मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारियों को धोखे में रखकर किया 4 करोड़ 20 लाख का भुगतान,…. बड़ी पहुंच का फायदा या भ्रष्टाचार से कमाये पैसों का चढ़ावा…. भ्रष्ट अधिकारी पर कार्यवाही की बजाय उसी जगह पुनः पदस्थ करने नेताओं के पत्रों की भरमार….. जांच में पुष्टि के बाद भी नहीं हुई कार्यवाही… अब मुख्यमंत्री से होगी शिकायत

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कोरबा। मामला कोरबा जिले के जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा क्या है जहां पौड़ी उपरोड़ा में पदस्थ तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी ने बिना आला अफसरों की जानकारी के करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया। मामले की शिकायत जिला पंचायत सीईओ तक पहुंची थी, जिसमें जांच के आदेश दिए गए थे। जांच में तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी की गड़बड़ी उजागर हुई है।
महात्मा गांधी नरेगा अन्तर्गत जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा में पदस्थ तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी मुरारी राम कर्मवीर (एमआर कर्मवीर) द्वारा फर्जीवाड़ा व अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने के संबंध में शिकायत की गई थी। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिला पंचायत सीईओ ने कार्यालय जिला पंचायत कोरबा छ.ग. के आदेश क्र./922/जि.पं. / मनरेगा/स्था./2023 कोरबा दिनांक 22.09.2023 के द्वारा जांच के आदेश कार्यपालन अभियंता पीएमजीएसवाई प्रभारी अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा को दिए थे। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरबा को कार्यपालन अभियंता पीएमजीएसवाई प्रभारी अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा ने जांच प्रतिवेदन सौंपा। जिसमें तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी एमआर कर्मवीर के द्वारा की गई अनियमितता की पुष्टि हुई।
जांच प्रतिवेदन के अनुसार दस्तावेजों के अवलोकन एवं बयानों के आधार पर यह निष्कर्ष सामने आया है कि तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी, जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा एमआर कर्मवीर द्वारा शिकायत में वर्णित अवधि दिनांक 12.09.2022 से 07.11.2022 तक बीएस राज तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा का डीएससी का उपयोग मुख्य कार्यपालन अधिकारी राधेश्याम मिर्जा और बीएस राज दोनों के बिना संज्ञान में लाये हुए मजदूरी मद में 4 करोड़ 20 लाख 49 हजार 571 रुपए, सामग्री मद में 9 लाख 84 हजार 320 रुपए, प्रशासकीय मद (वेतन व कार्यालयीन व्यय) में 33 लाख 4 हजार 548 रुपए एवं अर्द्धकुशल मजदूरी मद में 7 लाख 11 हजार 46 रुपए राशि का भुगतान किया गया है। जिसमें से मजदूरी मद के 4 करोड़ 20 लाख 49 हजार 571 रूपये का भुगतान बिना नस्ती के संधारण किये एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत से बिना अनुशंसा के किया गया है। जो कि वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है। जांच दल में संतोष कुमार राठौर एनआरएम विशेषज्ञ मनरेगा जिला पंचायत, नीता बिलथरे लेखाधिकारी पीएमजीएसवाई, जुली तिर्की उप संचालक पंचायत और संतोष नाग कार्यपालन अभियंता पीएमजीएसवाई प्रभारी अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा शामिल थे। जिनकी जांच में खुलासा हुआ है। सूत्रों के माने तो लगभग 5 करोड़ का जो भुगतान जिन कामों के लिए किया गया है उसमें भी भारी मात्रा में गड़बड़ी है कुल मिलाकर फर्जी भुगतान भी किया गया है जिसका जल्द ही खुलासा होगा
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बड़ी पहुंच का फायदा या भ्रष्टाचार से कमाये पैसों का चढ़ावा…. कार्रवाई कराने की बजाय पुनः पदस्थ करने नेताओं के पत्रों की भरमार
भ्रष्टाचारी को बचाने नेता गणों के पत्र आप भी पढ़िए
सूत्रों की मानें तो भ्रष्टाचारी तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी की पहुंच ऊपर तक है। जिसका बेजा फायदा उठाते हुए उसने मनरेगा में करोड़ों का वारा न्यारा कर दिया। बताया जा रहा है कि उक्त कर्मचारियों ने शासकीय पैसों का पद में रहते जमकर गबन किया है जिसका चढ़ावा आए दिन सिर्फ नेताओं को पहुंचाया जाता है शायद यही कारण है कि एक कार्यक्रम अधिकारी को कार्रवाई कराने की बजाय पुन भष्टाचार करने पोड़ी उपरोडां में पदस्थ कराने बड़े-बड़े नेताओं ने पत्र भी लिखे हैं जिसमें की पूर्व मंत्रियों से लेकर वर्तमान मंत्री और जनपद सदस्य ,मंडल अध्यक्ष सरपंच एवं अन्य नेता भी शामिल है फिर यह कैसा सुशासन है कि भ्रष्टाचारियों को बचाया जाए और सुशासन की सरकार के गुण गाए जाएं जहां एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न खाऊंगा और ना खाने दूंगा की सोच के साथ काम कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर जिले के चंद भ्रष्ट अफसर केंद्र सरकार की योजना में भी डंडी मारने से बाज नहीं आ रहे हैं। हैरानी तो इस बात की है कि डबल इंजन की सरकार में उनकी ही पार्टी के कुछ नेता भ्रष्ट अफसर को पुनः पोड़ी उपरोड़ा में पदस्थ कराने की मांग कर चुके हैं। मामले की शिकायत जिला प्रशासन से की गई है लेकिन अभी तक उक्त अधिकारी पर कार्यवाही नहीं हुई जिसे लेकर अब मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्रियों तक मामले की शिकायत किए जाने की जानकारी मिल रही है