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राजनीति

प्रत्याशियों जनता की चोखट से पहले देवी देवता के कर रहे है दर्शन और देवी देवी देवता से कर रहे है  प्रार्थना

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छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है और हार-जीत की चिंता सता रही है, प्रत्याशियों का धार्मिक स्थलों पर जाकर मत्था टेकने के बाद जनता की चौखट पर पहुंचकर आशीर्वाद लेने का सिलसिला भी तेज हो गया है। चुनाव के चंद दिन बचे हैं। ऐसे में प्रत्याशियों का भगवान पर भरोसा और बढ़ गया है। वे अति व्यस्तता में भी समय निकालकर धार्मिक स्थलों पर पहुंच रहे हैं। कोई भी चुनाव आता है तो नेताओं के मुंह से यह वाक्य बार-बार दोहराया जाता है कि जनता ही उनकी जनार्दन है।

विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए नामांकन दाखिल करने का समय समाप्त होने के बाद आशीर्वाद लेने के लिए प्रत्याशियों का जनार्दन की चौखट पर देर रात तक पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। अब प्रत्याशियों का दिन अल सुबह से देर रात तक जनता से समर्थन मांगने और देव दर्शन के साथ गुजर रहा है।

छोटे से लेकर बड़े धार्मिक स्थलों तक प्रत्याशी मत्था टेककर जीत के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। यह दिनचर्या किसी एक की ही नहीं, बल्कि सातों विधानसभा सीटों के प्रत्याशियों की है। जनसंपर्क के दौरान भी जिस गली, वार्ड में धार्मिक स्थल आते हैं, प्रत्याशी प्रार्थना के लिए जरूर पहुंच रहे हैं। कई प्रत्याशी तो सुबह घर से निकलने के पहले ही पूजा करते हैं। फिर तिलक लगवाकर घर से निकल रहे हैं।

समर्थकों में मची होड़

विधानसभा चुनाव का टिकट मिलने के बाद से अब तक सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवार शहर के करीब सभी धार्मिक स्थलों का दर्शन कर चुके हैं। प्रत्याशियों के समर्थकों में भी प्रत्याशियों को अपने-अपने वार्ड, क्षेत्र के मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों पर ले जाने की होड़ मची है। समर्थकों को निराश न करते हुए प्रत्याशी धार्मिक स्थलों पर पहुंच रहे हैं। प्रत्याशियों को पता है कि धार्मिक स्थलों पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहते हैं। धार्मिक आयोजनों में भी प्रत्याशी जरूर पहुंच रहे हैं।

देशभर से पधारे साधु-संत

एक विधानसभा सीट के प्रत्याशी ने नामांकन से पहले ही साधु-संतों को बुला लिया था। उन्होंने जोधपुर से आए ज्ञान स्वरूपानंद अक्रिय, हरिद्वार से पहुंचे गंगादास उदासीन, स्वामी रामानुज सरस्वती, गुरु मां सुशीला देवी, राजीव लोचन महाराज, शास्त्री हरिवलभ महाराज, स्वामी नित्यानंदपुरी से आशीर्वाद लेकर नामांकन फार्म जमा किया था। साधु-संत भी उनके नामांकन रैली में शामिल हुए थे। दूसरे राजनीतिक दलों ने इस पर आपत्ति भी जताई थी।

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