WhatsApp Image 2025-01-26 at 3.15.33 PM
WhatsApp Image 2025-01-26 at 3.15.33 PM
WhatsApp Image 2025-01-26 at 3.15.33 PM
WhatsApp Image 2025-04-02 at 9.14.13 AM
कोरबा

कोरबा: आरटीआई में लचर प्रशासन, 15वें वित्त की जांच आदेशों पर अमल नहीं, अनियमितताओं के गंभीर आरोप

Spread the love

कोरबा। आकांक्षी जिला कोरबा में सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम आम जनता के लिए प्रशासनिक पारदर्शिता का हथियार बनने में असफल हो रहा है। पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 15वें वित्त आयोग से प्राप्त धनराशि के उपयोग पर व्यापक अनियमितताओं की शिकायतों के बावजूद जांच प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है।

दूसरी शादी करूंगा कहने पर पति को कुल्हाड़ी से काटा:बच्चा नहीं होने पर पत्नी से करता था विवाद

जांच आदेशों की अवमानना

जिला पंचायत सीईओ ने नवंबर 2024 में 38 ग्राम पंचायतों में 15वें वित्त की राशि से हुए कार्यों की जांच के आदेश दिए थे। इसमें कार्यवाही पंजी, व्यय प्रमाणक, उपस्थिति पंजी, भौतिक सत्यापन समेत 8 प्रमुख बिंदुओं पर जांच होनी थी। लेकिन जनपद पंचायत कोरबा और जनपद पंचायत पाली ने या तो जांच आदेश ही जारी नहीं किए या करारोपण अधिकारियों ने जांच प्रक्रिया पूरी नहीं की।

पाली में करारोपण अधिकारियों को बार-बार आदेश भेजे गए, लेकिन नतीजा शून्य रहा। कोरबा पंचायत में तो पूर्व सीईओ ने जांच प्रक्रिया ही शुरू नहीं की। नई सीईओ ने जांच टीम गठित करने का वादा किया है, लेकिन जांच आदेशों का अभाव अब भी स्पष्ट है।

CG NEWS : पं. प्रदीप मिश्रा बोले-क्रिसमस पर बच्चों को जोकर न बनाएं

सूचना के अधिकार को मजाक बनाया गया

सूचना के अधिकार के तहत जन सूचना अधिकारियों से मांगी गई जानकारी भी छुपाई जा रही है। पाली और करतला ब्लॉक के कई ग्राम पंचायतों ने प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के बावजूद जानकारी साझा नहीं की। कुछ पंचायतों ने फर्जी प्रस्ताव और उपस्थिति पंजी दिखाकर लाखों का गबन करने का आरोप लगाया है।

चुनावी प्रक्रिया पर असर की आशंका

चुनावी वर्ष में आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले इन मामलों की जांच न होने की संभावना बढ़ गई है। पंचायत चुनावों के नजदीक आने के बावजूद अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई न होना, प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करता है।

जिला प्रशासन पर उठे सवाल

जांच आदेशों के बावजूद कार्रवाई न होना यह सवाल उठाता है कि कहीं न कहीं जिला कार्यालय से इस लापरवाही को मौन समर्थन मिल रहा है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, अनियमितताओं के सबूत दस्तावेजों में मौजूद हैं, लेकिन भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के निहित स्वार्थ इन दस्तावेजों को सार्वजनिक नहीं होने दे रहे।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!