Chattisgath __शिक्षाकर्मी घोटाला 2007 के प्रमुख आरोपी पूर्व सीईओ कमलाकांत तिवारी को भिलाई से गिरफ्तार किया गया है. घोटाले में चयन समिति, छानबीन समिति से सदस्यों सहित 94 शिक्षाकर्मियों का नाम दर्ज है. मामले में अब तक 19 शिक्षाकर्मियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी है, वहीं दर्जनों शिक्षाकर्मी अपना इस्तीफा दे चुके हैं. आरटीआई कार्यकर्ता कृष्ण कुमार साहू की शिकायत पर कार्रवाई हो रही है.
शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाले में एफआईआर दर्ज करने के 10 वर्ष 9 माह बाद सीआईडी पुलिस रायपुर ने विवेचना पश्चात संपूर्ण जांच डायरी अग्रिम कार्रवाई के लिए धमतरी जिला पुलिस को भेज दिया था. संपूर्ण जांच डायरी प्राप्त होते ही वर्तमान में दुर्ग जिला पंचायत में परियोजना अधिकारी और शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाला के प्रमुख आरोपी छानबीन समिति के सचिव रहे तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत मगरलोड कमला कांत तिवारी को भिलाई स्थित उनके निवास से गिरफ्तार किया गया.
बता दें कि जनपद पंचायत मगरलोड में वर्ष 2007 शिक्षाकर्मी भर्ती वर्ग 3 में 150 शिक्षाकर्मियों की भर्ती के विरुद्ध फर्जी तरीके से चयन समिति और छानबीन समिति ने 172 पदों पर भर्ती की गई थी. सूचना के अधिकार के तहत शिक्षाकर्मी भर्ती से संबंधित दस्तावेज की मांग 2008 में की गई थी, लेकिन विभाग जानकारी देने से बचता रहा. यहां तक जनपद पंचायत मगरलोड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने दस्तावेज को देने से बचने के लिए उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया था.
सूचना के अधिकार के तहत दस्तावेज प्रदान नहीं करने के कारण आवेदक को परेशान करने, पारदर्शिता पूर्ण नहीं करने, सूचना को छिपाना व कानून को विफल करना स्वप्रमाणित पाया गया. इस पर मुख्य सूचना आयुक्त राज्य सूचना आयोग ने जन सूचना अधिकारी को पृथक-पृथक आदेश में जन सूचना अधिकारी जनपद पंचायत मगरलोड पर अर्थदंड लगाते हुए उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के साथ आवेदक को नि:शुल्क जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया गया था.
सूचना के अधिकार के तहत जुलाई 2011 में दस्तावेज मिलने के बाद कृष्ण कुमार साहू ने शिक्षाकर्मी भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत मगरलोड थाना में करने के साथ पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर धमतरी जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को जांच कर कार्रवाई के लिए प्रेषित किया गया था.
शिकायत पर पुलिस विभाग के राजपत्रित अधिकारी द्वारा जांच उपरांत पुलिस थाना मगरलोड में प्रथम सूचना पत्र दर्ज कर विवेचना में लिया गया. चयन समिति के सदस्यों व शिक्षा कर्मियों के विरुद्ध 27 सितंबर 2011 को धारा 420, 467, 468, 471, 34 भारतीय दंड विधान के तहत प्रथम सूचना पत्र दर्ज कर विवेचना के दौरान एसटी-एससी एक्ट अंतर्गत उपबंधित धाराएं जोड़ी गई. मामले में अभी तक 19 शिक्षाकर्मियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी है, वहीं दर्जनों शिक्षाकर्मी अपना इस्तीफा दे चुके हैं. अपराध क्रमांक 117/11 एवं 123/11 में मगरलोड पुलिस ने 17 शिक्षाकर्मियों की गिरफ्तारी कर अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया है, जिस पर न्यायालय ने कठोर दंड से दंडित किया है.
