WhatsApp Image 2025-01-26 at 3.15.33 PM
WhatsApp Image 2025-01-26 at 3.15.33 PM
WhatsApp Image 2025-01-26 at 3.15.33 PM
WhatsApp Image 2025-04-02 at 9.14.13 AM
छत्तीसगढ़

CG NEWS : प्रशासनिक कार्य व्यवहार में छत्तीसगढ़ी भाषा के उपयोग करने दिया गया प्रशिक्षण

Spread the love

कोरबा 16 जनवरी 2025/ छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा “प्रशासनिक कार्य व्यवहार में छत्तीसगढ़ी भाखा का उपयोग” विषय पर आज कलेक्ट्रोरेट कार्यालय के सभाकक्ष में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में अपर कलेक्टर श्री मनोज बंजारे, राजभाषा आयोग की सचिव डॉ. अभिलाषा बेहार, वक्ता प्रोफेसर सुधीर शर्मा और ऋतुराज साहू विशेष रूप से उपस्थित रहे। जिले के सभी विभाग प्रमुखों और अधिकारियों ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया। कार्यशाला का उद्देश्य प्रशासनिक कामकाज में छत्तीसगढ़ी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना और इसे शासन-प्रशासन में अधिक प्रभावी ढंग से लागू करना था।

राजभाषा आयोग ने इस पहल के माध्यम से छत्तीसगढ़ी भाषा को शासन का हिस्सा बनाने और इसे आम जनता के साथ संवाद का माध्यम बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं। राजभाषा आयोग की सचिव डॉ. अभिलाषा बेहार ने छत्तीसगढ़ी भाषा के गौरवशाली इतिहास और उसके प्रशासनिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा केवल एक संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। इसे संरक्षित करना और प्रशासनिक कार्यों में लागू करना हमारी जिम्मेदारी है। इसके लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा “लोक व्यवहार में छत्तीसगढ़ी” नामक एक मार्गदर्शिका प्रकाशित की गई है।

इस पुस्तक में हिंदी के 67 शब्दों और वाक्यों का छत्तीसगढ़ी अनुवाद, नोटशीट, छुट्टी आवेदन, और जाति प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों के प्रारूप दिए गए हैं। अपर कलेक्टर श्री बंजारे ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा हमारे समाज और संस्कृति से जुड़ने का एक सशक्त माध्यम है। वर्तमान में शहरीकरण बढ़ने के साथ ही छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग सीमित होते जा रहा है। छत्तीसगढ़ी भाषा केवल गांवों तक ही सीमट कर रह गई है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी को बचाना होगा। छत्तीसगढ़ी भाषा को अपनाना न केवल हमारी संस्कृति को संरक्षित करेगा, बल्कि शासन-प्रशासन को जनता के करीब लाने में भी मददगार साबित होगा। छत्तीसगढ़ी भाषा को बोल चाल के साथ ही व्यवहार में लाने, प्रशासनिक कार्यों में आवेदन लिखने, नोटशीट बनाने, आदेश जारी करने में उपयोग किया जा सकता है।

प्रोफेसर सुधीर शर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिलाने और इसके विकास के लिए किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का गठन भाषाई आधार पर हुआ था और छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा के रूप में स्थापित करना हमारी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा का पहला व्याकरण सन 1880 में तैयार किया गया और 1900 में इसे पुस्तक रूप में प्रकाशित किया गया। राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। श्री शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा लोकोक्ति, अहाना, मुहावरे भावों और

शब्दों से वृहद और संपन्न है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा का अपना वृहद शब्दकोष है। विभिन्न विद्वानों ने छत्तीसगढ़ी की व्याकरण रचना की है। वैधानिक रूप से हम सक्षम हैं कि छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग प्रशासनिक रूप से कर सकें। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक व्यवहार में छत्तीसगढ़ी का उपयोग करते हुए आगत शब्दों को स्वीकार करें, आगत शब्दों से खिलवाड़ या संशोधन करने से अर्थ का अनर्थ हो सकता है। छत्तीसगढ़ी की यह विशेषता है कि इसमें क्रिया रूप में स्त्रीलिंग और पुर्लिंग एक ही है। इसमें बहूवचन बनाने के लिये एक ही प्रत्यय है। उन्होंने कहा कि परिभाषिक शब्दावली और

तकनीकी शब्दावली से प्रशासनिक भाषा बनती है जोकि छत्तीसगढ़ी भाषा में है। इसी प्रकार श्री ऋतुराज साहू ने प्रशासनिक कामकाज में छत्तीसगढ़ी भाषा के तकनीकी और व्यावहारिक उपयोग पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा के उपयोग से प्रशासनिक कार्य और संवाद अधिक सरल, प्रभावी और जनहितकारी बन सकते हैं। श्री साहू ने कार्यालयों में छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग बढ़ाने के लिये पीपीटी के माध्यम से प्रेजेटेशन दिया। साथ ही सभी अधिकारी कर्मचारियों को छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्यादा से ज्यादा कार्यालयीन उपयोग करने के लिये प्रेरित किया।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!