120 नीलगिरी वृक्षों की कटाई का मामला: वन और राजस्व विभाग के बीच फंसा पेच
भरूहामुड़ा गांव में 35 साल पुराने वृक्षों की कटाई पर सवाल

कोरबा जिले की तहसील पाली के चैतमा वन परिक्षेत्र के भरूहामुड़ा राजस्व ग्राम में 35-40 साल पहले राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन के तहत लगाए गए नीलगिरी के वृक्षों को काटे जाने का मामला सामने आया है। इस घटना ने राजस्व और वन विभाग के बीच जिम्मेदारी और कार्रवाई को लेकर पेच फंसा दिया है।
गांव की पंचायत ने बनाई कटाई की योजना
भरूहामुड़ा गांव के कुछ लोगों ने आपसी सहमति से तोरण त्यौहार के लिए पैसे की व्यवस्था करने के उद्देश्य से इन पेड़ों को बेचने की योजना बनाई। स्थानीय व्यापारी शिवमान सिंह खुसरो, निवासी खोंसरा, से सौदा तय कर पेड़ों को कटवाया गया। व्यापारी ने एक स्वराज माजदा वाहन में लकड़ी की पहली खेप भेज दी थी, लेकिन इसी बीच वन विभाग को मामले की जानकारी मिल गई।
वन और राजस्व विभाग की कार्रवाई
वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए मौके पर कटाई रोक दी। हालांकि, चूंकि यह जमीन राजस्व विभाग के अंतर्गत आती है, इसलिए 390 लकड़ियों को जप्त कर उन्हें वन विभाग को सौंप दिया गया। लेकिन 10 दिन बीत जाने के बावजूद न तो वन विभाग ने लकड़ी का उठाव किया और न ही सुरक्षा की कोई व्यवस्था की गई।
दो विभागों की खींचतान में उलझा मामला
सहायक वन परिक्षेत्र अधिकारी, चैतमा का कहना है कि यह मामला राजस्व विभाग का है, जबकि राजस्व विभाग ने इसे वन विभाग का जिम्मा बताकर लकड़ी सौंप दी है। इस खींचतान में जप्त लकड़ी अब भी सड़क पर पड़ी हुई है, और इस पर किसी की निगरानी नहीं है।
संदेह और संभावित गड़बड़ी
यह देरी कई सवाल खड़े करती है। स्थानीय लोग आशंका जता रहे हैं कि इतने दिनों तक कार्रवाई न होने से लकड़ी के खरीददार इसे अवैध रूप से उठाकर ले जा सकते हैं या संबंधित अधिकारी मामले को रफा-दफा करने का प्रयास कर सकते हैं।