शिक्षा कर्मी वर्ग 3 की भर्ती हेतु तत्कालिक गठित छानबीन एवं चयन समिति एवं चयन समिति के सदस्य मगरलोड जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी केके तिवारी, विकास खंड शिक्षा अधिकारी एनआर साहू, पंचायत एवं समाज शिक्षा संगठक बुधराम निषाद, महिला एवं बाल विकास विभाग परियोजना अधिकारी एसके सोनी, जनपद अध्यक्ष श्याम साहू, जनपद उपाध्यक्ष कोमल यदु के अलावा बतौर सदस्य नीलकंठ सिन्हा, शत्रुघ्न साहू, नारायण ध्रुव, भरत लाल साहू व संतोषी साहू शामिल थे.
मगरलोड जनपद पंचायत फर्जी शिक्षाकर्मी घोटाला 2007 के प्रमुख आरोपी पूर्व सीईओ कमलाकांत तिवारी को भिलाई से गिरफ्तार किया गया है. घोटाले में चयन समिति, छानबीन समिति से सदस्यों सहित 94 शिक्षाकर्मियों का नाम दर्ज है. मामले में अब तक 19 शिक्षाकर्मियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी है, वहीं दर्जनों शिक्षाकर्मी अपना इस्तीफा दे चुके हैं. आरटीआई कार्यकर्ता कृष्ण कुमार साहू की शिकायत पर कार्रवाई हो रही है.
शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाले में एफआईआर दर्ज करने के 10 वर्ष 9 माह बाद सीआईडी पुलिस रायपुर ने विवेचना पश्चात संपूर्ण जांच डायरी अग्रिम कार्रवाई के लिए धमतरी जिला पुलिस को भेज दिया था. संपूर्ण जांच डायरी प्राप्त होते ही वर्तमान में दुर्ग जिला पंचायत में परियोजना अधिकारी और शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाला के प्रमुख आरोपी छानबीन समिति के सचिव रहे तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत मगरलोड कमला कांत तिवारी को भिलाई स्थित उनके निवास से गिरफ्तार किया गया.
बता दें कि जनपद पंचायत मगरलोड में वर्ष 2007 शिक्षाकर्मी भर्ती वर्ग 3 में 150 शिक्षाकर्मियों की भर्ती के विरुद्ध फर्जी तरीके से चयन समिति और छानबीन समिति ने 172 पदों पर भर्ती की गई थी. सूचना के अधिकार के तहत शिक्षाकर्मी भर्ती से संबंधित दस्तावेज की मांग 2008 में की गई थी, लेकिन विभाग जानकारी देने से बचता रहा. यहां तक जनपद पंचायत मगरलोड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने दस्तावेज को देने से बचने के लिए उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया था.
सूचना के अधिकार के तहत दस्तावेज प्रदान नहीं करने के कारण आवेदक को परेशान करने, पारदर्शिता पूर्ण नहीं करने, सूचना को छिपाना व कानून को विफल करना स्वप्रमाणित पाया गया. इस पर मुख्य सूचना आयुक्त राज्य सूचना आयोग ने जन सूचना अधिकारी को पृथक-पृथक आदेश में जन सूचना अधिकारी जनपद पंचायत मगरलोड पर अर्थदंड लगाते हुए उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के साथ आवेदक को नि:शुल्क जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया गया था.
सूचना के अधिकार के तहत जुलाई 2011 में दस्तावेज मिलने के बाद कृष्ण कुमार साहू ने शिक्षाकर्मी भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत मगरलोड थाना में करने के साथ पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर धमतरी जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को जांच कर कार्रवाई के लिए प्रेषित किया गया था.
शिकायत पर पुलिस विभाग के राजपत्रित अधिकारी द्वारा जांच उपरांत पुलिस थाना मगरलोड में प्रथम सूचना पत्र दर्ज कर विवेचना में लिया गया. चयन समिति के सदस्यों व शिक्षा कर्मियों के विरुद्ध 27 सितंबर 2011 को धारा 420, 467, 468, 471, 34 भारतीय दंड विधान के तहत प्रथम सूचना पत्र दर्ज कर विवेचना के दौरान एसटी-एससी एक्ट अंतर्गत उपबंधित धाराएं जोड़ी गई. मामले में अभी तक 19 शिक्षाकर्मियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी है, वहीं दर्जनों शिक्षाकर्मी अपना इस्तीफा दे चुके हैं. अपराध क्रमांक 117/11 एवं 123/11 में मगरलोड पुलिस ने 17 शिक्षाकर्मियों की गिरफ्तारी कर अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया है, जिस पर न्यायालय ने कठोर दंड से दंडित किया है.
