भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी की लापरवाही कहीं पड न जाए लोकसभा चुनाव पर भारी, मीडिया से आपसी समन्वय स्थापित नहीं कर पा रहे मीडिया प्रभारी, मीडिया प्रभारी को बदलने की जरूरत
भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी की लापरवाही कहीं पड न जाए लोकसभा चुनाव पर भारी, मीडिया से आपसी समन्वय स्थापित नहीं कर पा रहे मीडिया प्रभारी
भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी की मीडिया के लोगों के साथ समझ अच्छी होनी चाहिए. ताकि पत्रकारों और पार्टी से आपसी संबंध में सुचारू रूप से बने रहे जिसके चलते जनता तक पार्टी की जानकारी पहुंचनी चाहिए. लेकिन जिला मीडिया प्रभारी के निष्क्रियता के चलते पार्टी लोकसभा चुनाव में नुकसान हो सकता है. वही आने वाले लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा तो इसके नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं. भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्यालय के मीडिया प्रभारी कोई काम की नहीं रह गए हैं. उनकी न किसी मीडिया से अच्छे संबंध हैं. न हीं किसी मीडिया वालों से उनकी पहचान है. जब पार्टी के बड़े नेता का जिला कार्यालय में आगमन होता है तभी मीडिया प्रभारी मीडिया को याद करते हैं। कई बार तो कुछ पीने-चुने मीडिया को बुलाकर बाइट और अन्य विज्ञप्ति छपवाली जाती है उसके पहले प्रभारी द्वारा मीडिया को किसी प्रकार का जानकारी एवं सहयोग नहीं के बराबर है. जिससे पार्टी को जिले में नुकसान हो रहा हैं।
भारतीय जनता पार्टी के जिला मीडिया प्रभारी का काम मीडिया के लोगो से अच्छे संबंध बनाना एवं पार्टी एवम सरकार की योजना को साझा करना होता हैं, जिसका लाभ जनता तक पहुंच सके. लेकिन भारतीय जनता पार्टी कोरबा के मीडिया प्रभारी का काम निष्क्रिय हैं. मीडिया के बीच उनका समन्वय नहीं है. न हीं वह मीडिया वालों को पहचानते हैं. वह पार्टी के बड़े नेता के आने के आने पर ही मीडिया को याद करते हैं, वही बड़े नेताओं के सामने वाहवाही लुटते है लेकिन हकीकत कुछ और ही है. वह पूरी तरह मीडिया की गतिविधियों से अनभिज्ञ है. न हीं उनको मीडिया की जानकारी है नहीं किसी मीडिया से उनके अच्छे संबंध है। जिसके चलते जिले में भारतीय जनता पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता है. आए दिन उनके मीडिया के लोगो से बहस की नौबत भी आ चुकी है. उसके बाद भी सुधारने का नाम नहीं ले रहे. अब इस मामले पर पार्टी के बड़े नेताओं को संज्ञान लेने की आवश्यकता है और जिले की मीडिया प्रभारी को बदलकर किसी जिम्मेदार एवं जानकार कार्यकर्ता को जिम्मेदारी देने की आवश्यकता है जिससे पार्टी में मजबूती आ सके।
कुछ ऐसी घटना भी पहले हो चुकी है कि मीडिया को विज्ञापन देने के बाद कई महीनों तक कुछ मीडिया कर्मियो को विज्ञापन के पेमेंट के लिए मानसिक रूप से परेशान किया गया जिसमें महिला पत्रकार भी शामिल है यह कहकर कि तुमने नेगेटिव खबर भी लगाई है जबकि केंद्रीय नेता अमित शाह जी के आगमन का विज्ञापन चलाने के लिए दिया गया था और इसके 10 दिन पहले घंटा घर में एक आयोजित कार्यक्रम में लोगों की भीड़ इकट्ठा नहीं हुई थी जिसका वीडियो सहित खाली कुर्सियों की खबर लगाई गई थी इस चीज को बार-बार मीडिया प्रभारी द्वारा बोला गया कि खाली कुर्सी की खबर लगाने के कारण तुम्हारे विज्ञापन का पेमेंट रोक दिया गया है तो क्या पत्रकार सच दिखायेगा तो उसे पार्टी से दूर रखा जाएगा????
भाजपा के मीडिया प्रभारी को इस दोहे को ध्यान रखना चाहिए कि
–निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। इस दोहे का क्या अर्थ है–
कि मनुष्य को अपने आलोचकों की बातों पर ध्यान देना चाहिए क्यों कि वे आपकी कमजोरियों को प्रकाशित करते है जिन्हें दूर करके आप स्वयं को सुधार सकते हैं।
बड़े लोगों के लिए इसमें यह सुझाव है कि सिर्फ ठकुरसुहाती की बातों में ना रहे क्यों कि स्वार्थ वश की गई उनकी झूठी प्रशंसा आप को गफलत में रखती है।
इसका व्यावहारिक अर्थ यह है कि हमें अपने विरोधी का भी सम्मान करना चाहिए ।