रिश्तेदारों के यहां रह कर पढ़ रहे हैं शिकायत करने आए जनपद सदस्य सरपंच व ग्रामीणों ने बताया कि दोनों ही गांव के लगभग 100 बच्चे 6 से 14 वर्ष की उम्र के हैं जो अभी पढ़ने की उम्र में है उनकी पढ़ाई की सरकारी व्यवस्था नहीं हो पा रही है
ग्राम पंचायत साखो के आश्रित ग्राम रनई पहाड़ पंचायत में तो लगभग 50 बच्चों को सरपंच जनपद सदस्य व स्थानीय पुलिस के सहयोग से वार्ड पंच के मकान में स्कूल खोला जा रहा है जिसमें 2 शिक्षकों के मानदेय को भी सहयोग से दिया जा रहा है वही बच्चों की ड्रेस कॉपी पुस्तक भी चंदा करके दिया गया है ताकि उनको स्कूल जैसी परिस्थिति का आभास हो 1 दिन सभी एैैैके सहयोग से भोजन भी बच्चों को दिया जाता है लेकिन ग्रामपंचायत गिदमुढी के आश्रित ग्राम खोट खोरी के 6 से 14 वर्ष के 50 बच्चों के लिए अभी भी शिक्षा व्यवस्था नहीं हो पाई है

दोनों ग्राम पंचायतों में प्राथमिक शाला भवन और शिक्षकों की मांग करने आए ग्रामीणों ने बताया कि सन् 1985 से हरदेव मिनीमाता बांगो डैम में जमीन चले जाने के बाद विस्थापित हजारों परिवार ने लगातार गांव में स्कूल बिजली और सड़क की मांग की है और करते आ रहे हैं जिले में पदस्थ हर कलेक्टर के पास भी वह गुहार लगाने पहुंचे हैं इस क्षेत्र से निर्वाचित रहे विधायकों और सांसदों से भी मांग की गई लेकिन आज पर्यंत तक उनके लिए शिक्षा की व्यवस्था नहीं हो पाई है और ना ही किसी तरह की मूलभूत की सुविधाएं दी नहीं गई है

*वोट लेने बनाए जाते हैं पोलिंग बूथ सुविधा देने भूल जाते हैं अधिकारी और नेता….
इन विशेष पिछड़ी जनजातियों से संबंध रखने वाले दो ग्राम पंचायतों के आस्रित हजारों ग्रामीणों ने यहां चुनाव प्रक्रिया में भाग लेकर सांसद विधायक और सरकार बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है क्योंकि यहां सभा और लोकसभा चुनाव में बाकायदा पोलिंग बूथ भी स्थापित किया जाता है जिसका नाम प्राथमिक पाठशाला है जो पोलिंग बूथ खोर खोटी क्रमांक 413 है यह पोलिंग बूथ एरीकेशन विभाग द्वारा पूर्व में मछली बेचने के लिए बनाए गए भवन में स्थापित किया जाता है

बकायदा यहां निर्वाचन ड्यूटी भी लगाई जाती है लेकिन आज पर्यंत तक यहां स्कूल के लिए एक प्राथमिक शाला नहीं खोला जा सका जिसके चलते हजारों बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं सड़के नहीं होने से आवा गमन ने भी सुविधा है बिजली की समस्या से निजात दिलाने सोलर पैनल लगाए गए हैं जो कभी-कभार जगमगाते हैं

मामले में ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रतिनिधि अधिकारियों से लेकर प्रदेश के शिक्षा मंत्री तक गुहार लगाई है और विधानसभा चुनाव बहिष्कार करने की घोषणा भी कर चुके है बावजूद इसके इनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है और बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं

सालों सालों से विकास की झूठी रिपोर्ट देने वाले प्रशासनिक अधिकारियों कि इतनी बड़ी लापरवाही से आज यह क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और वही हजारों बच्चे शिक्षा के अधिकार से भी वंचित हो रहे हैं इसका जिम्मेदार आखिर कौन,… क्या इन प्रशासनिक अधिकारियों पर सरकार कार्यवाही करेगी ,…फिलहाल विकास की इस विसंगति पर जिले के कोई भी प्रशासनिक अधिकारी कैमरे के सामने बोलने को राजी नहीं है और ना ही क्षेत्रीय विधायक मोहित राम केरकेट्टा ने इस मामले पर कुछ बोलना मुनासिब नहीं समझा

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