छत्तीसगढ़: रिटायरमेंट से महज 14 दिन पहले रिश्वतखोरी में फंसे जिला शिक्षा अधिकारी

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया, जब जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) रामललित पटेल को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी उनके रिटायरमेंट से महज 14 दिन पहले हुई, जिससे उनके तीन दशक लंबे करियर पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पटेल पर निजी स्कूल संचालकों से कमीशन मांगने और सरकारी सहायता राशि जारी करने के एवज में रिश्वत लेने के आरोप लगे थे।
ACB अंबिकापुर कार्यालय में रामरति पब्लिक स्कूल के संचालक उज्जवल प्रताप सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी कि बिना रिश्वत दिए सरकारी सहायता राशि जारी नहीं की जा रही थी। इसके अलावा, अन्य स्कूलों—छत्तीसगढ़ पब्लिक स्कूल (दतिमा), सरस्वती बाल मंदिर (सोनपुर), प्रिया बाल मंदिर (भटगांव) और लक्ष्मी विद्या निकेतन (नरोला)—के संचालकों को भी प्रताड़ित किया जा रहा था।
पटेल ने कुल 1.82 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी। शिकायत की पुष्टि के बाद ACB ने एक सुनियोजित तरीके से कार्रवाई की और पहली किश्त के रूप में 1 लाख रुपये देते ही पटेल को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
तलाशी में मिली अतिरिक्त राशि, जांच होगी तेज
गिरफ्तारी के बाद जब पटेल के कार्यालय और आवास की तलाशी ली गई, तो वहां से 2 लाख रुपये नकद बरामद हुए। यह आशंका जताई जा रही है कि यह रकम भी अन्य स्कूल संचालकों से मिली रिश्वत की हो सकती है। ACB ने अब उनके बैंक अकाउंट और अन्य संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है।
भ्रष्टाचार का लंबा इतिहास
रामललित पटेल पहले भी कई घोटालों और भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त रहे हैं।
- 34 लाख का मिलेट्स घोटाला (2023): खाद्य विभाग की योजना में गड़बड़ी के कारण निलंबित हुए थे, लेकिन कुछ समय बाद बहाल कर दिए गए।
- पाठ्य पुस्तक घोटाला: सरकारी स्कूलों के लिए जरूरत से ज्यादा किताबें मंगवाकर अवैध रूप से बेचने का आरोप लगा था।
- रिश्वतखोरी के अन्य मामले: कई बार स्कूल संचालकों से पैसे लेने की शिकायतें दर्ज की गईं, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
करियर पर काला धब्बा
पटेल 28 फरवरी 2025 को रिटायर होने वाले थे, लेकिन उनके करियर का अंत भ्रष्टाचार और गिरफ्तारी के साथ हुआ। जहां आमतौर पर अधिकारी रिटायरमेंट से पहले अपनी छवि सुधारने की कोशिश करते हैं, वहीं पटेल ने इस अवसर का उपयोग अवैध कमाई के लिए किया। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act, 1988) की धारा 7 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है और उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।
क्या यह कार्रवाई और बड़े भ्रष्टाचारियों तक पहुंचेगी?
यह गिरफ्तारी शिक्षा विभाग के भीतर गहरे पैठे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है। सवाल उठता है कि क्या अन्य अधिकारी भी इसी तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त हैं? क्या सरकार और प्रशासन इस मामले में अन्य भ्रष्ट अधिकारियों पर भी शिकंजा कसेंगे? यह देखना अहम होगा कि ACB इस मामले को कितना आगे तक ले जाती है और क्या यह कार्रवाई शिक्षा विभाग की साख बहाल करने में मदद करेगी।