शिक्षा कर्मी वर्ग 3 की भर्ती हेतु तत्कालिक गठित छानबीन एवं चयन समिति एवं चयन समिति के सदस्य मगरलोड जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी केके तिवारी, विकास खंड शिक्षा अधिकारी एनआर साहू, पंचायत एवं समाज शिक्षा pl संगठक बुधराम निषाद, महिला एवं बाल विकास विभाग परियोजना अधिकारी एसके सोनी, जनपद अध्यक्ष श्याम साहू, जनपद उपाध्यक्ष कोमल यदु के अलावा बतौर सदस्य नीलकंठ सिन्हा, शत्रुघ्न साहू, नारायण ध्रुव, भरत लाल साहू व संतोषी साहू शामिल थे.
शिक्षाकर्मी घोटाले की तथाकथा…
शिक्षा कर्मी वर्ग 3 स्वीकृत पद 150 के विरुद्ध कुल 172 पदों पर भर्ती की गई.
चयन समिति के सदस्यों ने अपने परिवार के अनेकों सदस्यों को शिक्षा कर्मी वर्ग 3 के पद पर नियुक्त किया गया.
लगभग 140 पदों पर कूट रचित योग्यता प्रमाण पत्र, अमान्य प्रमाण पत्र, एनसीसी स्काउट गाइड प्रमाण पत्र, खेल प्रमाण पत्र, अनुभव प्रमाण पत्र एवं डी एड प्रमाण पत्रों का उपयोग कर भर्ती की गई है.
बिना हायर सेकेंडरी पास किए 3 अभ्यर्थियों को प्रथम श्रेणी का अंक देकर भर्ती किया गया.
2 अभ्यर्थियों को राज्यपाल की फर्जी हस्ताक्षर से बने स्काउट गाइड प्रमाण पत्र में अंक देकर भर्ती किया गया.
16 अभ्यर्थियों को उनके हायर सेकेंडरी प्रमाण पत्र तृतीय श्रेणी प्राप्तांक को प्रथम श्रेणी का अंक देकर फर्जी तरीके से अंक तालिका तैयार कर भर्ती की गई.
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के 10 अभ्यर्थियों का हायर सेकेंडरी में 72% से 80% प्राप्तांक होने के बाद भी अंक तालिका में कम अंक दर्शा कर उन्हें भर्ती से वंचित किया गया.
10 अभ्यर्थियों के न्यूनतम प्राप्तांक को भर्ती अंक तालिका में अधिकतम प्राप्तांक दर्शा कर उन्हें भर्ती किया गया.
सामान्य श्रेणी के 6 शिक्षाकर्मियों को विकलांग ना होना जानते हुए भी उन्हें विकलांग वर्ग से नियुक्ति की गई.
9 अभ्यर्थियों को कूट रचित डीएड प्रमाण पत्र का 11 अंक देकर उन्हें नियुक्ति का लाभ दिया गया.
14 अभ्यर्थियों को उनके द्वारा खेल प्रमाण पत्र संलग्न नहीं किए जाने के पश्चात भी उन्हें खेल का 4.5 अंक प्रदान कर भर्ती की गई.
9 अभ्यर्थियों को उनके द्वारा आवेदन पत्र में एनसीसी प्रमाण पत्र संलग्न नहीं किए जाने के पश्चात भी एनसीसी का 2.5 अंक का लाभ देकर नियुक्ति की गई.
22 अभ्यर्थियों को नियुक्ति के समय उनके द्वारा प्रस्तुत अमान्य स्तर के अनुभव व खेल प्रमाण पत्र में अंक देकर तथा 19 अभ्यर्थियों को फर्जी बनावटी अनुभव प्रमाण पत्र में अंक देकर भर्ती किया गया.
अभी भी कूट रचित व अमान्य, फर्जी या बिना दस्तावेज के लगभग 45 शिक्षाकर्मी पदोन्नत होकर संविलियन पश्चात सेवा में कार्यरत हैं.
अन्य जिले के अभ्यर्थियों को बनावटी मेडिकल प्रमाण पत्र के आधार पर नियम विरुद्ध उनके गृह जिला में स्थानांतरित कर दिया गया है.