कोरबा में कांग्रेस पार्षदों के कामकाज पर सवाल, जनता मांग रही जवाब

कोरबा। नगर निगम चुनाव नजदीक आते ही शहर की राजनीति गरमाने लगी है। जनता इस बार पार्षदों से उनके पांच साल के कामकाज का हिसाब मांग रही है, और यही कारण है कि कांग्रेस के लिए चुनावी राह इस बार आसान नहीं दिख रही। शहर के कांग्रेसी पार्षदों पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने जनता की सेवा करने की बजाय पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे जय सिंह अग्रवाल की सेवा में ही अपना कार्यकाल निकाल दिया। नतीजा यह हुआ कि उनके वार्डों में मूलभूत समस्याएं जस की तस बनी रहीं और अब मतदाता उनसे कड़े सवाल कर रहे हैं।
पिछले पांच वर्षों में कांग्रेस की नगर सरकार रही और प्रदेश में भी कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार काबिज थी, जिससे लोगों को उम्मीद थी कि उनके वार्डों में सड़क, पानी, सफाई और रोशनी जैसी मूलभूत समस्याओं का समाधान होगा। मगर, अधिकांश वार्डों में नागरिकों को केवल आश्वासन ही मिले, जबकि पार्षदों का ध्यान अपने राजनीतिक आकाओं की सेवा में ही लगा रहा। अब जब नगर निगम चुनाव करीब हैं, तो लोगों की नाराजगी खुलकर सामने आ रही है।
जनता का गुस्सा: वादे बड़े, काम न के बराबर
कोरबा के विभिन्न वार्डों में कांग्रेस पार्षदों ने चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किए थे, मगर उनका पूरा होना तो दूर, शहर की स्थिति और बदतर हो गई। बालको क्षेत्र, एमपी नगर, आरपी नगर, कटघोरा और अन्य इलाकों में सड़कों की हालत खस्ता है, जल संकट हर साल गर्मियों में विकराल रूप ले लेता है, और सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। इसके बावजूद पार्षद जनता के बीच सक्रिय नहीं दिखे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कांग्रेसी पार्षद अपने-अपने वार्डों की जिम्मेदारी निभाने की बजाय जय सिंह अग्रवाल की परिक्रमा करते रहे। पार्षदों का ध्यान जनसमस्याओं से ज्यादा अपने राजनीतिक करियर और पार्टी नेताओं को खुश करने में लगा रहा। नतीजा यह हुआ कि कोरबा की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है।
विपक्ष का हमला: कांग्रेस ने जनता को ठगा
भाजपा और अन्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्षदों और नगर निगम प्रशासन पर जमकर हमलावर हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के पार्षदों ने पूरे पांच साल सिर्फ मंत्री और नेताओं की सेवा में निकाल दिए, जबकि जनता उनकी राह तकती रही। पार्टी इस बार चुनाव में जनता के गुस्से को भुनाने की तैयारी में है और मतदाताओं से अपील कर रही है कि वे उन पार्षदों को सबक सिखाएं जिन्होंने पांच साल तक उनकी समस्याओं की अनदेखी की।
भाजपा ने चुनाव प्रचार में नगर निगम की नाकामियों को प्रमुख मुद्दा बनाया है और वादा कर रही है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो शहर में आधारभूत विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी।
कांग्रेस की सफाई, मगर जनता संतुष्ट नहीं
वहीं, कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि बीते वर्षों में नगर निगम क्षेत्र में कई विकास कार्य हुए हैं, लेकिन कुछ बाधाओं की वजह से कुछ वार्डों में अपेक्षित सुधार नहीं हो सका। कांग्रेस पार्षदों का कहना है कि जल संकट, सड़क और सफाई व्यवस्था जैसी समस्याओं को लेकर लगातार काम किया गया, लेकिन कई योजनाएं धीमी गति से चलीं, जिससे जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
हालांकि, जनता कांग्रेस की इन दलीलों से संतुष्ट नहीं दिख रही। मतदाताओं का कहना है कि जब पूरे कार्यकाल में पार्षदों ने जनता के हित में काम नहीं किया, तो अब चुनाव के समय आश्वासन देकर उनका भरोसा नहीं जीता जा सकता।
क्या कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा जीतना वार्ड?
नगर निगम चुनाव में इस बार जनता पार्षदों से सीधे सवाल कर रही है और उनके कामकाज का लेखा-जोखा मांग रही है। कांग्रेस पार्षदों की निष्क्रियता और जय सिंह अग्रवाल के प्रति उनकी निष्ठा ने पार्टी की साख पर बट्टा लगा दिया है। मतदाताओं में नाराजगी इस कदर है कि कांग्रेस के लिए अपने पार्षदों को जिताना मुश्किल साबित हो सकता है।
क्या जनता कांग्रेस पार्षदों को उनके पांच साल के प्रदर्शन का जवाब देगी, या फिर पार्टी की राजनीतिक पकड़ चुनावी नतीजों में भी बरकरार रहेगी? यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे, लेकिन इस बार के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के पार्षदों को कड़ी चुनौती का सामना करना तय है।