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विदेश

चीन का ब्रह्मपुत्र पर ‘महाबांध’ बनाने का ऐलान: थ्री जॉर्ज से तीन गुना शक्तिशाली, भारत के लिए बड़ा खतरा

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बीजिंग। चीन ने दुनिया को चौंकाते हुए ब्रह्मपुत्र नदी (यारलुंग त्सांगपो) पर अब तक का सबसे बड़ा और महाशक्तिशाली बांध बनाने का ऐलान किया है। यह बांध न केवल चीन के ऊर्जा उत्पादन में नया अध्याय जोड़ेगा, बल्कि इसे रणनीतिक रूप से भी बेहद अहम माना जा रहा है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, यह परियोजना तकनीकी और वित्तीय दोनों दृष्टियों से अभूतपूर्व होगी।

क्या है इस बांध की खासियत?

  • चीन का यह प्रस्तावित बांध हर साल 300 अरब किलोवाट घंटे बिजली पैदा करेगा, जो वर्तमान में दुनिया के सबसे बड़े थ्री जॉर्ज बांध से तीन गुना ज्यादा है।
  • यह बांध तिब्बत के अत्यधिक बारिश वाले क्षेत्र में, भारत की सीमा के पास बनाया जाएगा।
  • परियोजना पर 137 अरब डॉलर (लगभग 11 लाख करोड़ रुपये) की लागत आएगी, जो इसे धरती पर चल रही सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में शामिल कर देगा।

भारत के लिए क्यों बन सकता है खतरा?

ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत के पठार से निकलकर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और बांग्लादेश तक बहती है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस बांध को रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है।

  • बाढ़ का खतरा: यदि चीन इस बांध से पानी छोड़ता है, तो भारत के अरुणाचल प्रदेश और असम में विनाशकारी बाढ़ आ सकती है।
  • पानी की कमी: पानी रोककर चीन भारत के जल संसाधनों पर भी असर डाल सकता है, जिससे कृषि और जनजीवन प्रभावित होगा।

थ्री जॉर्ज बांध से भी बड़ा इंजीनियरिंग चमत्कार

चीन ने इससे पहले यांग्त्जे नदी पर थ्री जॉर्ज बांध बनाया था, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा बांध कहा जाता है। यह हर साल 88.2 अरब किलोवाट घंटे बिजली पैदा करता है। हालांकि, ब्रह्मपुत्र पर बनने वाला नया बांध इसे भी पीछे छोड़ देगा।

धार्मिक और पर्यावरणीय प्रभाव

यह बांध तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो ग्रांड कैन्यन के पास बनाया जाएगा, जिसे तिब्बती बौद्ध भिक्षु पवित्र मानते हैं।

  • धार्मिक विरोध: तिब्बती समुदाय ने इस परियोजना पर विरोध जताया है।
  • पर्यावरणीय खतरे: बांध निर्माण से क्षेत्र की जैव विविधता और पारिस्थितिकी को गंभीर खतरा हो सकता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

विशेषज्ञ इसे बीजिंग की “हाइड्रो-डिप्लोमेसी” का हिस्सा मानते हैं। भारत के साथ ब्रह्मपुत्र के जल विवाद को देखते हुए, यह बांध बीजिंग के लिए एक महत्वपूर्ण सामरिक उपकरण साबित हो सकता है।

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